सरसों किसानों को बांटा निशुल्क बीज

Published on: 21-Oct-2020

सरसों अनुसंधान निदेशालय, भरतपुर में तीन दिवसीय किसान प्रशिक्षण एवं बीज और आदान वितरण कार्यक्रम का आयोजन किया गया। निदेशक डाॅ. पी. के. राय ने किसानों को सम्बोधित करते हुए कहा कि सरसों अनुसंधान निदेशालय की स्थापना के बाद देश में विशेषकर राजस्थान में राई-सरसों की खेती को नई दिशा मिली और इस प्रदेश के किसानों की आर्थिक तरक्की में सरसों फसल का विषेश योगदान रहा। देश में खाद्य तेलों की आवष्यकता पूरी करने एवं तिलहनी फसलों विषेशकर राई-सरसोें की उत्पादकता एवं उत्पादन बढाने के लिए विषेश प्रयासों के साथ आज एक नई तिलहन क्रांति की आवश्यकता है। देश मे विभिन्न जलवायु परिस्थितियों के अनुरूप सरसों की कई उन्नत किस्मों का विकास किया गया है। खेती में वैज्ञानिक तकनीकों का समावेश करना चाहिए। सरसों की खेती वैज्ञानिकों की सलाह से करने पर उत्पादन में बढोत्तरी होगी। वैज्ञानिकों द्वारा विकसित तकनीकों एवं किस्मों को सही तरीके से अपनाने से सरसों फसल की पैदावार दुगनी की जा सकती है। प्रधान वैज्ञानिक डाॅ. अशोक कुमार शर्मा ने कहा कि वैज्ञानिक खेती की अनुषंसित तकनीको को अच्छी तरह समझकर उनका उपयोग करना चाहिए। प्रशिक्षण प्राप्त किसानों को मास्टर ट्रेनर के रूप मे दूसरे किसानों को प्रशिक्षण देना चाहिये। निदेशालय द्वारा भौगोलिक परिस्थितियों एवं किसानों की मांग के अनुरूप उन्नत किस्मों एवं तकनीकों का विकास किया गया है । प्रशिक्षित किसान अपने खेत में प्रदर्षन लगाकर उन तकनीकों एवं किस्मों की उपज क्षमता का आंकलन करे तथा दूसरे किसानों को उन्हे अपनाने के लिए प्रेरित करे। डाॅ. शर्मा ने कहा कि सरसों उत्पादन के साथ -साथ मधुमक्खी पालन करके भी हम अतिरिक्त आय कमा सकते है जिससे किसान भाइयों की आर्थिक स्थिति में भी सुधार होगा। डाॅ. मोहन लाल दौतानियाॅ, वैज्ञानिक ने किसानों से अनुरोध किया कि फसल उत्पादन करने के लिए सन्तुलित मात्रा में रसायनिक उर्वरकों का प्रयोग करना चाहिए तथा अधिक से अधिक गोबर की खाद का फसल उत्पादन में प्रयोग करे। इसके साथ-साथ मृदा परीक्षण के आधार पर विभिन्न पोशक तत्वों की उचित मात्रा भी खेत में ड़ालनी चाहिए जिससे मृदा व फसल गुणवता में बढ़ोत्तरी होगी। वैज्ञानिक डाॅ. मुरलीधर मीणा ने किसानों को केंचुएं की खाद, कम्पोस्ट बनाने के बारे में विस्तृत चर्चा की। विभिन्न जैविक खाद का प्रयोग करके किसान रसायनिक खादों की अनुषंसित मात्रा में कमी कर सकते है जिससे लागत भी कम हो तथा मृदा स्वास्थ्य भी बना रहे।

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इस किसान प्रशिक्षण में भरतपुर जिले की सभी तहसीलों से 15-15 अनुसूचित जाति के किसानों को सरसों अग्रिम पंक्ति प्रदर्षन 2020-21 के तहत उन्नत बीज, उर्वरक एवं कृशि उपकरणों का वितरण किया गया। इस प्रषिक्षण के तहत 150 से अधिक किसान लाभान्वित हुए तथा इस कार्यक्रम का आयोजन अनुसूचित जाति उप योजना के तहत किया गया।

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