आखिर किस वजह से प्याज की कीमतों में आई रिकॉर्ड तोड़ गिरावट - Meri Kheti

आखिर किस वजह से प्याज की कीमतों में आई रिकॉर्ड तोड़ गिरावट

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प्याज का अत्यधिक उत्पादन होने की वजह से उसकी कीमतों पर काफी प्रभाव पड़ता दिख रहा है। देश की मंडियों में प्याज का भंडारण हो चुका है। दरअसल, प्याज की आवक जरूरत से ज्यादा होने की वजह से प्याज की उतनी खपत बाजार में नहीं हो पा रही है।

एक तरफ जहां चीनी उत्पादन कम होने के चलते इसकी कीमतें बढ़ने की अटकलें लगाई जा रही है, तो उधर दालों की भी कीमतें बढ़ गई हैं। परंतु, एक सहूलियत आमजनता को प्याज की कीमतों को लेकर जरूर मिल रही है। देश में प्याज की कीमतों में काफी गिरावट दर्ज की जा रही है। प्याज की कीमतें कम होने से जहां व्यापारी परेशान हैं। वहीं, किसान भी परेशान हो गए हैं। अब हम जानने का प्रयास करते हैं, कि प्याज की कीमतों का बुरा हाल आखिर क्यों हुआ है। इससे किसानों को क्या नुकसान हो सकता है।

इन राज्यों में हुआ प्याज का बेहतरीन उत्पादन

जानकारी के लिए बतादें कि भारत में राजस्थान, महाराष्ट्र और गुजरात में प्याज का रिकॉर्ड तोड़ उत्पादन हुआ है। इस उत्पादन की खपत करना ही किसानों के लिए मुश्किल होता जा रहा है। बेहतरीन उत्पादन होना ही कीमत कम होने की सबसे प्रमुख और बड़ी वजह मानी जा रही है। साथ ही, ओलावृष्टि और बेमौसम बारिश से मौसम में नमी अच्छी खासी हो गई है। इससे प्याज के खराब होने का खतरा काफी बढ़ गया है। किसान इसी वजह से औने-पौने कीमतों में अपनी प्याज बाजार में बेच रहे हैं।

मंडियों में जरुरत से ज्यादा प्याज का भंडारण

बेमौसम बरसात होने की वजह से प्याज की कीमतें काफी सस्ती होती जा रही है। प्याज बर्बाद न हो, इसी वजह से बड़ा भंडारण बाजार में भेजा जा रहा है। किसान प्याज खराब होने के भय से मंडियों में ले जा रहे हैं। मंडियों में अंधाधुंध प्याज का स्टॉक जमा होना शुरू हो चुका है। परंतु, बाजार में प्याज की खपत न होने की वजह से प्याज की कीमतों में बेहद गिरावट दर्ज की जा रही है।

प्याज 1 से 2 रुपए किलो तक बिकी है

विगत कुछ माह में प्याज की कीमतों की बुरी स्थिति हो रही है। मीडिया खबरों के मुताबिक, महाराष्ट्र के सोलापुर के रहने वाले किसान राजेन्द्र तुकाराम चौव्हाण ने फरवरी माह में 2 रुपये प्रति किलो में 512 किलो प्याज विक्रय कर दी थी। अनुमान लगाया जा सकता है, कि किसान 70 किलोमीटर वाहन से आने के उपरांत प्याज लादकर मंडी आए थे। मंडी में उनसे एक से दो रुपये प्रति किलो के हिसाब से प्याज खरीद लिया था। इससे तो उनका भाड़ा तक भी नहीं निकला पाया था।

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