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कुट्टू की खेती से किसान रातोंरात हो सकते हैं मालामाल, ऐसे करें खेती

Published on: 04-Apr-2023

कुट्टू एक ऐसा अनाज है जिसकी पैदावार देश में सीमित स्थानों पर होती है। पहाड़ी क्षेत्रों में रहने वाले किसान इसकी खेती ज्यादा करते हैं। कुट्टू में अन्य अनाजों की तुलना में पोशक तत्वों की प्रचुर मात्रा पाई जाती है। चूंकि इसकी खेती सीमित मात्रा में और सीमित इलाकों में होती है इसलिए इसके रेट भी धान, गेहूं और अन्य मोटे अनाजों की तुलना में ज्यादा होते हैं। ऐसे में किसान कुट्टू की खेती करके अच्छी खासी आमदनी हासिल कर सकते हैं।

इन उत्पादों को बनाने में इस्तेमाल होते हैं कुट्टू के बीज

कुट्टू के बीजों से आटा बनाया जाता है जो बाजार में ऊंचे दामों पर बिकता है। इसके साथ ही इसके बीजों से नूडल, सूप, चाय और ग्लूटिन फ्री-बीयर भी बनाई जाती है। कुट्टू के पेड़ के तने का उपयोग सब्जी बनाने में किया जाता है, इसके साथ ही इसके फूल और पत्तियों से कई तरह की हर्बल दवाइयों का निर्माण किया जाता है। ये भी पढ़े: इस हर्बल फसल की खेती करके कमाएं भारी मुनाफा, महज तीन महीने में रकम होगी 3 गुना

ऐसे करें कुट्टू की खेती

कुट्टू के खेती के लिए ऐसी जमीन उपयुक्त मानी जाती है जिसमें मार्च, अप्रैल में भी पर्याप्त नमी बनी रहती हो। ऐसी परिस्थितियां पहाड़ी इलाकों में आसानी से मिल जाती हैं इसलिए इस अनाज की खेती वहीं पर सर्वाधिक की जाती है। इसकी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मान 6.5 से 7.5 के बीच होना चाहिए। इसके साथ ही बुवाई के पहले खेत को तीन से चार बार जुताई करके अच्छे से तैयार कर लें। कुट्टू के बीजों की बुवाई छिड़काव विधि से की जाती है। छिड़काव के बाद किसान भाई पाटा चलाकर बीजों को पूरी तरह से ढंक दें। एक हेक्टेयर कृषि भूमि में 40 से लेकर 80 किलोग्राम तक कुट्टू के बीज बोए जा सकते हैं। बीजों की बुवाई की मात्रा उनकी किस्मों पर निर्भर करती है। बुवाई के वक्त ध्यान रखें की पंक्ति से पंक्ति की दूरी 30 सेंटीमीटर और पौधे से पौधे की दूरी 10 सेंटीमीटर होना जरूरी है। ये भी पढ़े: अप्रैल माह में किसान भाई इन फसलों की बुवाई करके कमाएं मोटा मुनाफा

इस प्रकार से करें उर्वरक और कीटनाशकों का प्रयोग

कुट्टू की फसल में उर्वरक डालने से अच्छा उत्पादन प्राप्त होता है। एक हेक्टेयर फसल में 40 किलोग्राम नाइट्रोजन, 20 किलोग्राम पोटाश और 20 किलोग्राम फॉस्फोरस को मिश्रित करके डालना चाहिए। इसके साथ ही फसल की कम से कम 5 से 6 बार सिंचाई करना चाहिए। इस बात का ध्यान रखें कि खेत में हमेशा नमी बनी रहे। कुट्टू की फसल में कीटों का हमला नहीं होता है। इसलिए इस खेती में किसी भी प्रकार के कीटनाशक का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

कटाई और पैदावार

इस फसल में बीजों के झड़ने की समस्या सबसे ज्यादा होती है ऐसे में जब फसल 80 फीसदी पक जाए तब कटाई शुरू कर दें। कटाई के बाद फसल का गट्ठर बनाकर, इसे सुखाने के बाद गहाई करनी चाहिए। एक हेक्टेयर में लगभग 13 क्विंटल तक कुट्टू का उत्पादन हो जाता है। इस हिसाब से कुट्टू की खेती करके किसान भाई कम समय में  मालामाल हो सकते हैं।

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