जानिये कम लागत वाली मक्का की इन फसलों को, जो दूध के जितनी पोषक तत्वों से हैं भरपूर

By: MeriKheti
Published on: 18-Jul-2022

जी हां बात बिलकुल सही है, भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान (ICAR) के भाकृअनुप-विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, अल्मोड़ा (ICAR-Vivekananda Parvatiya Krishi Anusandhan Sansthan, Almora) ने यह उपलब्धि हासिल की है। संस्थान ने बायो-फोर्टिफाईड मक्का (Maize) की नई किस्में जारी की हैं, जो पोषक तत्वों से भरपूर हैं। अपने पोषक तत्वों के कारण मक्का की यह नई किस्में अन्य प्रचलित किस्मों से बहुत भिन्न हैं।

अंतर के कारण

मक्का की चलन में उगाई जाने वाली दूसरी किस्मों में अमीनो अम्ल (amino acid) मुख्य तौर पर प्रोटीन ( पोषक तत्व ) जैसे ट्रिप्टोफैन व लाइसीन की कमी होती है। विवेकानन्द पर्वतीय कृषि अनुसंधान संस्थान ने पारंपरिक एवं सहायक चयन विधि के माध्यम से इस कमी को पूरा किया है।

ग्लास फुल दूध जितना हेल्दी !

संस्थान ने गुणवत्ता युक्त प्रोटीन से लैस मक्का की इन खास किस्मों में विशिष्ट अमीनो अम्ल की मात्रा में सुधार किया है। इन विकसित किस्मों में इसकी मात्रा सामान्य मक्का से 30-40 फीसदी तक ज्यादा है। मतलब उन्नत प्रजाति के मक्के में पोषण की मात्रा लगभग स्वस्थ जीव के दूध के बराबर है!

ये भी पढ़ें:
मक्के की खेती (Maize farming information in Hindi)

क्यूपीएम प्रजाति (QPM - Quality protein maize)

विवेकानन्द कृषि अनुसंधान संस्थान अल्मोड़ा ने मक्के के जिन खास किस्मों को विकसित किया है, उनको समितियों का भी अनुमोदन मिला है। संस्थान में विकसित की गई एक क्यूपीएम प्रजाति को केंद्रीय प्रजाति विमोचन समिति ने उत्तर पश्चिमी तथा उत्तर पूर्वी पर्वतीय क्षेत्रों, जबकि दो क्यूपीएम प्रजातियों को राज्य बीज विमोचन समिति ने जारी किया है। उत्तराखंड के पर्वतीय क्षेत्रों की जैविक दशाओं को ध्यान में रखकर अप्रैल '2022 में इन्हें जारी किया गया था।

मक्का कार्यशाला के परिणाम :

कृषि अनुसंधान संस्थान द्वारा विकसित प्रजातियों में शामिल, वीएल क्यूपीएम हाइब्रिड 45 मक्का प्रजाति (VL QPM Hybrid 45 Makka) की पहचान अप्रैल 2022 में हुई थी। दी गई जानकारी के अनुसार, 65वीं वार्षिक मक्का कार्यशाला में इन्हें तैयार किया गया।

इन प्रदेशों की जलवायु का ध्यान :

उत्तर पश्चिमी पर्वतीय अंचल (जम्मू व कश्मीर, हिमाचल प्रदेश व उत्तराखंड) एवं उत्तर पूर्वी पर्वतीय क्षेत्र खास तौर पर असम, अरुणाचल प्रदेश, मणिपुर, मेघालय, मिजोरम, नगालैंड, सिक्किम व त्रिपुरा की जलवायु के हिसाब से इनको तैयार किया गया था।

ये भी पढ़ें:
संतुलित आहार के लिए पूसा संस्थान की उन्नत किस्में

बीमारियों से लड़ने में कारगर :

संस्थान की इस प्रजाति में टर्सिकम व मेडिस पर्ण झुलसा तरह की बीमारियों के लिए मध्यम प्रतिरोधकता भी है।

अगेती की प्रकृति वाली प्रजाति

वीएल क्यूपीएम हाइब्रिड 61 (VL QPM Hybrid 61) अगेती यानी जल्द मुनाफा देने वाली प्रजाति है, जो 85 से 90 दिन में तैयार हो जाती है।

परीक्षणों के परिणाम

जांच परीक्षणों की बात करें तो राज्य-स्तरीय समन्वित परीक्षणों में इसके बेहतर परिणाम मिले हैं। जांच में इसकी औसत उपज लगभग साढ़े चार हजार किलोग्राम है, जिसमेें ट्रिप्टोफैन, लाइसीन व प्रोटीन की मात्रा क्रमश: 0.76, 3.30 व 9.16 प्रतिशत है। तो किसान भाई, आप भी हो जाएं तैयार, दुग्ध जितने पोषण से लैस, कम लागत वाली मक्के की इन फसलों से हेल्दी मुनाफा कमाने के लिए !

श्रेणी