इस फूल की खेती से किसान तिगुनी पैदावार लेकर अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं

By: MeriKheti
Published on: 13-Mar-2023

किसान भाई आजकल कम खर्च में अधिक आय देने वाली फसलों की कृषि को अधिकाँश तवज्जो दे रहे हैं। ऐसी स्थिति में किसानों के मध्य फूलों का उत्पादन को लेकर लोकप्रियता बहुत बढ़ी है। इसी क्रम में महाराष्ट्र, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार कर्नाटक, आंध्र प्रदेश और ओडिशा के किसान उच्च स्तर पर सूरजमुखी की कृषि से मोटी आय अर्जित कर रहे हैं। रबी फसलों की कटाई केवल कुछ दिनों के अंदर ही चालू होने वाली है। इसके उपरांत कुछ माह खेत खाली रहेंगे, उसके उपरांत खरीफ की फसलों की खेती की शुरुआत हो जाएगी। रबी फसलों की कृषि आरंभ हो जाएगी। रबी फसलों की कटाई एवं खरीफ फसलों की बुवाई के मध्य किसान नगदी फसलों का उत्पादन कर सकते हैं। इसके चलते आप मार्च माह में सूरजमुखी के पौधों की भी कृषि कर सकते हैं। इस फसल की खेती पर भारत सरकार द्वारा अनुदान भी दिया जाता है।

सूरजमुखी के फूल की खेती के लिए उपयुक्त मिट्टी कौन-सी है

सूरजमुखी का पौधा तिलहन फसलों के अंतर्गत आता है। सूरजमुखी को साल में तीन बार उगाया जा सकता है। तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश, बिहार, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, ओडिशा और महाराष्ट्र में इसका उत्पादन बड़े रकबे पर की जाती है। रेतीली दोमट मिट्टी एवं काली मिट्टी इसके उत्पादन हेतु सर्वाधिक उपयुक्त मानी जाती है। जिस भूमि पर इसका खेती की जाती है। उसका पीएच मान 6.5 एवं 8.0 के मध्य होना आवश्यक है।

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सूरजमुखी के बीज का उपचार किस प्रकार होता है

खेतों में सूरजमुखी के बीज रोपने से पूर्व उसका उपचार करना काफी आवश्यक है। नहीं तो, विभिन्न बीज जनित बीमारियों से आपकी फसल प्रभावित होकर नष्ट हो सकती है। सर्व प्रथम सूरजमुखी के बीजों को साधारण जल में 24 घंटे के लिए भिगो दें एवं उसके बाद बुवाई से पूर्व छाया में सुखा लें। बीजों पर थीरम 2 ग्राम प्रति किग्रा व डाउनी फफूंदी से संरक्षण हेतु मेटालैक्सिल 6 ग्राम प्रति किलो अवश्य छिड़कें। इसके उपरांत ही एक निश्चित दूरी की क्यारियों में इसकी बुवाई करें। बुवाई के उपरांत जब पौधा निकल आए तब 20 से 25 दिनों के समयांतराल पर इसकी सिंचाई करते रहें।

सूरजमुखी फूल तैयार होकर कटाई के लिए कब तैयार हो जाता है

सूरजमुखी की फसल की कटाई तब की जाती है, जब समस्त पत्ते सूख जाते हैं। साथ ही, सूरजमुखी के फूल के सिर का पिछला हिस्सा नींबू पीला पड़ जाता है। समय लगने पर दीमक का संक्रमण हो सकता है एवं फसल नष्ट हो सकती है। सूरजमुखी के पौधे से तेल निकालने के अतिरिक्त औषधियों तक में इसका इस्तेमाल किया जाता है। कृषक इस फसल से कम खर्च, कम समय में लाखों की आय कर सकते हैं।

फूलों के उत्पादन से किसान लाखों कमा सकते हैं

फूलों के उत्पादन से किसान भाई काफी अच्छी आमदनी कर सकते हैं। यह बात अब किसान समझने भी लगे हैं। इसलिए आजकल किसान फूलों की खेती करने की दिशा में अपनी काफी रूचि दिखा रहे हैं। भारत के अधिकांश किसान आज भी परंपरागत खेती किया करते हैं। जिसकी वजह से किसानों को कोई खास प्रगति या उन्नति नहीं मिल पाती है। किसान भाई काफी सजग और जागरूक दिखाई दे रहे हैं। तभी आज फूलों की खेती के रकबे मे काफी वृद्धि देखने को मिल रही है।

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