Ad

लोबिया की खेती: उपयुक्त जलवायु, मिट्टी, उन्नत किस्में और उर्वरक प्रबंधन से जुड़ी सम्पूर्ण जानकारी

Published on: 22-May-2024
Updated on: 22-May-2024

लोबिया मानव भोजन का सबसे पुराना स्रोत है। दुनिया भर के रेगिस्तानी क्षेत्रों में एशिया, अफ़्रीकी महाद्वीप और दक्षिणी यूरोप, संयुक्त राज्य अमेरिका और दक्षिणी अमेरिका के हिस्सों में लोबिया की खेती की जाती है।

एशिया महाद्वीप पर भारत, दक्षिण लंका, बांग्लादेश, म्यांमार, चीन, कोरिया, थाईलैंड, नेपाल, पाकिस्तान, मलेशिया और फिलीपींस  इसके प्रमुख उत्पादक और उपभोक्ता है। 

लोबिया को मुख्य चारा, पोषक तत्व और औषधीय महत्व फसल के रूप में स्थापित किया है। किसान इसकी खेती से अच्छा मुनाफा कमाते है इसलिए आज के इस लेख में हम आपको लोबिया की खेती के बारे में विस्तार में जानकारी देंगे।

लोबिया की टेक्सोनोमी (Taxonomy of Cowpea)

लोबिया जीनस Vigna से संबंधित है, जो एक प्रवर्धित जीनस है। लोबिया का scientific नाम Vigna unguiculata है। लोबिया एक दलहनी पौधा है जिसमें पतली, लम्बी फलियाँ होती हैं। 

इन फलियों का उपयोग कच्ची अवस्था में सब्जी के रूप में किया जाता है। लोबिया की इन फलियों को बोड़ा, चौला या चौरा की फलियों के नाम से भी जाना जाता है।

लोबिया एक वार्षिक पौधा है जिसमें अलग-अलग वृद्धि के साथ एक मजबूत जड़ प्रणाली होती है। बीजपत्र नोड के ऊपर पत्तियों का पहला जोड़ा सरल और विपरीत होता है। 

ट्राइफोलियेट पत्तियाँ बारी-बारी से निकलती हैं और टर्ममैलीफ़लेट अक्सर अधिक लंबी और बड़े क्षेत्र की होती हैं।

ये भी पढ़ें: लोबिया दाल में सेहत के लिए बेहद फायदेमंद पोषक तत्व विघमान रहते हैं

लोबिया की खेती के लिए उपयुक्त जलवायु और मौसम 

इसकी खेती गर्म और आर्द्र जलवायु में की जाती है। लोबिया 27 - 35oC में बेहतर पनपता है और अम्लीय भूमि (acidic) में इसकी खेती सफलतापूर्वक की जा सकती है।

लोबिया की खेती मैदानी क्षेत्रों में फरवरी से मार्च व जून से जुलाई में की जाती है। लोबिया को मुख्य रूप से खरीफ की फसल के रूप में उगाया जाता है। ये फसल सूखे को भी सहन कर सकती है। 

लोबिया की खेती के लिए शुरुआत में बीजों को अंकुरित होने के लिए 20 डिग्री के आसपास तापमान की जरूरत होती है। अंकुरित होने के बाद इसके पौधे 35 डिग्री तापमान पर भी आसानी से विकास कर लेते है।

लोबिया फसल उत्पादन के लिए उपयुक्त मिट्टी

वैसे तो इसकी खेती हर प्रकार की मिट्टी में आसानी से की जा सकती है। अच्छी फसल प्राप्त करने के लिए उपजाऊ मिट्टी होनी बहुत आवश्यक है। 

इसकी खेती के लिएमटियार या रेतीली दोमट मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है। लोबिया की अच्छी फसल के लिए कार्बनिक पदार्थो से युक्त उपजाऊ मिट्टी को उपयुक्त माना जाता है।

लोबिया की खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6 से 8 के बीच होना बहुत आवश्यक है। 

लोबिया की उन्नत किस्में

अच्छी पैदावार लेने के लिए किस्मों का बहुत महत्व होता है। बुवाई से पहले उन्नत किस्मों का चुनाव बहुत आवश्यक है।

1. पंत लोबिया - 4

इस किस्म की लोबिया के पौधे लगभग डेढ़ फीट ऊंचे होते हैं। इस किस्म के पौधे कटाई के लिए 60 से 65 दिन बाद तैयार हो जाते हैं, जब बीज बोया जाता है। 

इस किस्म को अगेती फसल कहा जाता है। इस किस्म की फली लगभग आधा फिट की होती है। जिसके दाने सफेद हैं। जो प्रति हेक्टेयर 15 से 20 क्विंटल उत्पादन देते हैं।

2. Lobia 263

इस किस्म की लोबिया को रबी और खरीफ दोनों मौसमों में उगाया जा सकता है। 

जिनकी खेती अगेती फसल से की जाती है इस किस्म के पौधे पहली हरी फली की तुड़ाई के लिए बीज रोपाई के 40 से 50 दिन में तैयार हो जाते हैं।

जिनके प्रति हेक्टेयर उत्पादन लगभग 25 क्विंटल है। इस किस्म के पौधों में विषाणु जनित बीमारी नहीं आती है।

ये भी पढ़ें: उड़द की खेती - उन्नत किस्में, उपयुक्त जलवायु और बुवाई के तरीके

3. अर्का गरिमा

यह किस्म खम्भा प्रकार की किस्म कहलाती है, जिसकी ऊंचाई 2 से 3 मी. की होती है। इस किस्म को बारिश और बसंत ऋतु में आसानी से बो सकते हैं। 

रोपाई के लगभग 40 से 45 दिनों बाद पककर तैयार हो जाती है। इस किस्म से 80 क्विंटल प्रति हेक्टेेयर की दर के आसपास उत्पादन मिलता है।

4. पूसा ऋतुराज लोबिया

इस किस्म की फलिया 20 से 25 सेमी लम्बी होती है और लगभग 75 से 80 क्विंटल प्रति हेक्टेयर हरी फली देती है। यह किस्म तापमान और प्रकाश के प्रति बहुत संवेदनशील है।

5. GC-3

गुजरात एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी में विकसित किया गया है। यह 65-75 दिनों में पक जाती है और लगभग 9-15 क्विंटल उपज देता है। दक्षिण भारत के शुष्क, अर्ध-शुष्क और उबड़-खाबड़ क्षेत्रों के ये किस्म उपयुक्त मानी गयी है।

बीज की बुवाई और बीज उपचार

अच्छी पैदावार के लिए बीजों को उपचार करके ही बोना चाहिए। बीजों को उपचारित करके बोने से लगभग 95 प्रतिशत बीजों का अंकुरण सही होता है। 

साथ ही फसल में रोगों की संभावना कम हो जाती है। लोबिया बीजों को बुवाई से पूर्व प्रति किलोग्राम 2.5 ग्राम थीरम दवा से उपचारित कर विशिष्ट राइजोबियम कल्चर से शोधित करें।

लोबिया की खेती के लिए 25 से 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीजों की आवश्यकता पड़ती है। अच्छा दाना एवं हरी फलियों के लिए लोबिया की बीजों की बुवाई पंक्तियों में करनी चाहिए। 

बीजों की बुवाई 30 से 40 से.मी. करे अगर आपको बीज की फसल लानी है तो यदि फसल की बुवाई फलियों के लिए बुवाई पर 25 से 35 से.मी. की दूरी पर करें।

ये भी पढ़ें: Red Gram Farming - अरहर की खेती कैसे की जाती है?

फसल में उर्वरक और खाद प्रबंधन

खेत की तैयारी के दौरान 10 से 15 टन गोबर की खाद प्रति हेक्टेयर की दर से साधारण भूमि में मिट्टी में मिलाना चाहिए। 

30 किलोग्राम नाइट्रोजन, 50 किलोग्राम फास्फोरस और 40 किलोग्राम पोटाश प्रति हेक्टेयर लोबिया की अच्छी उपज के लिए प्रयोग करें। 

जिंक सल्फेट को भूमि और पौधों की आवश्यकतानुसार भी प्रयोग किया जा सकता है। लोबिया की बुवाई के बाद आवश्यकतानुसार हल्की सिंचाई करना उत्तम है। 

जायद के मौसम में तापमान बढ़ने पर हर सप्ताह या दसवे से बारहवे दिन सिंचाई करते रहें।

श्रेणी