बिना गाय और भैंस पालें शुरू करें अपना डेयरी सेंटर

Published on: 25-Dec-2022

गाय और भैंस पालना हर किसी के बस की बात नहीं है, लेकिन फिर भी बहुत से लोग ऐसे हैं जो डेयरी सेक्टर से जुड़ना चाहते हैं। बहुत बार जगह के अभाव के कारण या फिर इस क्षेत्र में अनुभव की कमी के कारण लोग गाय या भैंस पाल नहीं सकते हैं। लेकिन फिर भी दुग्ध से जुड़ा हुआ व्यापार करना चाहते हैं। इसी समस्या का समाधान करने के लिए सरकार ने एक बहुत ही अच्छी पहल की है। देश में जगह-जगह पर मिल्क कलेक्शन सेंटर बनाए जा रहे हैं।

क्या है मिल्क कलेक्शन सेंटर

बहुत से गांवों और शहरों में मिल्क कलेक्शन सेंटर का निर्माण किया जा रहा है। यह एक ऐसी जगह है, जहां पर आपके क्षेत्र के आसपास के दुग्ध उत्पादक लोग आकर अपने गाय या भैंस का दूध जमा करवा सकते हैं। मिल्क कलेक्शन सेंटर में कोई भी जानवर नहीं पाला जाता है, बल्कि जानवर रखने वाले व्यापारी स्वयं ही आकर वहां पर दूध जमा करवा देते हैं। यहां पर दूध को जमा करने के लिए बड़े-बड़े कंटेनर और कोल्ड स्टोरेज की व्यवस्था की जाती है। इसके बाद दूध को इकट्ठा करते हुए बड़ी-बड़ी कंपनियों को बेच दिया जाता है। मिल्क कलेक्शन सेंटर का फायदा कंपनी और सेंटर वालों को तो हो ही रहा है। साथ ही, अब दुग्ध उत्पादन करने वाले किसानों को भी अपना दूध बेचने के लिए किसी समस्या का सामना नहीं करना पड़ रहा है। पहले उन्हें दूध बेचने के लिए अपने घर और गांव से दूर शहर की ओर जाना पड़ता था। लेकिन आजकल वह गांव में रहते हुए ही दूध बेच सकते हैं।


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दूध को इकठ्ठा करने का है अच्छा तरीका

यहां पर आने वाले दूध का सैंपल चेक किया जाता है और इस सैंपल के बाद यह निर्धारित किया जाता है कि दूध में कितना फैट है। फैट के आधार पर ही दूध को अलग-अलग कंटेनर में डाल दिया जाता है और डिमांड के हिसाब से कंपनियों को दे दिया जाता है।

कंपनियों का रहता है कॉन्ट्रैक्ट

आप एक दुकान या कलेक्शन यूनिट बनवाकर मिल्क कलेक्शन सेंटर खोल सकते हैं। साथ ही, आपको कुछ बड़े बर्तन एक टैंक एवं कोल्ड स्टोरेज बनाना पड़ता है। केंद्र सरकार की डेयरी उद्यमिता योजना के चलते इस तरह का बिजनेस शुरू करने के लिए वित्तीय और तकनीकी दोनों ही तरह की मदद की जाती है। आप एक बार अपना सेटअप करने के बाद किसी भी दूध वाली कंपनी के साथ अपना कॉन्ट्रैक्ट शुरू कर सकते हैं और अपने मिल्क सेंटर में आने वाला सारा दूध इकट्ठा करके कंपनी तक पहुंचा देते हैं। ज्यादातर कंपनियां खुद ही अपने टैंक मिल्क कलेक्शन सेंटर तक भेज देते हैं और आप अपना दूध उनके द्वारा दी गई सुविधा के तहत ही कंपनी तक पहुंचा आते हैं। इस बिजनेस में सहकारी संघ काफी मदद करते हैं और एक समिति बनाकर आस-पास के गांव से दूध को इकट्ठा करके कंपनी के साथ एक कॉन्ट्रैक्ट कर लेते हैं। कंपनी समिति को तो पैसा देती ही है और यह समिति दूध बेचने वाले ग्रामीणों को भुगतान कर देती है।

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