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इस ड्राई फ्रूट की खेती से किसान कुछ समय में ही अच्छी आमदनी कर सकते हैं

Published on: 27-Apr-2023

अखरोट एक उम्दा किस्म का ड्राई फ्रूट है। जब हम ड्राई फ्रूट्स की बात करते हैं, तो अखरोट का नाम सामने ना आए ऐसा हो ही नहीं सकता है। साथ ही, अमेरिका अखरोट निर्यात के मामले में विश्व के अंदर प्रथम स्थान रखता है। हालांकि, चीन अखरोट का सर्वाधिक उत्पादक देश है। बतादें, कि अखरोट के माध्यम से स्याही, तेल और औषधि तैयार की जाती हैं। भारत के विभिन्न राज्यों में ड्राई फ्रूट्स की खेती की जाती है। परंतु, इसकी खेती पहाड़ी क्षेत्रों में अधिकांश होती है। ड्राई फ्रूट्स की मांग तो वर्षों से होती आई है। क्योंकि ड्राई फ्रूट्स के सेवन से शरीर को प्रचूर मात्रा में विटामिन्स और पोषक तत्वों की आपूर्ति होती है। साथ ही, इसकी कीमत भी काफी ज्यादा होती है। ऐसे में यदि किसान भाई ड्राई फ्रूट्स का उत्पादन करते हैं, तो वह कम वक्त में ही मालामाल हो सकते हैं। हालाँकि, ड्राई फ्रूट्स संतरा, अंगूर और सेब जैसे फलों की तुलना में महंगा बेचा जाता है। साथ ही, इसको दीर्घ काल तक भंड़ारित कर के रखा जा सकता है। यह मौसमी फलों के जैसे शीघ्र खराब नहीं होता है।

भारत में कितने ड्राई फ्रूट्स का उत्पादन किया जाता है

दरअसल, भारत में अंजीर, काजू, पिस्ता, खजूर, बादाम, अखरोट, छुहारा और सुपारी समेत विभिन्न प्रकार के ड्राई फ्रूट्स की खेती की जाती है। परंतु, अखरोट की बात तो बिल्कुल अलग है। पहाड़ी क्षेत्रों में इसका उत्पादन बड़े पैमाने पर किया जाता है। जम्मू- कश्मीर भारत में इसका सर्वोच्च उत्पादक राज्य है। अखरोट की भारत समेत अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भी काफी मांग है। इसकी खेती करने हेतु सर्द और गर्म, दोनों प्रकार की जलवायु अनुकूल मानी जाती है। परंतु, 20 से 25 डिग्री तक का तापमान इसके उत्पादन हेतु काफी अच्छा माना जाता है। ये भी पढ़े: अखरोट की फसल आपको कर देगी मालामाल जाने क्यों हो रही है ये खेती लोकप्रिय

अखरोट के पेड़ की ऊंचाई कितने फीट रहती है

बतादें, कि अखरोट की रोपाई करने से एक वर्ष पूर्व ही इसके पौधों को नर्सरी में तैयार किया जाता है। विशेष बात यह है, कि नर्सरी में ग्राफ्टिंग विधि के माध्यम से इसके पौधे तैयार किए जाते हैं। बतादें, कि 2 से 3 माह में नर्सरी में पौधे तैयार हो जाते हैं। अगर आप चाहें तो दिसंबर अथवा जनवरी माह में अखरोट के पौधों को खेत में रोपा जा सकता है। जम्मू- कश्मीर के उपरांत उत्तराखंड एवं हिमाचल प्रदेश में भी सबसे ज्यादा अखरोट की खेती की जाती है। बतादें, कि इसके पेड़ की ऊंचाई लगभग 40 से 90 फीट तक हो सकती है।

यह ज्यादातर 35 डिग्री एवं न्यूनतम 5 डिग्री तक तापमान सह सकता है

अखरोट को सूखे मेवा बतौर भी उपयोग किया जाता है। अमेरिका अखरोट का सर्वोच्च निर्यातक देश है। हालांकि, चीन अखरोट का सबसे बड़ा उत्पादक देश है। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि अखरोट के माध्यम से स्याही, औषधि और तेल तैयार किया जाता है। ऐसी स्थिति में किसान भाई इसका उत्पादन कर बेहतरीन आमदनी कर सकते हैं। परंतु, इसका उत्पादन उस भूमि पर संभव नहीं है, जहां जलभराव की स्थित हो। साथ ही, अखोरट का उत्पादन के लिए मृदा का पीएच मान 5 से 7 के मध्य उपयुक्त माना गया है। अखरोट को ज्यादातर 35 डिग्री एवं न्यूनतम 5 डिग्री तक तापमान सहन कर सकता है। अखरोट के एक वृक्ष से 40 किलो तक उत्पादन हांसिल किया जा सकता है। बाजार में अखरोट की कीमत सदैव 700 से 1000 रुपये के दरमियान रहती है। आप ऐसी स्थिति में अखरोट के एक पेड़ के जरिए न्यूनतम 28000 रुपये की आमदनी की जा सकती है।

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