आम के बगीचे में फलों में लगने वाले रोगों से बचाव की महत्वपूर्ण सलाह

By: Merikheti
Published on: 18-Mar-2024

भा.कृ,अनु.प, केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान (ICAR, Central Institute of Subtropical Horticulture) के द्वारा किसानों के लिए मार्च महीने में आम के बगीचे से जुड़ी 5 महत्वपूर्ण सलाह जारी की है। 

ताकि किसान वक्त रहते आम के बगीचे की देखरेख (Mango orchard maintenance) करके शानदार उपज हांसिल कर सकें।

गर्मी के मौसम में बाजार के अंदर सबसे ज्यादा आम की मांग रहती है। इस दौरान किसान आम की खेती से ज्यादा आमदनी प्राप्त कर सकते हैं। परंतु, सामान्यतः देखा गया है, कि आम की फसल में कई बार कीट व रोग लगने से किसानों को बड़े नुकसान का सामना करना पड़ता है। 

अब ऐसी स्थिति में भारतीय मौसम विज्ञान विभाग ने कृषकों के लिए मार्च माह में आम के बगीचों से जुड़ी जरूरी सलाह जारी की है। जिससे किसान वक्त रहते आम के बगीचे से अच्छा मुनाफा प्राप्त कर सकें।

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आम के बगीचे से शानदार फायदा पाने के लिए किसानों को मार्च माह में केवल 5 बातों का ध्यान रखना है, जोकि भा.कृ,अनु.प, केन्द्रीय उपोष्ण बागवानी संस्थान रहमानखेड़ा, पो.काकोरी, लखनऊ के द्वारा जारी की गई है। ऐसे में आइए इन 5 महत्वपूर्ण सलाहों के बारे में विस्तार से जानते हैं।

खर्रा रोग की रोकथाम हेतु सलाह

विभाग के द्वारा जारी की गई जानकारी के मुताबिक, इस सप्ताह उत्तर प्रदेश में खर्रा रोग से क्षति की संभावना जताई गई है. 

अगर फसल में 10 प्रतिशत से अधिक पुष्पगुच्छों पर खर्रा की उपस्थिति देखी जाती है, तो टेबुकोनाजोल+ट्राइफ्लॉक्सीस्ट्रोबिन (0.05 प्रतिशत) या हेक्साकोनाजोल (0.1 प्रतिशत) या सल्फर (0.2 प्रतिशत) का छिड़काव किया जा सकता है.

आम के भुनगा कीट की रोकथाम के लिए सलाह 

आम का भुनगा (फुदका या लस्सी) एक बेहद हानिकारक कीट है, जो आम की फसल को बड़ी गंभीर हानि पहुँचा सकता है। यह बौर, कलियों तथा मुलायम पत्तियों पर एक-एक करके अंडे देते हैं और शिशु अंडे से एक सप्ताह में बाहर आ जाते हैं। 

बाहर आने के पश्चात शिशु एवं वयस्क पुष्पगुच्छ (बौर), पत्तियों तथा फलों के मुलायम हिस्सों से रस को चूस लेते हैं। इससे वृक्ष पर बौर खत्म हो जाता है। इसकी वजह से फल बिना पके ही गिर जाते हैं। 

भारी मात्रा में भेदन तथा सतत रस चूसने की वजह से पत्तियां मुड़ जाती हैं और प्रभावित ऊतक सूख जाते हैं। यह एक मीठा चिपचिपा द्रव भी निकालते हैं, जिस पर सूटी मोल्ड (काली फफूंद) का वर्धन होता है। 

सूटी मोल्ड एक तरह की फफूंद होती है, जो पत्तियों में होने वाली प्रकाश संश्लेषण की क्रिया को कम करती है। अगर समय पर हस्तक्षेप नहीं किया गया, तो गुणवत्ता वाले फल की पैदावार प्रभावित होगी। 

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अब ऐसी स्थिति में किसानों को सलाह दी जाती है, कि यदि पुष्पगुच्छ पर भुनगे की मौजूदगी देखी जा रही है, तो तत्काल इमिडाक्लोप्रिड (0.3 मि.ली./ली. पानी) तथा साथ में स्टिकर (1 मि.ली./ली. पानी) छिड़काव करना चाहिए। 

पुष्प गुच्छ मिज की रोकथाम हेतु सलाह

आम के पुष्प एवं पुष्प गुच्छ मिज अत्यंत हानिकारक कीट हैं, जो आम की फसल को काफी प्रभावित करते हैं। मिज कीट का आक्रमण वैसे तो जनवरी महीने के आखिर से जुलाई माह तक कोमल प्ररोह तने एवं पत्तियों पर होता है। 

परंतु, सर्वाधिक नुकसान बौर एवं नन्हें फलों पर इसके द्वारा ही किया जाता है। इस कीट के लक्षण बोर के डंठल, पत्तियों की शिराओं अथवा तने पर कत्थई या काले धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं। धब्बे के बीच भाग में छोटा सा छेद होता है।

प्रभावित बौर व पत्तियों की आकृति टेढ़ी-मेढ़ी हो जाती है। प्रभावित इलाकों से आगे का बौर सूख भी सकता है। किसान भाइयों को सलाह दी जाती है, कि इस कीट की रोकथाम हेतु जरूरत के अनुसार डायमेथोएट (30 प्रतिशत सक्रिय तत्व) 2.0 मि.ली. प्रति लीटर पानी की दर से स्टिकर (1.मि.ली/ली.पानी) के साथ छिड़काव करें।

आम के बगीचे में थ्रिप्स की रोकथाम हेतु सलाह

दरअसल, आने वाले कुछ दिनों के दौरान आम के बौर पर थ्रिप्स का संक्रमण दर्ज किया जा सकता है। अगर आम के बगीचों में इसका संक्रमण देखा जाता है, तो थायामेथोक्साम (0.33 ग्राम/लीटर) के छिड़काव द्वारा तुरंत इसको प्रबंधित करें।

आम के गुजिया कीट की रोकथाम हेतु सलाह

आम के बागों में गुजिया कीट की गतिविधि जनवरी महीने के पहले सप्ताह से शुरू हो जाती है। यदि बचाव के उपाय असफल होते हुए कीट बौर और पत्तियों तक पहुंच गया है, 

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तो किसानों से अनुरोध है कि इसके प्रबंधन हेतु आवश्यक कार्यवाही शीघ्र करें। अगर कीट बौर और पत्तियों तक पहुंच गया हो तो कार्बोसल्फान 25 ई.सी का 2 मिली./ली.पानी में घोल बनाकर छिड़काव करें।

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