इस हर्बल फसल की खेती करके कमाएं भारी मुनाफा, महज तीन महीने में रकम होगी 3 गुना

इस हर्बल फसल की खेती करके कमाएं भारी मुनाफा, महज तीन महीने में रकम होगी 3 गुना

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इन दिनों दुनिया में हर्बल प्रोडक्ट्स की मांग तेजी से बढ़ती जा रही है। जिसको देखते हुए दुनिया भर के किसान हर्बल खेती की तरफ आकर्षित हो रहे हैं, क्योंकि मांग बढ़ने से हर्बल प्रोडक्ट्स ऊंचे दाम में बेंचे जा रहे हैं जिसका फायदा किसानों को भी हो रहा है। इसके अलावा हर्बल खेती में अन्य खेती के मुकाबले लागत भी बेहद कम लगती है साथ ही इस खेती में किसानों को मेहनत भी कम करनी होती है। इन कारणों से किसान भाई लगातार हर्बल खेती की तरफ प्रेरित हो रहे हैं।

अगर हम हर्बल उत्पादों की बात करें तो ये उत्पाद अपने औषधीय गुणों के लिए जाने जाते हैं। इन उत्पादों का उपयोग ज्यादातर दवाइयां बनाने में किया जाता है। इसके साथ ही ब्यूटी प्रोडक्ट्स बनाने में भी इन उत्पादों का बड़े स्तर पर उपयोग किया जाता है। खास कर मेंथा का तेल इस मामले में बहुत प्रसिद्ध है, जिससे न केवल सुगंधित इत्र बल्कि इससे कई तरह की दवाइयां भी बनाई जाती हैं। यह बेहद कम लागत वाली खेती होती है, जिससे किसान भाई बहुत ही जल्दी अच्छी खासी कमाई कर सकते हैं। मेंथा की खेती में लागत से 3 गुना ज्यादा तक मुनाफा होता है। चूंकि यह एक औषधीय खेती है इसलिए इसकी खेती करने से खेत की उर्वरा शक्ति भी तेजी से बढ़ती है।

दुनिया में मेंथा के तेल का सबसे बड़ा उत्पादक देश है भारत

मेंथा का तेल का उत्पादन दुनिया में सबसे ज्यादा भारत में किया जाता है। मेंथा को भारत में मिंट के नाम से भी जानते हैं। इसका उत्पादन ज्यादातर उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश में किया जाता है। उत्तर प्रदेश में पीलीभीत, सोनभद्र, बदायूं, रामपुर, बाराबंकी और फैजाबाद जिले इसके उत्पादन के लिए प्रसिद्ध हैं। जबकि मध्य प्रदेश में इसका उत्पादन छतरपुर, टीकमगढ़ और सागर जिले में किया जाता है। मेंथा का तेल की बिक्री हाथोंहाथ हो जाती है, क्योंकि दवाइयां निर्माता कंपनियां इस तेल को किसानों से सीधे खरीद ले जाती हैं।

एक एकड़ में होता है जबरदस्त उत्पादन

किसानों को मेंथा की खेती के पहले कई बातों का ध्यान रखना बेहद जरूरी है। जैसे खेत में सिंचाई की पर्याप्त व्यवस्था होनी चाहिए। क्योंकि इस खेती में पानी की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। इसके साथ ही किसान भाई जिस खेत में मेंथा की खेती करना चाहते हैं उसे पहले अच्छे से जुताई करके तैयार कर लें। इसके बाद फरवरी से अप्रैल माह के बीच मेंथा कि बुवाई कर दें। यदि सही समय पर मेंथा की बुवाई की गई है तो फसल तीन माह में तैयार हो जाएगी। जून माह में इस फसल की कटाई कर लें और कुछ दिनों तक सूखने के लिए इसे खेत पर ही छोड़ दें। धूप में अच्छी तरह से सूखने के बाद फसल को प्लांट पर भेजा जाता है जहां इसका तेल निकाला जाता है। मेंथा की खेती से किसान भाई एक एकड़ जमीन में लगभग 100 लीटर तेल प्राप्त कर सकते हैं।

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अगर बाजार में मेंथा के तेल के भाव की बात करें तो यह 1,000 से 1,500  रुपये प्रति लीटर तक बिकता है। जबकि इस फसल को एक एकड़ में लगाने पर मात्र 25 हजार रुपये का खर्चा आता है। इस हिसाब से किसान भाई मात्र एक एकड़ में मेंथा की फसल लगाकर सवा लाख रुपये तक की कमाई बेहद आसानी से कर सकते हैं

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