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महुआ

फल फूल रहा शराब उद्योग, लंदन वाइन मेले में रहा भारत का जलवा

फल फूल रहा शराब उद्योग, लंदन वाइन मेले में रहा भारत का जलवा

भारत का शराब निर्यात बढ़ा, वाणिज्‍य एवं उद्योग मंत्रालय की पहल

एपीडा लगातार कर रहा विस्तार का प्रयास, मध्य प्रदेश में महुआ को मिलेगी नई पहचान

भारतीय अर्थव्यवस्था के प्रमुख आधारों में से एक, भारत में निर्मित मदिरा के स्वाद की विदेशों तक धूम है।
पीआईबी (PIB) द्वारा जारी जानकारी के अनुसार वर्ष 2020-21 के दौरान भारत ने दुनिया के देशों को बड़ी मात्रा में मादक पदार्थों की सप्लाई की। भारत की ओर से विदेश को 2.47 लाख मीट्रिक टन मादक उत्पादों का एक्सपोर्ट किया गया। इस निर्यात से भारत सरकार को 322.12 मिलियन अमरीकी डॉलर की कमाई होने की जानकारी प्रदान की गई है।

शराब निर्यातकों ने की भागीदारी

वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय, भारत में निर्मित शराब के निर्यात को बढ़ावा देने के लिए प्रयासरत है। इसके तहत, विभिन्न मेलों के जरिए भारत में निर्मित शराब के गुणों से लोगों को अवगत कराया जा रहा है।

एपीडा के प्रयास

इस प्रयास के अंतर्गत एग्रीकल्चर एंड प्रोसेस्ड फूड प्रोडक्ट्स एक्सपोर्ट डेवलपमेंट अथॉरिटी (Agricultural and Processed Food Products Export Development Authority/APEDA/एपीईडीए/एपीडा) अर्थात कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण ने लंदन शराब मेले, 2022 में सहभागिता हेतु भारत के शराब निर्यातकों के लिए राह आसान बनाई। एपीडा के सहयोग से भारत के दस शराब निर्यातकों ने लंदन शराब मेले में भारत का प्रतिनिधित्व किया। बीते दिनों जून में आयोजित लंदन शराब मेले में दुनिया भर के शराब निर्यातकों ने लंदन वाइन फेयर (London Wine Fair) में शिरकत की। आपको बता दें, लंदन शराब मेले को दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण शराब व्यापार आयोजनों के बीच अहम स्थान प्राप्त है।

इन इंडियन एक्सपोर्टर्स ने किया प्रतिनिधित्व

लंदन वाइन फेयर (London Wine Fair) में सोमा वाइन विलेज, एएसएवी वाइनयार्ड, रेसवेरा वाइन, सुला वाइनयार्ड, गुड ड्रॉप वाइन सेलर, हिल जिल वाइन, केएलसी वाइन, ग्रोवर जम्पा वाइनयार्ड, प्लेटॉक्स विंटर्स और फ्रेटेली वाइनयार्ड जैसे प्रमुख भारतीय शराब निर्यातकों ने भारत का प्रतिनिधित्व किया।

तीसरा बड़ा बाजार

मादक पेय पदार्थों के मामले में भारत वर्तमान में दुनिया में तीसरा सबसे बड़ा बाजार है। दी गई जानकारी के अनुसार, भारत में अनाज आधारित मादक पेय पदार्थों के उत्पादन के लिए 33,919 किलो लीटर प्रति वर्ष की लाइसेंस क्षमता वाली 12 संयुक्त उद्यम कंपनियां कार्यरत हैं। इसी तरह भारत सरकार से लाइसेंस प्राप्त तकरीबन 56 इकाइयां बीयर का उत्पादन कर रही हैं।

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भारत का निर्यात रिकॉर्ड

साल 2020-21 के दौरान भारत ने दुनिया को 2.47 लाख मीट्रिक टन मादक उत्पादों का निर्यात किया है। इस निर्यात से भारत सरकार को 322.12 मिलियन अमेरिकी डॉलर की कमाई हुई।

इन देशों में डिमांड

वर्ष 2020-21 में भारत से संयुक्त अरब अमीरात, घाना, सिंगापुर, कांगो और कैमरून आदि देशों को मादक उत्पादों का निर्यात किया गया।

महाराष्ट्र की अंगूरी

भारत में शराब उत्पादन के मामले में महाराष्ट्र राज्य दूसरे प्रदेशों के मामले में आगे है। शराब उत्पादन के लिए महाराष्ट्र वर्तमान में भारत का अहम राज्य है। महाराष्ट्र में मौजूदा समय में 35 से अधिक फैक्ट्री में शराब का उत्पादन किया जाता है। महाराष्ट्र राज्य में तकरीबन 1,500 एकड़ जमीन पर की जा जाने वाली अंगूर की खेती शराब उत्पादन में प्रमुख योगदान प्रदान करती है। प्रदेश में शराब निर्माण को बढ़ावा देने के लिए महाराष्ट्र राज्य सरकार ने शराब उत्पादन व्यवसाय को लघु उद्योग का दर्जा प्रदान किया है। प्रदेश में शराब उत्पादकों को उत्पाद शुल्क में भी रियायत प्रदान की जाती है।

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महुआ, बीयर, ब्रांडी की डिमांड

भारत में निर्मित महुआ की शराब की सिप के विदेशी भी दीवाने हो रहे हैं। इसके अलावा माल्ट से बनी बीयर, वाइन, व्हाइट वाइन, ब्रांडी, व्हिस्की, रम, जिन आदि भारत में निर्मित मादक पेय उत्पादों की भी इंटरनेशनल मार्केट में खासी डिमांड है। भारत के ह्रदय राज्य मध्य प्रदेश में मुख्य मंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में, सरकार ने आदिवासियों को आय प्रदान करने के लिए महुआ शराब को नई पहचान देने रणनीति बनाई है। बीते दिनों जनजाति गौरव सप्ताह कार्यक्रम में एमपी के मुखिया शिवराज सिंह चौहान ने आदिवासियों के हित संवर्धन के लिए आबकारी नीति की घोषणा की थी। मध्य प्रदेश में सरकार ने आदिवासी क्षेत्रों में महुआ से बनने वाली शराब को हेरिटेज शराब का दर्जा देने की योजना बनाई है। इसके पहले तक राजस्थान में हेरिटेज शराब के अलावा, गोवा की परंपरागत फेनी के उत्पादन को सरकारी स्तर पर सहयोग मिलता रहा है। आपको बता दें भारतीय शराब की विविध किस्मों के साथ ही उसकी खासियतों के बारे में लोगोें को जागरूक करने के लिए एपीडा कई तरह के अंतरराष्ट्रीय व्यापार मेलों का आयोजन करता आया है।

फलफूल रहा शराब उद्योग

भारत के शराब उद्योग ने वर्ष 2010 से 2017 के दौरान काफी प्रगति की है। इस कालखंड में इंडियन वाइन इंडस्ट्री ने 14 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि दर से ग्रोथ हासिल की है।
महुआ के तेल से किसान अच्छी-खासी आमदनी कर सकते हैं

महुआ के तेल से किसान अच्छी-खासी आमदनी कर सकते हैं

महुआ का तेल शरीर के लिए काफी लाभकारी होता है। क्योंकि इसके अंदर कई सारे अहम व महत्वपूर्ण पोषक तत्व जैसे कि फाइबर, प्रोटीन और विटामिन आदि मौजूद रहते हैं। महुआ का पेड़ सामन्यतः गांव में आज भी नजर आ जाएगा। हालाँकि, पूर्व की तुलना में इनकी तादात काफी शीघ्रता से घटती जा रही है। उसकी मुख्य वजह अनुमानुसार महुआ के पेड़ से होने वाले फायदों की जानकारी का अभाव है। अब बताइए जब लोगों को इससे होने वाले फायदों के विषय में नहीं पता होगा, तो वह उस पेड़ की देखभाल और रोपण क्यों करेंगे ? सबसे बड़ी बात यह है, कि किसान यदि चाहें तो महुआ के पेड़ से प्रति सीजन में लाखों की आय कर सकते हैं। अगर आप अच्छी खासी जमीन के मालिक हैं, तो आप महुआ का बाग लगा सकते हैं। उसके बाद आप प्रतिवर्ष इसके सीजन में अच्छी आमदनी कर सकते हैं। विशेष तौर पर इसके तेल से कृषकों को अच्छा-खासा मुनाफा हो सकता है। क्योंकि महुआ के फल से निकलने वाला तेल बेहद स्वास्थ्य वर्धक होता है और इसकी हमेशा बाजार में बनी रहती है। महुआ का तेल किसानों को काफी मुनाफा दिला सकता है।

महुआ के फल से तेल निकालने की विधि

महुआ के पेड़ की सर्वोच्च खासियत यह है, कि इसके फूल एवं फल दोनों से किसान भाई आमदनी कर सकते हैं। किसान इसके गिरते हुए फूलों को इकट्ठा कर के सुखा कर बेचते हैं। सूखे महुआ के फूलों का किसानों को बेहतर भाव मिलता है। साथ ही, इसके फल से निकलने वाले तेल की भी बाजार में खूब मांग रहती है। आपको बतादें, कि महुआ के फल से तेल निकालने के लिए सर्वप्रथम इसको छील कर इसकी गुठली निकाली जाती है। उसके बाद इस गुठली को छील कर उसके अंदर का हिस्सा निकाल कर उसको सुखाया जाता है। जब यह पूर्णतय सूख जाता है, तब इसका तेल निकल जाता है। महुआ के तेल की खासियत यह है, कि यह जितना प्राचीन होता है, इसके भीतर उतने ही अधिक औषधीय गुण बढ़ जाते हैं।

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महुआ तेल में मौजूद गुण

आपको बतादें, कि महुआ के तेल के अंदर प्रोटीन, फाइबर और विटामिन जैसे पोषक तत्व उपलब्ध होते हैं। इस वजह से इसका नियमित सेवन आपके शरीर को महत्वपूर्ण पोषण प्रदान करता है। साथ ही, महुआ तेल विटामिन ई का एक बेहतरीन स्रोत है, जो एंटीऑक्सीडेंट के तौर पर कार्य करता है। वहीं, आपके शरीर को विभिन्न प्रकार के बेकार तत्वों से बचाता है। साथ ही, महुआ के तेल में फाइटोस्टेरोल नामक पोषक तत्व उपस्थित रहता है, जो कोलेस्ट्रॉल को काबू करने एवं दिल से जुड़े स्वास्थ्य को सुधारने में सहायता करता है। बतादें, कि इसके तेल में पोलीयूनसेटेड फैट विघमान रहता है, जो कि शारीरिक स्वास्थ्य के लिए बेहद जरूरी है। महुआ के तेल के अंदर विटामिन ई और विटामिन बी भी भरपूर मात्रा में पाई जाती है। जो कि मांसपेशियों को काफी शक्ति प्रदान कर सकती है। इस वजह से जब आप महुआ तेल से शरीर की मालिस करते हैं, तो आपकी शारीरिक थकावट के साथ-साथ आपका दर्द भी ठीक हो जाता है।
Madhuca longifolia: महुआ के पेड़ की उपयोगिताऐं एवं विशेषताऐं क्या हैं?

Madhuca longifolia: महुआ के पेड़ की उपयोगिताऐं एवं विशेषताऐं क्या हैं?

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि आदिवासी जनजातियों में महुआ के पेड़ (mahua ka ped) का अत्यधिक महत्व है। भारत में कुछ समाज इसे कल्पवृक्ष के नाम से भी पुकारते हैं। मध्य एवं पश्चिमी भारत के दूरदराज वनअंचलों में बसे ग्रामीण आदिवासी जनजातियों के लिए रोजगार के साधन तथा खाद्य रूप में mahua ka ped का महत्व बेहद ज्यादा है।

इसे भिन्न–भिन्न राज्यों में विभिन्न स्थानीय नामों से जाना जाता है। हिंदी में मोवरा, इंग्लिश में इंडियन बटर ट्री, संस्कृत में मधुका, गुड पुष्पा आदि जैसे नामों से जाना जाता है। महुआ को संस्कृत में मधुका कहते हैं, जिसका अर्थ है मीठा, जनजातियों में इसके पेड़ को और इससे तैयार पेय को काफी पवित्र माना जाता है।

इसके वृक्ष की शाखा तोडना काफी अशुभ माना जाता है। इस समुदाय के लोग चमत्कारी महुआ के पेड़ को पुश्तैनी जायदाद में शम्मिलित करते हैं। साथ ही, बाकि सम्पति की भांति इस का भी बटवारा करते हैं। इसको सम्पति समझने के प्रमुख कारण इसकी उपयोगिताऐं हैं।

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Madhuca longifolia: महुआ पेड़ का भौगोलिक क्षेत्र 

इस वृक्ष को शुष्क क्षेत्रों में सहजता से उगाया जाता है। यह मध्य भारत के उष्ण कटिबंधीय पर्णपाती वन का एक प्रमुख वृक्ष है। इस वृक्ष की मुख्य विशेषता यह है, कि इसे किसी भी भौगोलिक परिस्थिति में उगाया जा सकता है, परंतु ये सबसे शानदार बालुई मृदा में होता है। भारत में ज्यादातर यह वृक्ष उत्तर भारत और मध्य भारत में पाया जाता है।

सामान्य तौर पर पाए जाने वाले राज्य उड़ीसा, आंध्रप्रदेश,  महाराष्ट्र,  गुजरात, राजस्थान, मध्यप्रदेश, उत्तरप्रदेश और बिहार हैं। फरवरी में पत्तिया झड़ जाने के पश्चात इसके वृक्ष पर सफेद रंग के फूल लगते हैं, जो की पिछड़ी जनजातियों में उपभोग के लिए भी इस्तेमाल में लिए जाते हैं।

सामान्य तौर पर वृक्ष में फूल फरवरी से अप्रैल माह तक रहता है। इसमें फूल गुच्छों के स्वरुप में लगते हैं एक गुच्छे में 10-60 फूल लगते हैं। उसके पश्चात फल का मौसम जुलाई से अगस्त माह तक रहता है। इसके फल को आम भाषा में कलेंदी से जाना जाता है। जो दिखने में बेहद कुंदरू जैसा दिखता है।

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Madhuca longifolia: mahua ka ped का घरेलू इस्तेमाल भी होता है

भारत के गांव, जनजातियों के बीच इसका इस्तेमाल घरेलू औषधि एवं खाने के तौर पर लिया जाता था, जो कि आज भी कुछ क्षेत्रों में प्रचलित है। आयुर्वेदा में पेड़ से औषधि की भाँति इस्तेमाल किया जाता है।

गर्म क्षेत्रों में इसकी खेती इसके फूलों, बीजों और लकड़ी के लिए की जाती है। पशु–पक्षियों में भी इसका फल अत्यंत पसंदीदा भोजन है।

Madhuca longifolia: महुआ वृक्ष का क्या-क्या औषधीय इस्तेमाल है?

वैज्ञानिकों द्वारा किए गए शोध में यह पाया गया है, कि वृक्ष के कई भागों में अनेक गुण हैं। जैसे– इसके फूल में पीड़ानाशक, यकृत को सुरक्षित, विषाक्त मूत्र वर्धक एवं त्वचा रोधी रोगों से लड़ने की क्षमता होती है। इसकी पत्तियों में रक्तरोधी, जलन कम करने जैसे गुण विघमान होते हैं।

पत्तियों में पेट के रक्तस्राव, बवासीर जैसे रोगो से संरक्षण करने की भी क्षमता है। mahua ka ped (महुआ के पेड़) का औषधीय उपयोग (Medicinal uses of mahua) इसका फल– अस्थमा,  छाल – मधुमेह, गलेकेटॉन्सिल और बीज – जलन, घाव एवं मधुमेह में इस्तेमाल किया जाता है।