जायद सीजन में इन फसलों की बुवाई कर किसान अच्छा लाभ उठा सकते हैं

By: Merikheti
Published on: 29-Feb-2024

रबी की फसलों की कटाई का समय लगभग आ ही गया है। अब इसके बाद किसान भाई अपनी जायद सीजन की फल एवं सब्जियों की बुवाई शुरू करेंगे। 

बतादें, कि गर्मियों में खाए जाने वाले प्रमुख फल और सब्जियां जायद सीजन में ही उगाए जाते हैं। इन फल-सब्जियों की खेती में पानी की खपत बहुत ही कम होती है। परंतु, गर्मियां आते ही बाजार में इनकी मांग काफी बढ़ जाती है। 

उदाहरण के लिए सूरजमुखी, तरबूज, खरबूज, खीरा, ककड़ी सहित कई फसलों की उपज लेने के लिए जायद सीजन में बुवाई करना लाभदायक माना जाता है। यह मध्य फरवरी से चालू होता है। 

उसके बाद मार्च के समापन तक फसलों की बुवाई कर दी जाती है। फिर गर्मियों में भरपूर उत्पादन हांसिल होता है। मई, जून, जुलाई, जब भारत गर्मी के प्रभाव से त्रस्त हो जाता है। उस समय शायद सीजन की यह फसलें ही पानी की उपलब्धता को सुनिश्चित करती हैं। 

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खीरा मानव शरीर को स्वस्थ भी रखता है। इस वजह से बाजार में इनकी मांग अचानक से बढ़ जाती है, जिससे किसानों को भी अच्छा-खासा मुनाफा प्राप्त होता है। शीघ्र ही जायद सीजन दस्तक देने वाला है। 

ऐसे में किसान खेतों की तैयारी करके प्रमुख चार फसलों की बिजाई कर सकते हैं। ताकि आने वाले समय में उनको बंपर उत्पादन प्राप्त हो सके।

सूरजमुखी 

सामान्य तौर पर सूरजमुखी की खेती रबी, खरीफ और जायद तीनों ही सीजन में आसानी से की जा सकती है। लेकिन जायद सीजन में बुवाई करने के बाद फसल में तेल की मात्रा कुछ ज्यादा बढ़ जाती है। किसान चाहें तो रबी की कटाई के पश्चात सूरजमुखी की बुवाई का कार्य कर सकते हैं।

वर्तमान में देश में खाद्य तेलों के उत्पादन को बढ़ाने की कवायद की जा रही है। ऐसे में सूरजमुखी की खेती करना अत्यंत फायदे का सौदा साबित हो सकता है। बाजार में इसकी काफी शानदार कीमत मिलने की संभावना रहती है।

तरबूज 

विभिन्न पोषक तत्वों से युक्त तरबूज तब ही लोगों की थाली तक पहुंचता है, जब फरवरी से मार्च के मध्य इसकी बुवाई की जाती है। यह मैदानी इलाकों का सर्वाधिक मांग में रहने वाला फल है। 

खास बात यह है, की पानी की कमी को पूरा करने वाला यह फल काफी कम सिंचाई एवं बेहद कम खाद-उर्वरक में ही तैयार हो जाता है। 

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तरबूज की मिठास और इसकी उत्पादकता को बढ़ाने के लिए वैज्ञानिक तरीके से तरबूज की खेती करने की सलाह दी जाती है। यह एक बागवानी फसल है, जिसकी खेती करने के लिए सरकार अनुदान भी उपलब्ध कराती है। इस प्रकार कम खर्चे में भी तरबूज उगाकर शानदार धनराशि कमाई जा सकती है। 

खरबूज

तरबूज की तरह खरबूज भी एक कद्दूवर्गीय फल है। खरबूज आकार में तरबूज से थोड़ा छोटा होता है। परंतु, मिठास के संबंध में अधिकांश फल खरबूज के समक्ष फेल हैं। पानी की कमी एवं डिहाइड्रेशन को दूर करने वाले इस फल की मांग गर्मी आते ही बढ़ जाती है।

खरबूज की खेती से बेहतरीन उत्पादकता प्राप्त करने के लिए मृदा का उपयोग होना अत्यंत आवश्यक है। हल्की रेतीली बलुई मृदा खरबूज की खेती के लिए उपयुक्त मानी गई है। किसान भाई चाहें तो खरबूज की नर्सरी तैयार करके इसके पौधों की रोपाई खेत में कर सकते हैं।

खेतों में खरबूज के बीज लगाना बेहद ही आसान होता है। अच्छी बात यह है, कि इस फसल की खेती के लिए भी ज्यादा सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती। असिंचित इलाकों में भी खरबूज की खेती से अच्छी पैदावार प्राप्त की जा सकती है। 

खीरा 

गर्मियों में खीरा का बाकी फलों से अधिक उपयोग होता है। खीरा की तासीर काफी ठंडी होने की वजह से सलाद से लेकर जूस के तौर पर इसका सेवन किया जाता है। शरीर में पानी की कमी को पूरा करने वाला यह फल भी अप्रैल-मई से ही मांग में रहता है। 

मचान विधि के द्वारा खीरा की खेती करके शानदार उत्पादकता प्राप्त की जा सकती है। इस प्रकार कीट-रोगों के प्रकोप का संकट बना ही रहता है। फसल भूमि को नहीं छूती, इस वजह से सड़न-गलन की संभावना कम रहती है। नतीजतन फसल भी बर्बाद नहीं होती है। 

खीरा की खेती के लिए नर्सरी तैयार करने की राय दी जाती है। किसान भाई खीरा को भी रेतीली दोमट मृदा में उगाकर शानदार उपज प्राप्त कर सकते हैं। 

खीरा की बीज रहित किस्मों का चलन काफी तेजी से बढ़ता जा रहा है। किसान भाई यदि चाहें तो खीरा की उन्नत किस्मों की खेती करके मोटा मुनाफा अर्जित कर सकते हैं।

ककड़ी 

खीरा की भांति ककड़ी की भी अत्यंत मांग रहती है। इसका भी सलाद के रूप में सेवन किया जाता है। उत्तर भारत में ककड़ी का बेहद चलन है। खीरा और ककड़ी की खेती तकरीबन एक ही ढ़ंग से की जाती है। किसान चाहें तो खेत के आधे भाग में खीरा और आधे भाग में ककड़ी उगाकर भी अतिरिक्त आमदनी उठा सकते हैं।

अगर मचान विधि से खेती कर रहे हैं, तो भूमि पर खरबूज और तरबूज उगा सकते हैं। शायद सीजन का मेन फोकस गर्मियों में फल-सब्जियों की मांग को पूर्ण करना है। 

साथ ही, इन चारों फल-सब्जियों की मांग बाजार में बनी रहती है। इसलिए इनकी खेती भी किसानों के लाभ का सौदा सिद्ध होगी। 

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