अत्यधिक गर्मी होने से बाजार में फलों की उपलब्धता में आएगी कमी

By: MeriKheti
Published on: 10-Mar-2023

आजकल गर्मी बढ़ने की वजह से भारत के विभिन्न क्षेत्रों में फलों एवं सब्जियों के उत्पादन में 10 से 30% फीसद तक की कमी देखने को मिलेगी। जैसे-जैसे गर्मी पास आ रही है। भारत में सब्जियों और फलों के उत्पादन का संकट बढ़ता दिख रहा है। विशेषज्ञों के अनुसार, आगामी दिनों में फल एवं सब्जियों के भाव सातवें आसमान पर हैं। इसका यह कारण है, कि वक्त से पूर्व गर्मी में बढ़ोत्तरी होने से फलों और सब्जियों के उत्पादन में करीब 30% प्रतिशत तक की गिरावट हो सकती है। नतीजतन इसका प्रभाव फलों के राजा आम पर वर्तमान से ही पड़ना शुरू हो गया है। किसानों के अनुसार, इस बार आम की बौर एवं फलों में काफी गिरावट देखने को मिली है। साथ ही, तापमान में अधिक वृद्धि होने की वजह से नींबू, तरबूज, केले, काजू और लीची की फसल भी प्रभावित हुई है।

(IIHR) के डायरेक्टर एसके सिंह ने इस विषय पर क्या कहा है

बेंगलुरु के इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ हॉर्टिकल्चर रिसर्च (IIHR) के डायरेक्टर एसके सिंह के अनुसार, गर्मी में अचानक वृद्धि की वजह से भारत के विभिन्न क्षेत्रों में फलों एवं सब्जियों के उत्पादन में 10 से 30% तक की कमी हो सकती है। इसकी वजह समय से पहले गर्मी का होना है। इसकी वजह से आम, लीची, केले, अवाकाडो, कीनू, और संतरे की फसल प्रभावित हुई है। फरवरी माह का औसत तापमान भारत में 29.5 डिग्री सेल्सियस रहा था जो कि एक रिकॉर्ड है।

आपूर्ति में गिरावट आने की संभावना है

मौसम विभाग के जरिए मार्च से मई माह के मध्य भारत के नार्थ वेस्ट क्षेत्रों में गर्म हवा चलने की संभावना जताई गई है। वहीं, गर्मी में वृद्धि होने की वजह से सब्जियां वक्त से पूर्व पक रही हैं। इसी कारण से सब्जियों की आपूर्ति आवश्यकता से अधिक हो सकती है। लेकिन, कुछ समयोपरांत इसमें गिरावट भी हो सकती है। साथ ही, इसकी आपूर्ति में कमी आने से सब्जियों के भाव में वृद्धि देखने को मिलेगी।

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भारत में अधिक आबादी होने से फलों व सब्जियों की होगी किल्लत

जैसा सा कि हम सब भली भाँति जानते हैं, कि भारत एक बड़ी आबादी वाला देश है। इसलिए यहां खाद्यान आपूर्ति को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र व राज्य सरकारें काफी सजग और जागरूक रहती हैं। इसके साथ ही भारत एक कृषि प्रधान देश भी है। उपरोक्त में सब्जिओं और फलों के विषय में जैसा वर्णन किया गया है। उसका एक कारण यहां की घनी आबादी भी है। यदि अनाज और बागवानी फसलों में कमी आती है, तो इसका प्रत्यक्ष रूप से इसका असर आम जनता पर पड़ता है।

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