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जानें भारत में सबसे बड़े पैमाने पर की जाने वाली फसलों से संबंधित महत्वपूर्ण जानकारी

Published on: 28-Dec-2022

भारत एक कृषि प्रधान देश है। यहां की 70 प्रतिशत आबादी खेती किसानी पर ही निर्भर रहती है। कोरोना जैसी महामारी में भी केवल कृषि क्षेत्र ने ही देश की अर्थव्यवस्था को संभाला था। भारत में कृषि को देश की रीढ़ की हड्डी माना जाता है। भारत पहले से ही बहुत सारी फसलों का बहुत बड़े पैमाने पर उत्पादन किया जाता है। इन फसलों के अंतर्गत मक्का, दलहन, तिलहन, चाय, कॉफी, कपास, गेहूं, धान, गन्ना, बाजरा आदि शम्मिलित हैं। अन्य देशों की तुलना में भारत की भूमि कृषि हेतु अत्यधिक बेहतरीन व उपजाऊ होती है।

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देश में दलहन और तिलहन का उत्पादन बढ़ाने के प्रयास करेगी सरकार, देश भर में बांटेगी मिनी किट भारत में प्रत्येक फसल उत्पादन हेतु विशेष जलवायु एवं मृदा उपलब्ध है। जैसा कि हम जानते ही हैं, कि फसल रबी, खरीफ, जायद इन तीन सीजन में की जाती है, इन सीजनों के अंतर्गत विभिन्न फसलों का उत्पादन किया जाता है। भारत की मृदा से उत्पन्न अन्न का स्वाद विदेशी लोगों को भी बहुत भाता है। आंकड़ों के अनुसार भारत में बाजरा, मक्का, दलहन, तिलहन, कपास, धान, गेहूं से लेकर गन्ना, चाय, कॉफी का उत्पादन विशेष तौर पर किया जाता है, परंतु इन फसलों में से धान की फसल का उत्पादन भारत के सर्वाधिक रकबे में उत्पादित की जाती है।

कौन कौन से राज्यों में हो रही है, धान की खेती

हालाँकि धान एक खरीफ सीजन की प्रमुख नकदी फसल है। साथ ही, देश की आहार श्रृंखला के अंतर्गत धान सर्वप्रथम स्थान पर आता है। भारत के धान या चावल की खपत देश में ही नहीं विदेशों में भी भारतीय चावल की बेहद मांग है। एशिया के अतिरिक्त विभिन्न देशों में प्रतिदिन चावल को आहार के रूप में खाया जाता है। यही कारण है, कि किसान निर्धारित सीजन के अतिरिक्त भी विभिन्न राज्यों में बारह महीने धान का उत्पादन करते हैं। अगर हम धान का उत्पादन करने वाले कुछ प्रमुख राज्यों के बारे में बात करें, तो पंजाब, हरियाणा, बिहार, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और आन्ध्र प्रदेश में धान का उत्पादन अच्छे खासे पैमाने पर किया जाता है।

धान की खेती किस प्रकार की जाती है

चावल केवल भारत के साथ-साथ विभिन्न देशों की प्रमुख खाद्यान्न फसल है। धान की फसल के लिए सबसे जरूरी बात है, इसको जलभराव अथवा ज्यादा बरसात वाले क्षेत्र धान के उत्पादन हेतु बेहतर साबित होते हैं। इसकी वजह यह है, कि धान का अच्छा उत्पादन प्राप्त करने हेतु बहुत ज्यादा जल आपूर्ति की जरूरत होती है। विश्वभर में धान की पैदावार के मामले में चीन पहले स्थान पर है, इसके उपरांत भारत दूसरे स्थान पर धान उत्पादक के रूप में बनकर उभरा है। चावल की खेती करते समय 20 डिग्री से 24 डिग्री सेल्सियत तापमान एवं 100 सेमी0 से ज्यादा बारिश एवं जलोढ़ मिट्टी बहुत अच्छी होती है। भारत में मानसून के दौरान धान की फसल की बुवाई की जाती है, जिसके उपरांत धान की फसल अक्टूबर माह में पकने के उपरांत कटाई हेतु तैयार हो जाती है।

इन राज्यों में धान का उत्पादन 3 बार होता है

देश के साथ अन्य देशों में भी धान की काफी खपत होती है, इसी वजह से धान की फसल कुछ राज्यों के अंदर वर्षभर में 3 बार उत्पादित की जाती है। इन राज्यों के अंतर्गत ओडिशा, पश्चिम बंगाल एवं असम प्रथम स्थान पर आते हैं, जो धान के उत्पादन हेतु प्राकृतिक रूप से समृद्ध राज्य हैं। इन राज्यों में कृषि रबी, खरीफ अथवा जायद के अनुरूप नहीं बल्कि ऑस, अमन व बोरो अनुरूप वर्ष में तीन बार धान की फसल का उत्पादन किया जाता है।

जलवायु परिवर्तन से क्या हानि हो सकती है

धान एक प्रमुख नकदी फसल तो है, परंतु ग्लोबल वार्मिंग एवं मौसमिक बदलाव के कारण से फिलहाल धान के उत्पादन में बेहद हानि हुई है। वर्ष 2022 भी धान के किसानों हेतु अत्यंत चिंताजनक रहा है। देरी से हुए मानसून की वजह से धान की रोपाई ही नहीं हो पाई है, बहुत सारे किसानों द्वारा धान की रोपाई की जा चुकी थी। परंतु अक्टूबर माह में कटाई के दौरान बरसात की वजह से आधे से ज्यादा धान नष्ट हो गया, इसलिए वर्तमान में चावल के उत्पादन की जगह पर्यावरण एवं जलवायु के अनुरूप फसलों के उत्पादन को प्रोत्साहन दिया जाता है।

धान की फसल के लिए योजनाएं एवं शोध

प्रत्येक खरीफ सीजन के दौरान समय से पूर्व धान का उत्पादन करने वाले किसानों हेतु बहुत सारी योजनाएं जारी की जाती हैं। साथ ही, कृषि के व्यय का भार प्रत्यक्ष रूप से किसानों को प्रभावित न कर सके। विभिन्न राज्य सरकारें न्यूनतम दरों पर चावल की उन्नत गुणवत्ता वाले बीज प्रदान करती हैं। धान की सिंचाई से लेकर कीटनाशक व उर्वरकों हेतु अनुदान दिया जाता है। धान की खेती के लिए मशीनीकरण को प्रोत्साहन दिया जा रहा है। साथ ही, धान की फसल को मौसमिक प्रभाव से संरक्षण उपलब्ध कराने हेतु फसल बीमा योजना के अंतर्गत शम्मिलित किया गया है। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा मिशन, हाइब्रिड चावल बीज उत्पादन एवं राष्ट्रीय कृषि विकास योजना आदि भी चावल का उत्पादन करने वाले कृषकों को आर्थिक एवं तकनीकी सहायता मुहैय्या कराती है। चावल के सबसे बड़े शोधकर्ता के आधार पर अन्तर्राष्ट्रीय चावल अनुसन्धान संस्थान, मनीला (फिलीपींस) एवं भारत में राष्ट्रीय चावल अनुसन्धान संस्थान, कटक (उड़ीसा) पर कार्य कर रहे हैं, जो किसानों को धान की वैज्ञानिक कृषि करने हेतु प्रोत्साहित कर रहे हैं।

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