जानिए हरे चारे की समस्या को दूर करने वाली ग्रीष्मकालीन फसलों के बारे में

By: Merikheti
Published on: 12-Apr-2024

पशुपालकों को हरा चारा सुनिश्चित करने के लिए काफी अधिक परिश्रम करना पड़ सकता है। भारतीय मौसम विगाग का कहना है, कि इस बार गर्मी अपने चरम स्तर पर पहुँचने की आशंका है। 

विगत दिनों तापमान में सामान्य से अधिक वृद्धि होने की वजह से पशुपालकों के हरे चारे की उपलब्धता में गिरावट आ रही है। क्योंकि, तापमान में वृद्धि होने के कारण खेतों में नमी की मात्रा में गिरावट देखने को मिल रही है। 

हरे चारे पर इसका प्रत्यक्ष तौर प्रभाव देखने को मिल रहा है। इस वजह से पशुपालकों को वक्त रहते ही हरे चारे की व्यवस्था सुनिश्चित कर लेनी चाहिए, जिससे आगामी समय में पशु को पर्याप्त चारा हांसिल हो सके। 

क्योंकि, हरे चारे के अभाव का सीधा प्रभाव पशुओं के दुग्ध उत्पादन क्षमता पर पड़ता है। नतीजतन, पशुपालकों की कमाई में गिरावट आने लगती है। 

हरे चारे की किल्लत को दूर करने वाली फसलें इस प्रकार हैं ?

आप सब ने लोबिया, मक्का और ज्वार  का नाम तो सुना ही होगा। लेकिन, क्या आप जानते हैं, कि लोबिया, मक्का और ज्वार का चारा पशुओं के लिए बेहद लाभकारी होता है। 

इसके अतिरिक्त मक्का, ज्वार और लोबिया फसल लगाने से किसान हरे चारे की किल्लत से छुटकारा पा सकते हैं। क्योंकि, यह एक तीव्रता से बढ़ने वाले हरे चारे वाली फसलें हैं। 

इसके अतिरिक्त इन चारों के साथ सबसे खास बात यह है, कि इनकी खेती करने से खेत की उर्वरक क्षमता को भी प्रोत्साहन मिलता है, जिससे किसान अगली फसल में मुनाफा उठा सकते हैं। वहीं, इसके प्रतिदिन सेवन से पशुओं की दुग्ध उत्पादन क्षमता में भी इजाफा होता है।

मक्का 

पशुओं के लिए पशुपालक हरा चारा सुनिश्चित करने के उद्देश्य से मक्के की संकर मक्का गंगा-2, गंगा-7, विजय कम्पोजिट जे 1006 अफ्रीकन टॉल, प्रताप चारा-6 आदि जैसी प्रमुख मक्का की उन्नत किस्मों की खेती कर सकते हैं।

ज्वार

गर्मी के मौसम में पशुओं के लिए हरे चारे की किल्लत को दूर करने के लिए ज्वार की पूसा चरी 23, पूसा हाइब्रिड चरी-109, पूसा चरी 615, पूसा चरी 6, पूसा चरी 9, पूसा शंकर- 6, एस. एस. जी. 59-3 (मीठी सूडान), एम.पी. चरी, एस.एस. जी.-988-898, एस. एस. जी. 59-3, • जे.सी. 69. सी. एस. एच. 20 एमजी, हरियाणा ज्वार- 513 जैसी विशेष किस्मों की खेती कर सकते हैं। 

लोबिया 

लोबिया एक वार्षिक जड़ी-बूटी वाली फलियां हैं, जिसकी खेती बीजों अथवा चारे के लिए की जाती है। इसकी पत्तियाँ अंडाकार पत्तों वाली त्रिकोणीय होती हैं, जो 6-15 सेमी लंबी और 4-11 सेमी चौड़ाई वाली होती हैं। 

लोबिया के फूल सफेद, पीले, हल्के नीले या बैंगनी रंग के होते हैं। इसकी फली जोड़े में पाई जाती हैं। इसकी प्रति फली में 8 से 20 बीज होते हैं। इसके साथ ही बीज सफेद, गुलाबी, भूरा या काला होता है।

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