मौसम में निरंतर बदलाव होने के कारण ठण्ड में भी वृद्धि हो रही हैं। इस मौसम में फसलों और पशुओं की विशेष देखभाल की जरूरत होती है, पर किसानों को इसकी पूरी जानकारी नहीं होती।
इसी को देखते हुए भारत मौसम विज्ञान विभाग चंडीगढ़ ने हरियाणा और पंजाब के किसानों को सलाह दी है, जिसके आधार पर किसान अपने फसलों और जानवरों को मानसून में होने वाली क्षति से बचा सकेंगे।
किसानों को बताया गया है कि वह इस मौसम में कैसे अपनी फसल और पशुधन का ध्यान रखें।
इस समय नवंबर में बोए गए गेहूं की दूसरी सिंचाई करें और दिसंबर में बोए गए गेहूं की पहली सिंचाई करें।
देर से बोए गए गेहूं में पहली सिंचाई के साथ दूसरी नाइट्रोजन की खुराक दें।
जिंक की कमी के लिए 25 किलोग्राम जिंक सल्फेट (21% जिंक) प्रति एकड़ सूखी मिट्टी में मिलाकर छिड़कें या 0.5% जिंक सल्फेट का 2-3 बार स्प्रे करें (1 कि.ग्रा. जिंक सल्फेट और 1/2 कि.ग्रा. बुझा हुआ चूना 200 लीटर पानी में मिलाएं)।
जल्दी परिपक्व होने वाली गन्ना किस्मों (जैसे CoPb 95, CoPb 96, Co 15023) की कटाई और पेराई शुरू करें।
गन्ने के टॉप बोरर के नियंत्रण के लिए 10 कि.ग्रा. फर्टेरा 0.4 GR या 12 कि.ग्रा. कार्बोफुरान 3G का छिड़काव करें यदि नुकसान 5% से अधिक हो। फसल की सिंचाई हर महीने करें।
सरसों की फसल को (पाले) ठंड से बचाने के लिए सिंचाई करें।
सफेद जंग (व्हाइट रस्ट) के नियंत्रण के लिए 250 ग्राम रिडोमिल गोल्ड को 100 लीटर पानी में मिलाकर 60 और 80 दिन पर छिड़कें।
5 दिसंबर से 25 जनवरी के बीच सरसों की सिंचाई न करें ताकि स्क्लेरोटिनिया स्टेम रॉट को रोका जा सके।
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आलू की फसल का नियमित निरीक्षण करें और वायरस संक्रमित पौधों को हटा दें।
लेट ब्लाइट से बचाने के लिए इंडोफिल एम-45/मार्कज़ेब/कवच (500-700 ग्राम/एकड़) या कॉपर ऑक्सीक्लोराइड 50 WP (750-1000 ग्राम/एकड़) का छिड़काव 250-350 लीटर पानी में मिलाकर 7 दिन के अंतराल पर करें।