बिना प्रौद्योगिकी के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था मुमकिन नहीं - राज्य मंत्री कैलाश चौधरी

बिना प्रौद्योगिकी के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था मुमकिन नहीं – राज्य मंत्री कैलाश चौधरी

0

अनुसूचित जाती आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने कहा है, कि बदलते युग में टेक्नोलॉजी के माध्यम से भारत 2047 तक विकसित देश बनने में सक्षम होगा। साथ ही, अन्न उत्पादन में आत्मनिर्भर होने के साथ-साथ विश्व के लिए उत्पादन भी करेगा।

कृषि में प्रौद्योगिकी (टेक्नोलॉजी) के महत्व पर प्रकाश डालते हुए, केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री कैलाश चौधरी ने कहा है, कि यदि भारत को 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था का लक्ष्य प्राप्त करना है, तो कृषि क्षेत्र में सटीक खेती (प्रिसिजन फार्मिंग), कृत्रिम मेधा (एआई) और कृषि-ड्रोन आदि जैसी नवीन तकनीकों को बड़े स्तर पर अपनाना होगा। उन्होंने ईटी एज की मदद से भारत की प्रमुख कृषि-रसायन कंपनी धानुका समूह द्वारा नई दिल्ली में आयोजित “कृषि में भविष्य की नई तकनीकें: भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक परिदृश्य परिवर्तक” पर एक दिन के सेमिनार में यह कहा है।

अनाज उत्पादन के मामले में आत्मनिर्भरता हेतु मिलेगा सहयोग

स्वयं के खेती के अनुभव को याद करते हुए उन्होंने कहा, “ट्रैक्टर तकनीक की शुरुआत से पहले किसानों के पास बारिश के 4-5 दिनों के भीतर खेतों को जोतने के अलावा कोई विकल्प नहीं था। बैल जोतते थे, इसलिए गति धीमी होने की वजह से आधे खेत अनुपयोगी रह जाते थे। ट्रैक्टर प्रौद्योगिकी ने किसानों को कुछ दिनों में खेतों के बड़े भू-भाग को जोतने में सक्षम बनाया और इससे हमें अनाज उत्पादन में आत्मनिर्भरता हांसिल करने में मदद मिली। इसी तरह हमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 5 ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था के निकट भविष्य के लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए खेती में कृत्रिम मेधा (एआई), ड्रोन, सटीक खेती, ब्लॉकचेन जैसी नवीन तकनीकों का फायदा उठाने की जरुरत है।”

ये भी पढ़ें: कृषि सब्सिडी : किसानों को दी जाने वाली विभिन्न प्रकार की वित्तीय सहायता के बारे में जानें

फसलीय पैदावार में वृद्धि करने के लिए तकनीक बेहद जरूरी – कैलाश चौधरी

कैलाश चौधरी ने संगोष्ठी में मौजूद वैज्ञानिकों को नवीन कृषि प्रौद्योगिकियों के साथ किसानों को सशक्त बनाकर कृषि उत्पादन में पर्याप्त इजाफा करने के लिए भारत के वर्षा-सिंचित जनपदों में 40 प्रतिशत कृषि योग्य जमीन में तकनीक का इस्तेमाल कर उत्पादन बढ़ाने का भी आह्वान किया। भारत सरकार के कृषि और किसान कल्याण राज्य मंत्री ने कहा, “देश में अधिकांश कृषि भूमि की क्षमता समाप्त हो गई है। केवल बारिश पर निर्भर क्षेत्र बचा है, जिसकी क्षमता का दोहन करने की जरुरत है।”

भारत के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम राम नाथ कोविंद ने संगोष्ठी को भेजा संदेश

संगोष्ठी के लिए भेजे गए अपने संदेश में भारत के पूर्व राष्ट्रपति महामहिम राम नाथ कोविंद ने कहा, “भारतीय कृषि विज्ञान आधारित प्रौद्योगिकियों को अपनाने के कारण भारतीय अर्थव्यवस्था के भविष्य को आकार दे रही है। स्पष्ट रूप से गतिशील कृषि वैज्ञानिकों, नीति निर्माताओं, किसानों के प्रतिनिधियों और उद्योग जगत के दिग्गजों की मौजूदगी में यह चर्चा एक सदाबहार क्रांति के जरिए से कृषि के भविष्य में क्रांति लाने का मार्ग प्रशस्त करेगी।”

कृषि में प्रौद्योगिकी किसानों को सशक्त और मजबूत बना सकती है

अपने जमीनी अनुभव को साझा करते हुए राष्ट्रीय अनुसूचित जाति आयोग के अध्यक्ष विजय सांपला ने कहा है, कि किसानों के जीवन स्तर को ऊपर उठाने के लिए प्रौद्योगिकी के विवेकपूर्ण इस्तेमाल की वकालत की है। उन्होंने कहा,“जब मैंने एक स्कूल में छात्रों से बातचीत की, तो उनमें से तकरीबन सभी वैज्ञानिक, इंजीनियर और डॉक्टर बनना चाहते थे। परंतु, उनमें से कोई भी किसान बनना नहीं चाहता था। ऐसा इसलिए है, क्योंकि देश ने खाद्यान्न उत्पादन में आत्मनिर्भरता तो हांसिल कर ली है। लेकिन, किसान आज भी गरीब है। यही वजह है, कि हमें इस बात पर विचार करने की काफी जरुरत है, कि किस तरह कृषि में प्रौद्योगिकी प्रत्यक्ष तौर पर किसानों को मजबूत और शक्तिशाली बना सकती है। साथ ही, उनके जीवन को अच्छा बनाकर उन्हें सम्मानित जीवन प्रदान कर सकती है।

डॉ दीपक पेंटल ने कृषि-रसायन को लेकर क्या कहा है

दिल्ली विश्वविद्यालय के पूर्व वाइस चांसलर डॉ दीपक पेंटल द्वारा जीएम फसलों की सशक्त वकालत करते हुए कहा, “अमेरिका ने बहुत पहले जीएम फसलों को पेश करके कृषि उत्पादन में 35% की वृद्धि की है, जबकि यूरोप सिर्फ 6-7% तक ही सीमित रहा है। वैसे भी यूरोप में जनसंख्या नहीं बढ़ रही है, इसलिए उनके पास विकल्प है। लेकिन क्या हमारे पास विकल्प है? इसलिए हमें यह तय करने की आवश्यकता है, कि हम विभाजन के किस तरफ रहना चाहते हैं। डॉ. पेंटल ने कृषि-रसायनों के इस्तेमाल का समर्थन करते हुए कहा है, कि यदि हम चाहते हैं कि फसलों को कम हानि पहुँचे, तो उच्च गुणवत्ता वाले कृषि-रसायन जरूरी हैं।

Leave A Reply

Your email address will not be published.

This website uses cookies to improve your experience. We'll assume you're ok with this, but you can opt-out if you wish. Accept Read More