दून बासमती किस्म के चावल का स्वाद और उत्पादन कैसा होता है ?

By: Merikheti
Published on: 28-Jan-2024

बतादें, कि तीव्रता से होते शहरीकरण की वजह से दून बासमती चावल विलुप्त हो रहा है। खबरों के मुताबिक, बीते सालों में इसकी खेती काफी घट गई है। दून बासमती, चावल की किस्म जो अपनी समृद्ध सुगंध और विशिष्ट स्वाद के लिए जानी जाती है। तेजी से लुप्त हो रही है।उत्तराखंड जैव विविधता बोर्ड की हालिया रिपोर्ट के मुताबिक दून बासमती चावल की खेती का रकबा बीते पांच सालों में 62% प्रतिशत तक घट गया है।

रिपोर्ट के अनुसार, दून बासमती चावल की पैदावार 2018 में जहां 410 हेक्टेयर क्षेत्रफल में किया जा रहा था। वहीं 2022 में यह आंकड़ा महज 157 हेक्टेयर तक सिमट गया है। यही नहीं इस खेती के सिकुड़ते क्षेत्रफल के कारण किसानों ने भी अपने हाथ पीछे खींचना शुरू कर दिया है। 2018 में 680 किसान दून बासमती चावल पैदा कर रहे थे। पांच सालों में 163 किसानों ने बासमती चावल की खेती बंद कर दी है।

दून बासमती चावल की सुगंध और स्वाद कैसा होता है ?

अपनी विशिष्ट कृषि-जलवायु परिस्थितियों की वजह से यह चावल दून घाटी के लिए स्थानिक महत्व रखता है। इसके अलावा, चावल की यह प्रजाति केवल बहते पानी में ही पैदा होती है। यह चावल की “बहुत ही नाजुक” किस्म है। यह पूरी तरह से जैविक रूप से उत्पादित अनाज है, रासायनिक उर्वरकों या कीटनाशकों का उपयोग करने पर इसकी सुगंध और स्वाद खो जाता है। 

ये भी पढ़ें: तैयार हुई चावल की नई किस्म, एक बार बोने के बाद 8 साल तक ले सकते हैं फसल

दून बासमती, चावल की एक दुर्लभ किस्म होने के अतिरिक्त देहरादून की समृद्ध विरासत का एक महत्वपूर्ण भाग है। दून बासमती को दून घाटी में चावल उत्पादकों द्वारा विकसित किया गया था। दून बासमती चावल एक वक्त में बड़े क्षेत्रफल पर उगाया जाता था, जो अब एक विशाल शहरी क्षेत्र के तौर पर विकसित हो चुका है। अब दून बासमती चावल की खेती उंगलियों पर गिने जा सकने वाले कुछ ही क्षेत्रों तक ही सीमित है।

यह किस्म बड़ी तीव्रता से विलुप्त हो रही है 

तेजी से बढ़ते शहरीकरण के कारण घटती कृषि भूमि जैसे कई कारणों से चावल की विशिष्ट किस्म तीव्रता से विलुप्त हो रही है। विपणन सुविधाओं का अभाव और सब्सिडी न मिलने जैसी वजहों ने दून बासमती चावल को विलुप्त होने की कगार पर पहुंचा दिया हैं। बासमती चावल की विभिन्न अन्य प्रजातियां दून बासमती के नाम पर बेची जा रही हैं। दून बासमती के संरक्षण एवं प्रचार-प्रसार के लिए सरकार को महत्वपूर्ण कदम उठाने की आवश्यकता है।

श्रेणी