लुटेरों के आतंक से परेशान किसान, डर के मारे छोड़ी चना और मसूर की खेती

लुटेरों के आतंक से परेशान किसान, डर के मारे छोड़ी चना और मसूर की खेती

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मध्य प्रदेश के सागर में किसान लुटेरों के आतंक से इस कदर परेशान हैं, कि कई किसान चना और मसूर की खेती करना छोड़ चुके हैं. इतना ही नहीं फसलों के लुटेरों की वजह से गेहूं की खेती करना भी किसानों के लिए मुश्किल भरा हो सकता है. किसानों ने जिला प्रशासन से लेकर सीएम हेल्पलाइन तक में शिकायत कर चुके हैं, लेकिन उनकी समस्या का समाधान अब तक नहीं हो सका है.

आपको बता दें जिले के जो भी गांव जंगल से जुड़े हुए हैं, उस इलाके के किसान खासा जानवरों से सबसे ज्यादा परेशान हैं. फसलों के लुटेरे यानि की जंगली जानवरों से किसान इस कदर परेशान हैं कि वो अब अपनी खेती तक को छोड़ने पर मजबूर हो गये हैं. फसलों पर हमेशा बन्दर, हिरण, नीलगाय और सूअर जैसे जंगली जनवरों का ही राज रहता है. इतना ही नहीं अगर किसान कुछ देर के लिए खेतों से बाहर निकट है, वैसे ही ये फसलों के लुटेरे अपना काम शुरू कर देते हैं.

इतना ही नहीं सागर के कुछ ऐसे गांव भी हैं, जहां बंदरों का आतंक लगातार बढ़ रहा है. इनसे परेशान होकर किसानों ने चने की खेती करना ही छोड़ दिया है. किसानों की मानें तो, उनकी परेशानी कम होने का नाम नहीं ले रही है. किसानों के सामने पहले फसलों से जुड़ी समस्याएं हुआ करती थीं, लेकिन अब जंगली जानवरों से अपनी फसलों को बचाने की भी चुनौती सिर पर खड़ी हो चुकी है. उन्हें अपने बच्चे खेतों में अकेले भेजने पर भी डर लगता है. खेती किसानी के साथ साथ किसानों को अपना अलग से समय खेतों की रखवाली करने के लिए निकालना पड़ता है.

आपसी सहमती से बंद कर दी चने की खेती

किसानों की मानें तो, जब भी वो चने की खेती करते थे, तब बंदरों का आतंक इस कदर बढ़ जाता था, कि कुछ ही देर में चने की फसलों को चट कर जाते थे. इसलिए किसानों ने आपसी सहमती से यह बड़ा कदम उठाया और चने की खेती करना ही बंद कर दिया. लेकिन समस्या का हल तब भी नहीं हुआ. जब किसानों ने गेहूं की खेती करना शुरू की तो बन्दर गेहूं की फसलें भी तबाह कर रहे हैं.

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक इलाके में पानी की काफी कमी है. जिस वजह से किसान चना, मसूर, सरसों की खेती करते थे, जिससे उनके खेत में कुछ ना कुछ फसलें रह सकें. ताकि उन्हें अपना गुजर बसर करने में आराम रहे. लेकिन कभी मौसम की मार तो कभी सूखे का कहर, किसान हर तरफ से पेशान है. किसानों की इस परेशानी को और भी बढ़ाने के लिए जंगली जानवरों ने कोई कसर नहीं छोड़ी है.

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कहीं से नहीं मिल रही मदद

जिले के कुछ गांव ऐसे भी हैं, जहां किसानों को पानी की कोई समस्या नहीं, और वो खेती तो कर रहे हैं, लेकिन जानवरों के आतंक से पूरी फसलें बर्बाद हो जाती हैं. इस कारण जब फसलें बिछ जाती हैं, और फिर उन्हें सम्भालना मुश्किल हो जाता है. किसानों ने मामले की शिकायत सीएम हेल्पलाइन से लेकर कई जगहों पर कर चुके हैं. लेकिन उनकी समस्या का कोपी समाधान नहीं हो सका है. जिसके बाद हारे किसानों ने सारी उम्मीदों को छोड़ दिया है. जिसके बाद वो शिकायत करने के साथ साथ चने की खेती करना भी छोड़ चुके हैं.

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