किसान मिर्च की खेती करके काफी अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं

Published on: 05-Nov-2023

मिर्च खाने के लिए काफी अच्छी होती है। कैप्साइसिन रसायन मिर्च को काफी तीखा बनाता है, इसलिए यह ज्यादातर मसालों में इस्तेमाल किया जाता है। मिर्च को सॉस, अचार एवं दवाई बनाने में भी उपयोग किया जाता है। मिर्च में विटामिन ए, सी, फास्फोरस एवं कैल्शियम काफी हैं। मिर्च एक नगदी उत्पाद है, इसे किसी भी जलवायु में उगाया जा सकता है। मिर्च की उन्नत खेती करके कृषक काफी अच्छा मुनाफा हांसिल कर सकते हैं। मिर्च की खेती करने के लिए बेहतर जल निकासी वाली दोमट अथवा बलुई मृदा चाहिए, जिसमें ज्यादा कार्बनिक पदार्थ होते हैं। लवण और क्षार युक्त भूमि इसके लिए ठीक नहीं है। खेत की तीन-चार बार जुताई करके तैयार करना चाहिए। 1.25 से 1.50 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर खेती की आवश्यकता होती है।

मिर्च के पौधे की बिजाई

बतादें, कि प्रति क्यारी 50 ग्राम फोरेट एवं सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं। बीज को 2 ग्राम एग्रोसन जीएन, थीरम अथवा कैप्टान रसायन प्रति किलो ग्राम उपचारित करें। बीज को पंक्तियों में एक इंच के फासला पर बोकर मृदा एवं खाद से ढक दें। ऊपर पुआल अथवा खरपतवार से ढक देना चाहिए। बीज जमने के पश्चात खरपतवार को बाहर निकाल दें। मिर्च का पौधे की 25 से 35 दिन में बिजाई की जा सकती है। मिर्च को हमेशा रात को ही रोपाई करनी चाहिए। रोपाई के दौरान कतार और पौधों में 45 सेमी का फासला होना चाहिए। 85 से 95 दिन में हरी मिर्च फल देने लायक हो जाती है। सूखी मिर्च के फल की तुड़ाई 140-150 दिन पर रंग लाल होने पर करनी चाहिए।

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खेत में उर्वरक और खाद की मात्रा

200 कुंतल गोबर अथवा कंपोस्ट, 100 कुंतल नाइट्रोजन, 50 कुंतल फास्फोरस और 60 कुंतल पोटाश प्रति हेक्टेयर की जरूरत होती है। रोपाई से पूर्व कंपोस्ट में फास्फोरस की संपूर्ण मात्रा और नाइट्रोजन की आधी मात्रा दी जानी चाहिए। उसके पश्चात दो बार में शेष मात्रा दी जानी चाहिए। अगर कम वर्षा हो तो 10 से 15 दिन के समयांतराल पर सिंचाई करनी चाहिए। फसल की फूल और फल बनने के दौरान सिंचाई करनी चाहिए। सिंचाई नहीं होने पर फल और फूल काफी छोटे हो जाते हैं। खेत को खरपतवार रहित रखना चाहिए, जिससे कि बेहतरीन उत्पादन हो सके।

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