जानिए नीली हल्दी की खेती से कितना मुनाफा कमाया जा सकता है

जानिए नीली हल्दी की खेती से कितना मुनाफा कमाया जा सकता है

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पीली हल्दी की तुलना में नीली हल्दी की खेती करना थोड़ा सा कठिन होता है। यह हर प्रकार की मिट्टी में उत्पादित नहीं की जा सकती है। इसकी खेती के लिए सबसे अच्छी भुरभुरी दोमट मृदा होती है।

हमारे घर में सदैव पीली हल्दी ही उपयोग में ली जाती है। परंतु, इसका अर्थ यह कतई नहीं है, कि विश्व में केवल पीली हल्दी ही होती है। इस विश्व में एक नीली हल्दी या ब्लू हल्दी (Blue Turmeric) भी होती है, जो कि अब भारत में काफी तीव्रता से उत्पादित की जा रही है। यह हल्दी पीली हल्दी की तुलना में अधिक गुणकारी होती है। साथ ही, बाजार में इसका भाव भी काफी ज्यादा मिलता है। नीली हल्दी सेवन के लिए नहीं होती है। इस इस्तेमाल दवाओं के लिए किया जाता है। विशेष तौर पर आयूर्वेद में इसके कई इस्तेमाल बताए गए हैं। आइए आपको बतादें कि भारत के किसान किस तरह नीली हल्दी से मुनाफा अर्जित कर रहे हैं।

नीली हल्दी की खेती किस प्रकार की जाती है

पीली हल्दी की तुलना में नीली हल्दी की खेती थोड़ी अधिक कठिन होती है। यह हर प्रकार की मृदा में उत्पादित नहीं की जा सकती। इसकी खेती के लिए भुरभुरी दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त होती है। इस हल्दी की खेती करने के दौरान इस बात का विशेष रूप से ध्यान रखना होता है, कि इसके खेत में पानी ना लगे। क्योंकि, यदि इसके खेत में जल सिंचाई हुई हो तो यह पीली हल्दी से भी तीव्र सड़ती है। इस वजह से नीली हल्दी की खेती अधिकांश लोग ढलान वाले इलाकों में किया करते हैं। जहां पानी रुकने की कोई संभावना ही ना रहती हो।

किसान भाइयों को इससे कितना लाभ अर्जित होता है।

किसानों को इस हल्दी से दो प्रकार से लाभ होगा, पहला तो बाजार में इसका भाव अधिक मिलेगा। वहीं, दूसरा यह कि यह हल्दी पीली हल्दी की तुलना में कम जमीन में अधिक उत्पादन देती है। कीमत की बात की जाए तो बाजार में नीली हल्दी मांग के मुताबिक से 500 रुपये से 3000 रुपये किलो तक बेची जाती है।

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वहीं, उत्पादन की बात की जाए तो एक एकड़ में नीली हल्दी की पैदावार 12 से 15 कुंटल के आसपास रहती है। जो पीली हल्दी की तुलना में काफी अधिक है। इसलिए यदि आप हल्दी की खेती किया करते हैं, तो आपको अब से पीली छोड़ कर नीली हल्दी का उत्पादन करना चाहिए। कुछ लोग इस नीली हल्दी को काली हल्दी भी बुलाते हैं, ऐसे में यदि आपसे कोई काली हल्दी कहे तो समझ लीजिए कि वह नीली हल्दी के विषय में ही बात कर रहा है। दरअसल, यह ऊपर से दिखने में काली होती है। हालांकि, अंदर से इस हल्दी का रंग नीला होता है, जो कि सूखने के पश्चात काला पड़ जाता है। इस वजह से कुछ लोग इसे काली हल्दी के नाम से भी जानते हैं।

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