World Soil Day: विश्व मृदा दिवस 5 दिसंबर को मनाया जाता है

विश्व मृदा दिवस: 5 दिसंबर को मनाया जाता है

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हर साल 5 दिसंबर को ‘विश्व मृदा दिवस’ (World Soil Day) मनाया जाता है, इस दिन का मकसद तेजी से बढ़ती जनसंख्या के चलते समस्याओं को भी उजागर करना है। मृदा जैसा की हम जानते है, कि मिट्टी हमारा जीवन का एक विशेष अंग है। बिना इसके हम जीवित नहीं रह सकते क्योंकि जीवित रहने के लिए हम जो अनाज या और कुछ खाते हैं, वो इसी में पैदा होता है। परंतु आज के इस डिजिटल युग में ज्यादा आधुनीकरण के कारण हम इस को दूषित करते जा रहे हैं। बढ़ती जनसंख्या के कारण भूमि कम होती जा रही है। विश्व मृदा दिवस का उदेश्य लोगो को मृदा के बचाव के लिए प्रेरित करना है और मृदा के उपजाऊपन में बढ़ोत्तरी करना है। भूमि की उपजाऊ शक्ति ज्यादा होगी तभी आज की बढ़ती जनसंख्या की खाने की आपूर्ति हो सकती है। भूमि को भूमि कटाव से भी बचाना और ज्यादा से ज्यादा पेड़ लगा कर पर्यावरण को भी बचाना इसका अहम उद्देश्य है।

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इस दिन का उदेश्य किसानों को भी मृदा संरक्षण के बारे में जागरूक करना है और उनको जैविक खेती की ओर अग्रसर करना है। क्योंकि आज कल किसान अपनी भूमि में ज्यादा रासायनिक ऊर्वरक का इस्तमाल कर रहे हैं। जिस से फसल का उत्पादन तो ज्यादा होता है, लेकिन इन में केमिकल होने के कारण ये भूमि में जो किसान मित्र कीट होते हैं उन्हे मार देते हैं और भूमि की उपजाऊ शक्ति को खत्म कर देते हैं। किसानों को अपनी भूमि को उपजाऊ बनाने का लिए गोबर की खाद का इस्तेमाल करने की जानकारी देना मृदा दिवस का मत्वपूर्ण लक्ष्य है।

5 दिसंबर को ही क्यों मनाया जाता है?

खबरों के मुताबिक थाईलैंड के महाराजा स्व. एच.एम भूमिबोल अदुल्यादेज ने अपने कार्यकाल में उपजाऊ मिट्टी के बचाव के लिए काफी काम किया था। उनके इसी योगदान को देखते हुए हर साल उनके जन्म दिवस के अवसर पर यानी 5 दिसंबर को विश्व मिट्टी दिवस के रूप में समर्पित करते हुए उन्हें सम्मानित किया गया। इसके बाद से हर साल 5 दिसंबर को मिट्टी दिवस मनाने की परंपरा शुरू हुई।

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