बसंत ऋतु के दौरान फसलों में होने वाले कीट संक्रमण से संरक्षण हेतु रामबाण है यह घोल

By: MeriKheti
Published on: 06-Mar-2023

डॉक्टर एसके सिंह का कहना है, कि इस कीट के निम्फ एवं वयस्क दोनों पौधे के फूलों, पत्तियों, नाजुक टहनियों एवं नवनिर्मित फलों के रस को चूस जाते हैं। बसंत ऋतु के मौसम के दौरान अपने पुराने पत्तों को छोड़कर नवीन पत्तियों से तैयार होते हैं। साथ ही, इस वक्त कुछ कीट बड़ी बुरी तरह से इन पंत्तियों को नष्ट करने में जुटे हुए हैं। ऐसी स्थिति में किसान भाई वक्त पर इससे सुलझने की तैयारी करलें। भारत के प्रसिद्ध फल वैज्ञानिक डॉक्टर संजय कुमार सिंह कृषकों को आम के वृक्षों पर संक्रमण करने वाले लीफ हाफर कीट का खात्मा करने की तैयारी के विषय में बता रहे हैं। डॉक्टर एसके सिंह का कहना है, कि इस कीट के निम्फ एवं वयस्क दोनों पौधे के फूलों, पत्तियों, कोमल टहनियों एवं नवनिर्मित फलों के रस को चूस जाते हैं। उसके बाद वह मृत एवं रिक्त कोशिकाओं को हटाकर तरल पदार्थ को चूसने का कार्य करते हैं। जो कि बाद में छोटे एवं सफेद धब्बे के रूप में बदल जाते हैं। इसका असर से फूल का सिर भूरा हो जाता है एवं शुष्क हो जाते हैं। साथ ही, इससे फल सेटिंग प्रभावित रहती है। थोड़ी हानि पत्तियों एवं फूलों के तनों में अंडे देने से भी हो जाती है। भारी भोजन की वजह से ‘हॉपरबर्न’ हो जाता है ,जो कि कीड़ों की लार के जहरीले असर की वजह से होता है। जो कि मोज़ेक वायरस रोग की भी वजह बन जाता है, क्योंकि कीट विषाणु के वाहक होते हैं।

लीफहॉपर के संक्रमण की यह पहचान होती है

डॉक्टर सिंह के अनुसार, लीफ हॉपर्स प्रचूर मात्रा में एक मीठा तरल अपशिष्ट पैदा करते हैं, जिसको हनीड्यू के नाम से जाना जाता है। एक कवक, जिसको कालिख (सूटी मोल्ड) कहा जाता है, शहद की भाँति तरल के जमाव पर पैदा होता है जो कि पत्तियों एवं शाखाओं पर इकठ्ठा हो जाता है। यह पत्तियों एवं शाखाओं का रंग काला कर देता है। पौधों के ऊपर कालापन दिखना लीफहॉपर के संक्रमण की पहचान है।

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आम के लीफहॉपर किस रंग के होते हैं

आपको बतादें कि अंडे पत्तियों के नीचे नरम पौधे के ऊतक के भीतर रखे जाते हैं। जो कि लम्बी अथवा वक्र, सफेद से हरे रंग की एवं तकरीबन 0.9 मिमी लंबी होती हैं। तकरीबन 10 दिनों में अंडे सेने में लग जाते हैं। यह निम्फ वयस्कों के समरूप दिखाई देते हैं। परंतु, बेहद छोटे, हल्के पीले-हरे एवं पंखहीन से होते हैं। वह पांच निम्फल चरणों से निकलते हैं। उनकी डाली की खाल सामान्य रूप से पत्ती की निचे की सतह पर टिकी होती है। निम्फ में तीव्र गति से आगे अथवा पीछे या फिर बग़ल में चलने की क्षमता रहती है। छोटे, लम्बे पच्चर और व्यस्क के आकार के कीड़े तकरीबन 3-4 मिमी लंबे रहते हैं। वह तीव्रता से कूदते हैं। शीघ्रता से उड़ते हैं एवं दिक्कत परेशानी होने पर समस्त दिशाओं में दौड़ सकते हैं। इस वजह से इसका नाम लीफहॉपर है। कई लीफहॉपर एक ही तरह के दिखाई देते हैं, परंतु आम के लीफहॉपर सफेद रंग के होते हैं।

क्या बिना रसायनों के उपयोग से लीफ हॉपर की रोकथाम हो सकती है

लहसुन के अर्क (तेल) का छिड़काव (स्प्रे) करके आम के लीफ हॉपर को कुछ सीमा तक प्रबंधित कर सकते हैं। शुरूआत में सर्वप्रथम इसका इस्तेमाल छोटे स्तर पर करके देखने और संतुष्ट होने के उपरांत व्यापक स्तर पर करना होगा। अब हम चर्चा करने जा रहे हैं, लहसुन के अर्क (तेल) किस प्रकार निर्मित कर रहे हैं। इसको 100 ग्राम लहसुन सर्वप्रथम बारीकी से काटा जाता है। उसके बाद कटे हुए लहसुन को एक दिन हेतु आधा लीटर खनिज तेल में डुबो दें। इसके उपरांत इसमें 10 मिली तरल साबुन का मिश्रण करें। इसमें 10 लीटर जल डालकर पतला करके छान लें। तेल को भिन्न होने से रूकावट हेतु प्रयोग के चलते कंटेनर को निरंतर हिलाएं अथवा घोल (अर्क) को निरंतर हिलाते रहें। इस घोल से सिर्फ लीफ हॉपर्स ही नहीं प्रबंधित होते हैं। साथ ही, इससे गोभी के कीट, स्क्वैश के कीट एवं सफेद मक्खी आदि कीट बिना रसायनों के प्रबंधित हो सकते हैं।

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