Black Wheat Farming: कैसे करें काले गेहूँ की खेती और कमाएँ मुनाफा

कैसे करें काले गेहूँ की खेती और कमाएँ मुनाफा

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हमने हमेशा पीले या हल्के भूरे रंग का गेहूँ देखा होगा लेकिन हमें पता होना चाहिए कि गेहूँ काले रंग के भी होते हैं। इसमें सामान्य गेहूँ की तुलना में पोषक तत्वों की मात्रा अधिक होती हैं। भारत में वैसे इस तरह के गेहूँ की खेती नहीं होती थी, लेकिन पिछले कुछ सालों से इसकी खेती कुछ राज्यों में की जा रही हैं। गेहूँ की इस नस्ल में अधिक पोषक तत्व होने के कारण बाजार में इसकी मांग भी ज़्यादा है। इसलिए खेती से ज़्यादा मुनाफ़ा कमाने के लिए काले गेहूँ की खेती काफी मददगार साबित हो सकती है।

काला गेहूँ की एक खास किस्म है जो देखने में थोड़ा काला और बैंगनी रंग का होता है। इसका स्वाद साधारण गेहूँ से काफी अलग होता है और यह स्वास्थ्य के लिहाज से भी ज़्यादा गुणकारी होता है। भारत में इस गेहूँ की खेती सबसे पहले नेशनल एग्री फ़ूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट (नाबी) मोहाली, पंजाब में की गई थी, धीरे-धीरे इसकी खेती जोर पकड़ती जा रही है।

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साधारण गेहूँ में एक ओर जहाँ एंथोसाइनिन की मात्रा पाँच से 15 प्रति मिलियन (पीपीएम) के पास होती है, वहीं काले गेहूँ या ब्लैक व्हीट में 40 से 140 पीपीएम होता जो कि शरीर से फ्री रेडिकल्स बाहर निकालने में सहायता करता है। इस गेहूँ का गहरा रंग इसमें उच्च मात्रा में पाये जाने वाले एंथोसाइनिन की वजह से होता है जो कि इसमें पाये जाने वाले जिंक और आयरन जैसे तत्वों की अधिक मात्रा को दर्शाता है। साथ ही जब यह उगता हैं तो उगते समय इसकी बालियाँ आम गेहूँ की तरह ही हरे रंग की होती है। इसके बाद जब ये पकने लगते हैं तो इनके दानों का रंग धीरे-धीरे काला होने लगता है। इस गेहूँ के आटे की रोटियाँ भी हल्की काले रंग की होती हैं। नेशनल एग्री फ़ूड बायोटेक्नोलॉजी इंस्टिट्यूट में इसपर काफी अनुसंधान किया गया है। वहाँ के कृषि वैज्ञानिक काले के अलावा नीले एवं जामुनी रंग के गेहूँ की किस्में भी विकसित कर चुके हैं।

काले गेहूँ की खेती से होने वाला फ़ायदा:

kale gehu ki kheti

काले गेहूँ की खेती से बहुत अधिक मुनाफा हो सकता है, क्योंकि यह काफी महंगे दाम में बाजार में बिकता है। साथ ही इसमें पोषक तत्वों की अधिकता होने के कारण लोग इसे अधिक खरीदते भी हैं। आने वाले समय में इसकी मांग और अधिक बढ़ सकती हैं, इसलिए किसान काले गेहूँ की खेती कर मालामाल हो सकते हैं। जहां साधारण गेहूँ करीब 1800 से 2100 रुपए प्रति क्विंटल बिकता है, वहीं काले गेहूँ की कीमत करीब 3500 से लेकर 4000 रुपए प्रति क्विंटल तक होती है। ऐसे में साफ़ है कि किसान काले गेहूँ की खेती कर दोगुना मुनाफा ले सकते हैं।

 काले गेहूँ के औषधीय गुण:

एंथ्रोसाइनीन एक नेचुरल एंटी ऑक्सीडेंट व एंटीबायोटिक है, जो हार्ट अटैक ,कैंसर, शुगर, मानसिक तनाव, घुटनों का दर्द, एनीमिया जैसे रोगों में काफी कारगर सिद्ध होता है। गेहूँ की इस किस्म में एंथोसायनिन के अलावा प्रचुर मात्रा में पोषक तत्व पाए जाते हैं जैसे कि जिंक, आयरन, प्रोटीन एवं स्टार्च आदि। आयरन अकेला ही 60 % तक इसमें पाया जाता है जबकि अन्य में गेहूँ में सामान्य पोषक तत्व निहित होते हैं। काले रंग के गेहूँ में अधिक पोषक तत्व होने की वजह से यह बड़ी बीमारियों से रक्षा करता है, जैसे कि कैंसर, डायबटीज, तनाव, दिल की बीमारी, मोटापा आदि।

काले गेहूँ की खेती से जुड़े अलग-अलग हिस्सों को हम क्रमवार तरीके से समझ सकते हैं।

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बुवाई

काले गेहूँ के बीजों को हाथ से बोया जाता है जिसके चलते किसानों का खर्च भी बहुत कम होता है। इसमें बालियों की संख्या काफी ज्यादा होती है और नुकसान की संभावना नाममात्र होती है। इसकी बुआई समय से एवं पर्याप्त नमी पर करना चाहिए। देर से बुआई करने पर उपज में कमी होती है। जैसे-जैसे बुआई में देरी होती जाती है, गेहूँ की पैदावार में गिरावट की दर बढ़ती चली जाती है। दिसंबर में बुआई करने पर गेहूँ की पैदावार तीन से चार क्विंटल/हेक्टेयर और जनवरी में बुआई करने पर से चार से पाँच क्विंटल/हेक्टेयर प्रति सप्ताह की दर से घटती है। गेहूँ की बुआई यदि सीडड्रिल से की जाती हैं तो इससे उर्वरक और बीज दोनों की बचत होती है। इसकी उपज भी सामान्य गेहूँ से अधिक होती है, जोकि 10 से 12 क्विंटल प्रति बीघा है।

यदि आप काले गेहूँ की बुआई लाइन लगाकर करते हैं तो इसका सामान्य दाना 100 किलोग्राम और मोटा दाना 125 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल होता है, और यदि छिड़काव के रूप में बुआई करते हैं तो सामान्य दाना 125 किलोग्राम और मोटा दाना 150 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल होता है। काले गेहूँ की बुआई करने से पहले इसका जमाव प्रतिशत देख लें, यह सुविधा राजकीय अनुसंधान केंद्र द्वारा मुफ्त में प्रदान की जाती हैं। बुआई के समय आप यह भी देख लें कि यदि बीज का अंकुरण धीमी गति से हो रहा हैं, तो आप बीजों की संख्या बढ़ा दें। यदि आप इसकी बुआई ऐसे क्षेत्र में करते हैं जहाँ सिंचाई सीमित होती हैं, तो इसे रेज्ड वेड विधि के द्वारा बोना चाहिये। इस विधि में सामान्य दाना 75 किलोग्राम एवं मोटा दाना 100 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल होता है।

बीज दर एवं बीज शोधन

kale gehu ki kheti

पंक्तियों में बुवाई करने पर सामान्य दशा में 100 किग्रा० तथा मोटा दाना 125 किग्रा० प्रति है, तथा छिटकाव बुवाई की दशा में सामान्य दाना 125 किग्रा० मोटा-दाना 150 किग्रा० प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग करना चाहिए। बुवाई से पहले जमाव प्रतिशत अवश्य देख लें। राजकीय अनुसंधान केन्द्रों पर यह सुविधा निःशुल्क उपलब्ध है। यदि बीज अंकुरण क्षमता कम हो तो उसी के अनुसार बीज दर बढ़ा लें और अगर बीज प्रमाणित न हो तो उसका शोधन अवश्य करें। बीजों को कार्बाक्सिन, एजेटौवैक्टर और पी।एस।वी। से उपचारित कर उनकी बुआई करें। सीमित सिंचाई वाले क्षेत्रों में रेज्ड वेड विधि से बुआई करने पर सामान्य दशा में 75 किग्रा० तथा मोटा दाना 100 किग्रा० प्रति हेक्टेयर की दर से इस्तेमाल करें।

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उर्वरक व सिंचाई

खेत की तैयारी के समय जिंक व यूरिया खेत में डालें और डीएपी खाद को ड्रिल से दें। एक एकड़ जमीन में कम से कम 10 किलो जिंक सल्फेट, 45 किलो यूरिया, 20 किलो म्यूरेट पोटाश और साथ में 50 किलो डीएपी खाद को ड्रिल के माध्यम से डालना होता है। पहली सिंचाई के समय यदि आप 60 किलो यूरिया डालते हैं तो भी सही हैं लेकिन इसे बुआई के 3 सप्ताह पहले डालें। इसके बाद सिंचाई फुटाव के समय, गांठे बनते समय, बालियाँ निकलने से पहले, इसकी दुधिया होने की दशा में और जब दाना पकने लग जाये, उस दौरान भी सिंचाई करनी आवश्यक है। इससे काले गेहूँ की उपज बहुत अच्छी होती हैं।  इसके बाद, कटाव के समय सिंचाई आवश्यक है, जबकि गाँठ बनाते समय, बालियां निकलने से पहले, इसके दुहने की स्थिति में और जब दाने पकने लगते हैं तब भी इसके कारण काले गेहूँ की पैदावार बहुत अच्छी होती है|

खेती की इस प्रक्रिया का इस्तेमाल कर किसान काले गेहूँ की अच्छी फसल तैयार कर काफी मुनाफा कमा सकते हैं। उनके लिए काले गेहूँ की खेती एक नया और अच्छा अवसर साबित हो सकता है क्योंकि इसमें उनकी मेहनत का उचित फल मिलने की ज़्यादा संभावना है। देश में काले गेहूँ के आटे का सेवन बढ़ता जा रहा है, ऐसे में किसानों को इस अवसर का लाभ उठाना चाहिए।

1 Comment
  1. Vijay Kumar says

    Kale gehu ka beej kha milega krapya bataye

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