देश में हो रही चारे कमी की हालात को लेकर वैज्ञानिकों ने जाहिर की चिंता - Meri Kheti

देश में हो रही चारे कमी की हालात को लेकर वैज्ञानिकों ने जाहिर की चिंता

0

भारत के पशु पालने वाले लोगों के बीच एक नई समस्या खड़ी हो रही है। दरअसल, हाल ही में रिपोर्ट किया गया है कि देश में चारे की भारी कमी हो रही है, वहीं दूसरी ओर पशुधन में बढ़ोतरी हो रही है। इस तरह से पशु पालने वाले लोगों को सामंजस्य बिठाने में भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

आंकड़ों में बात करें तो मौजूदा समय में देश में 11 फीसदी हरे चारे, 23 फीसदी सूखे चारे और 29 फीसदी दाने की कमी है। वहीं, इसी बीच 1.23 फीसदी पशुधन की बढ़ोतरी हुई है, जिसकी वजह से सामंजस्य बिठाना मुश्किल हो रहा है।

आप सोच रहे होंगे कि ऐसा तो पहले कभी नहीं सुना, इस बार ऐसा क्या हो गया। तो आपको बता दें कि साल 2022 में, मार्च के महीने से ही भीषण गर्मी पड़नी शुरू हो गई थी, जिसकी वजह से फसलों को भारी नुकसान पहुंचा था। गेहूं की फसल को इतना नुकसान पहुंचा कि आने वाले महीनों में इस फसल के दाम आसमान छूने लगे थे। अब गेहूं की फसल खराब होने का असर चारे पर भी पड़ा है और देश में चारा संकट पशुपालकों के लिए जी का जंजाल बन गया है।

ये भी पढ़ें: अपने दुधारू पशुओं को पिलाएं सरसों का तेल, रहेंगे स्वस्थ व बढ़ेगी दूध देने की मात्रा

वैज्ञानिकों की मानें तो यह केवल चारा संकट की शुरुआत है, अभी आने वाले दिनों में यह संकट और भी गहरा सकता है। क्योंकि देश में पशुधन तेजी से बढ़ रहा है और डिमांड-सप्लाई के बीच अंतर को पाट पाना मुश्किल हो रहा है। ऐसे में वैज्ञानिक खासे परेशान हैं और उनका मानना है कि इसका हल जल्दी से जल्दी निकाला जाना चाहिए।

हाल ही में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय (CHAUDHARY CHARAN SINGH HARYANA AGRICULTURAL UNIVERSITY, HISAR – HAU) में एक सेमिनार का आयोजन किया गया था। इस सेमिनार का मकसद चारे की उत्पादकता को बढ़ाना है, ताकि मौजूदा समय में जो संकट तेजी से पशुपालकों को परेशान करने आ रहा है, उससे निजात दिलाई जा सके। इसमें शामिल हुए कुलपति प्रो बीआर कांबोज ने कहा कि पशुओं को अच्छा क्वालिटी वाला चारा देना जरूरी है। अगर ऐसा नहीं किया गया तो वे दूध कम देने लगेंगे। ऐसे में पशुपालकों को क्वालिटी वाले चारे के बारे में जानकारी देना बेहद जरूरी है। उन्होंने कहा कि फसल के अवशेषों (Crop Residue) को पशुओं को खिलाया जाना चाहिए। इस तरह से अवशेषों को जलाने की भी जरूरत नहीं पड़ेगी जिससे वायु प्रदूषण फैलता है।

ये भी पढ़ें: घर पर ही यह चारा उगाकर कमाएं दोगुना मुनाफा, पशु और खेत दोनों में आएगा काम

इस सेमिनार में यूनिवर्सिटी के रिसर्च डायरेक्टर डॉ. जीत राम शर्मा ने बताया कि विश्वविद्यालय ने चारा की 51 किस्में तैयार की हैं, जिनकी क्वालिटी कमाल की है। नई किस्में पशुओं के लिए बढ़िया हैं, क्योंकि ये पचती जल्दी हैं और अच्छा पोषण देती हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More