तरल नैनो यूरिया के कारोबारी उत्पादन करने वाला भारत विश्व का पहला देश बन गया है। गुजरात के भावनगर में केन्द्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मांडविया की मौजूदगी में गुजरात के भावगन में ड्रोन से नैनो यूरिया के छिडकाव का सफल परीक्षण किया गया। जून में इसका उत्पादन शुरू हुआ और तब से अब तक हमने नैनो यूरिया की 50 लाख से अधिक बोतलों का उत्पादन कर लिया है। उन्होंने बताया कि नैनो यूरिया की प्रतिदिन एक लाख से अधिक बोतलों का उत्पादन किया जा रहा है। इस दौरान मौजूद किसानों के मध्य मंत्री ने कहा कि उर्वरक और दवाओं के परंपरागत उपयोग को लेकर कई तरह की शंकाएं किसानों के मन में रहती हैं। छिड़काव करने वाले के स्वास्थ्य को इससे होने वाले संभावित नुकसान के बारे में भी चिंता व्यक्त की जाती है। ड्रोन से इसका छिड़काव इन सवालों और समस्याओं का समाधान कर देगा। ड्रोन से कम समय में अधिक से अधिक क्षेत्र में छिड़काव किया जा सकता है। इससे किसानों का समय बचेगा। छिड़काव की लागत कम होगी।
उन्होंने नैनो टेक्नोलाजी की खूबी पर चर्चा करते हुए कहा कि इससे यूरिया आयात घटेगा। किसानों को और जमीन को अधिक यूरिया डालने से होन वाले नुकसान से किसान बचेंगे। जमीन की उपज क्षमता में भी लाभ होगा। संतुलित उर्वरक उपयोग से खाद्यान्न गुणवत्ता भी सुधरेगी। यूरिया पर दी जाने वाली सब्जिसडी का बोझ भी कम होगा। इसका उपयोग अन्य जन कल्याणकारी कार्यों में किया जा सकेगा। इस दौरान इफको के प्रतिनिधियों ने किसानों की जिज्ञासा को शांत किया। उन्होंने किसानों को ड्रोन से किए जाने वाले छिडकाव को जीवन रक्षा के लिए बेहद कारगर बताया। इस अवसर पर भारतीय राष्ट्रीय सहकारी संघ के अध्यक्ष और इफको के उपाध्यक्ष दिलीप भाई संघानी भी उपस्थित थे।