बिहार में मशरूम की खेती कर महिलाएं हजारों कमा हो रही हैं आत्मनिर्भर

By: MeriKheti
Published on: 23-Oct-2022

बिहार राज्य के डॉक्टर दयाराम (Doctor Dayaram) ने लाखों महिलाओं एवं किसानों के जीवन को मशरूम या कुकुरमुत्ता (कवक; Mushroom) की खेती की बेहतर जानकारी देके उनकी आजीविका के लिए आय का स्त्रोत निर्मित किया है। कोरोना जैसी महामारी के चलते लोगों की आजीविका खतरे में आ गयी थी, इस समस्या को देखते हुए डॉक्टर दयाराम जी ने किसानों को मशरूम करके आय करने के लिए प्रेरित किया एवं भरपूर उनकी भरपूर सहायता भी की। डॉक्टर दयाराम जी को बिहार के मशरूम मैन (Mushroom Man) के नाम से भी जाना जाता है। इनके मशरूम की खेती के बारे में पूर्ण जानकारी एवं सहायता करने की वजह से सभी किसान उनको बेहद सम्मान और प्रेम के भाव से देखते हैं। डॉक्टर दायाराम जी द्वारा गरीबों की जिंदगी को बेहतर बनाने के लिए मशरूम को ही उनकी आजीविका का साधन बना दिया है। दयाराम जी की मेहनत एवं लगन के जरिये आज हजारों गरीब परिवारों को आय का स्त्रोत प्राप्त हो पाया है, साथ ही उनकी आजीविका में भी बेहद सुधार हुआ है। डॉक्टर दयाराम का कहना है कि उनके इस सराहनीय प्रयास से भूमिहीन मजदूर भी अपनी झुग्गी झोपडी में मशरूम उत्पादित कर, बिना किसी के आश्रित हुए अपना जीवन यापन कर सकते हैं।

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मशरूम की खेती को लेकर डॉक्टर दयाराम का क्या कहना है ?

डॉक्टर दयाराम जी ने बताया है कि कोरोना वायरस महामारी के चलते पूरे देश की ही अर्थव्यवस्था खतरे में आ गयी थी। सबसे ज्यादा प्रभावित बिहार के लोग हुए थे, इसका कारण यह है कि बिहार में औघोगिक इकाईओं की कमी है। जिसके चलते बिहार के लोगों को अपनी आजीविका के लिए अन्य प्रदेशों में जाना पड़ता है। कोरोना महामारी की वजह से हजारों मजदूरों का रोजगार समाप्त हो गया था,और उनको पुनः अपने राज्य में वापस आना पड़ा। ऐसी स्तिथि में मजदूरों का जीवन यापन बेहद कठिन हो गया था। इसलिए दयाराम जी ने मजदूरों को मशरूम की खेती के फायदे एवं उसे करने की पूरी विधि किसानों एवं मजदूरों से साझा की जिसको किसान व मजदूरों ने अपनाया और मशरूम उगाना शुरू कर दिया।

सर्वप्रथम यहां से की थी मशरूम की खेती

डॉक्टर दयाराम जी ने सर्वप्रथम समस्तीपुर जनपद के एक गांव में ईंट- भट्ठे पर कार्य करने वाले मजदूरों को मशरूम की खेती करने के लिए प्रेरित किया गया था, जिसके लिए दयाराम जी ने मजदूरों को अच्छी तरह खेती की विधि एवं बीज भी प्रदान किये। मशरूम की खेती मजदूरों के लिए एक नयी अजीब बात थी। विचित्र बात यह है की मजदूरों द्वारा ओएस्टर का थैला भी उनके पशुओं के रहने वाले स्थान पर ही लटकाया जाता था, जिसकी पूर्ण विधि महिलाओं ने भी जानी और आज महिलायें मशरूम की खेती कर आत्मनिर्भरता की राह पर चल रही हैं।

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कितना कमा सकते हैं मशरूम की खेती से ?

मशरूम की ओएस्टर वैरायटी की उपज लगभग न्यूनतम २५ और अधिकतम ४० डिग्री पर आसानी से होती है, जिसकी सहायता से एक परिवार प्रति माह १०-२० बैग मशरूम बेचकर ४ से ५ हजार रूपये की आय कर अपना जीवन यापन कर रहा है। इसकी पैदावार में लगभग २० से २५ दिन लग जाते हैं। समस्तीपुर से शंकर का कहना है जो कि खुद एक मशरूम के किसान है, पहले उनको मशरूम की खेती के बारे में कोई अंदाजा नहीं था। डॉक्टर दयाराम जी द्वारा किये गए प्रयास और अथक मेहनत से आज उनके परिवार की महिलाएं भी मशरूम उगा रही हैं, साथ ही आसपास के सभी लोग भी मशरूम उगाकर फायदा कमा रहे हैं।

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