ढेंचा की फसल: खेत को पोषण भी और किसान की इनकम भी

Published on: 29-Oct-2020

ढेंचा,सनई और मूंग कुछ फसलें ऐसी होती हैं जिनसे किसान को आमदनी के साथ साथ खेत को भरपूर मात्रा में जैविक खाद भी मिलता है. ढेंचा की बात करें तो इसकी पत्तियों में भरपूर पोषक तत्व होते हैं. जिससे खेत की मिटटी को फसल के लिए भरपूर खाद मिलता है. रासायनिक खाद के अंधाधुन्द प्रयोग से हमारी जमीन की उपजाऊ शक्ति दिन प्रतिदिन कम होती जा रही है इसको रोकने तथा जमीन में जीवाश्म की संख्या बढ़ने के लिए हमें हरी खाद की जरूरत होती है जिससे की हमारी जमीन भी तंदुरुस्त रहती है और हमें पैदावार भी अच्छी मिलती है.

बुवाई की तयारी

जब बारिश का मौसम शुरू होने वाला हो तो ढेंचा को हम खेत में जुताई करके डाल देते हैं या पलेवा करके भी हम इसको बो सकते हैं जिससे की समय से इसको बढ़वार का पर्याप्त समय मिल सके और जल्दी ही इसको हम खाद के रूप में उपयोग में ला सकें.

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खाद बनाने की विधि

सामान्यतः सभी किसान जानते हैं की ढेंचा को कितना समय तक खेत में खड़ा रखना चाहिए जिससे की खाद की मात्रा सही मिल सके और इसके गलने में भी समय ना लगे. ढेंचा को हम 45 से 60 दिन के अंदर खेत में जोत देते हैं अगर आप किसी पुराने तरीके से इसे खेत में मिलाने की सोच रहे हैं तो ध्यान रहे की 45 दिन में ही इसको खेत में जोत दें जिससे की इसकी कच्ची लकड़ी आसानी से खेत में गल सके और अगर आप नए यन्त्र प्रयोग करते हैं तो आप इसे 60 दिन से भी ज्यादा दिन तक जोत सकते हैं क्योंकि आज के समय में हम कई सारी आधुनिक मशीनों का प्रयोग करते है जैसे रोटावेटर, सुपर सीडर. रोटावेटर इसकी मजबूत लकड़ी को भी जमीन में मिला देता है. तो अगर हम जुताई में रोटावेटर का प्रयोग करते हैं तो हम इसके बढ़ने के किये थोड़ा समय दे सकते हैं.

ढेंचा का किसान के लिए उपयोग

ढेंचा को किसान हरी खाद के अलावा पका के लकड़ी और इसके बीज को दाल के रूप में भी प्रयोग करते हैं, इसका प्रयोग किसान अपने पशुओं को दाना देकर भी करते हैं. इसकी लकड़ी को चूल्हे में रोटी बनाने के तथा भूसा भरने के लिए भी किया जाता है. कई जगह किसान इसको पानी में डुबोकर इसका प्रयोग रस्सी बनाने में भी करते हैं.

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