इस राज्य की आदिवासी महिलाएं गोबर से पेंट बनाकर आत्मनिर्भर बन रहीं हैं

By: MeriKheti
Published on: 20-Jan-2023

भारत की छत्तीसगढ़ राज्य सरकार द्वारा आदिवासी महिलाओं की उन्नति एवं प्रगति के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। वर्तमान में राज्य सरकार की मदद से आदिवासी महिलाओं का संगठन गोबर द्वारा पेंट निर्मित किया जा रहा है। इसको बेहद सराहना प्राप्त हो रही है। केंद्र व राज्य सरकार पूर्णतया कृषक, महिलाओं के विकास हेतु निरंतर कार्य कर रहे हैं। भारत में ऐसे बहुत से राज्य हैं जहां काफी संख्या में आदिवासी महिलाएं रहती हैं। केंद्र एवं राज्य सरकारें उनको भी मुख्यधारा में लाने के लिए कार्यरत हैं। छत्तीसगढ़ राज्य आदिवासी बाहुल्य प्रदेश माना जाता है। यहां की अधिकांश जनसंख्या कृषि कार्यों पर ज्यादा आश्रित होती है। परंतु, फिलहाल छत्तीसगढ़ राज्य की आदिवासी महिलाएं अच्छी-खासी खेती कर रही हैं।

छत्तीसगढ़ में आदिवासी महिलाओं का समूह बना रहा प्राकृतिक पेंट

छत्तीसगढ़ सरकार की मदद एवं प्रोत्साहन के माध्यम से आदिवासी महिलाएं विकास की दिशा में अग्रसर हो रही हैं। प्रदेश की आदिवासी महिलाएं गोबर का प्रयोग कर प्राकृतिक पेंट निर्मित कर रही हैं। बतादें कि कांकेर जनपद में वनांचल के अंतर्गत गांव सराधु नवागांव के गौठान में स्व-सहायता समूह की महिलाओं द्वारा यह कार्य किया जा रहा है। यह पेंट बनने का कार्य तीव्रता से हो रहा है, साथ ही बाजार में भी इसकी खपत में बढ़ोत्तरी हुई है।

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आदिवासी महिलाओं के समूह ने कितने लीटर पेंट बना लिया है

छत्तीसगढ़ राज्य की आदिवासी महिलाओं के संगठन द्वारा गोबर का उपयोग कर प्राकृतिक पेंट बनाकर बेचा जा रहा है। न्यूनतम समयांतराल में महिलाओं द्वारा 5000 लीटर मात्रा से भी ज्यादा पेंट निर्मित किया जा चुका है। महिलाओं ने उस पेंट को बेचकर आमदनी भी करली है। राज्य की महिलाओं के गोबर से बने पेंट की विधि को जानने के लिए समीपवर्ती जनपदों से लोगों का ताँता लगा रहता है।

इस प्राकृतिक पेंट का कितना मूल्य है

आदिवासी महिलाओं के इस प्राकृतिक पेंट का मूल्य बाजार में उपलब्ध प्रीमियम क्वालिटी के पेंट के तुलनात्मक 40 फीसद तक कम है। क्योंकि बाजार में बिकने वाले पेंट काफी महंगे मिलते हैं। आदिवासी महिलाओं के प्राकृतिक पेंट की विशेषताओं की बात की जाए तो यह नॉन टॉक्सिक, एंटी बैक्टीरियल, एंटीफंगल, इको -फ्रेंडली (Eco-friendly) भी होता है। इन समस्त विशेषताओं की वजह से प्राकृतिक पेंट की खरीद काफी बढ़ गयी है।

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