ऐसे करें खीरे की खेती, मिलेगा मुनाफा ही मुनाफा

By: MeriKheti
Published on: 11-Feb-2023

गर्मियों के मौसम में लोगों को खीरा सबसे ज्यादा पसंद आता है. इससे ना सिर्फ प्यास बुझती है, बल्कि यह शरीर को अंदर से तरोताजा कर देता है. खीरे से हेल्थ को बहुत फायदा होता है, साथ ही यह स्किन के लिए काफी अच्छा माना जाता है. अनगिनत गुणों वाले खीरे की खास तरह से खेती करके किसान भाई मुनाफा ही मुनाफा कमा सकते हैं. बात जब खीरे की खेती करने की आती है तो इसकी खेती खरीफ और जायद दो सीजन में सबसे ज्यादा की जाती है. इसके अलावा खीरे की खेती ग्रीन हाउस में पूरे साल भर बड़ी ही आसानी के साथ की जा सकती है. हालांकि खीरे की डिमांड बसे ज्यादा गर्मियों के मौसम में होती है. क्योंकि इसकी तासीर काफी ठंडी होती है. इस वजह से इसका सेवन गर्मियों में सबसे ज्यादा किया जाता है. गर्मियों में खीरा खाने से पेट से जुड़ी समस्याएं दूर रहती हैं. खीरे में 95 प्रतिशत पानी होता है जो गर्मियों में शरीर को डी-हाईड्रेट होने से बचाता है. खीरे में कई तरह के विटामिन मौजूद होते हैं जो स्किन और बालों के लिए काफी अच्छे होते हैं. सलाद, सब्जी या फिर कच्चा किसी भी तरह से खीरे का सेवन किया जा सकता है.

खीरे से जुड़ी खास जानकारी

खीरे का नाम कुकुमिस स्टीव्स है. इसे खास रूप से भारत में उगाया जाता है. खीरे की बेल होती है, जिसमें इसके फल लटकते हैं. खीरे के बीजों का इस्तेमाल तेल निकालने के लिए भी किया जा सकता है. जो शरीर और दिमाग दोनों के लिए ही काफी अच्छा होता है. खीरे के पौधे का आकार लंबा और इसके फूल पीले रंग के होते हैं. खीरे का इस्तेमाल स्किन, किडनी और दिल से जुड़ी समस्याओं के निदान के लिए किया जाता है.

क्या हैं खीरे की उन्नत किस्में?

भारतीय किस्में

स्वर्ण अगेती, स्वर्ण पूर्णिमा, पूसा उदय, पूना खीरा, कल्यानपुर मध्यम, खीर 90, पूसा खीरे जैसी करीब 75 किस्में हैं.

नवीनतम किस्में

स्वर्ण शीतल, पूसा उदय, स्वर्ण पूर्णा आदि. ये भी देखें: खीरा की यह किस्म जिससे किसान सालों तक कम लागत में भी उपजा पाएंगे खीरा

संकर किस्में

पंत संकर खीरा, प्रिया, हाइब्रिड 1, हाइब्रिड 2 आदि.

विदेशी किस्में

जापानी लौंग ग्रीन, स्ट्रेट 8, पोइनसेट आदि.

खीरे की खेती के लिए क्या हो जलवायु और मिट्टी?

खीरे की उन्नत खेती के लिए रेतीली दोमट और भारी मिट्टी में उगाया जाता है. इसकी खेती के लिए अच्छे जल निकास वाली बलुई और दोमट मिट्टी दोनों की जरूरत होती है. खीरे की अच्छी खेती के लिए मिट्टी का पीएच मां कम से कम 5 से 7 के बीच में होना चाहिए. अगर आप खीरे की खेती करना चाहते हैं, तो इसके लिए अच्छे तापमान की जरूरत होती है.

क्या है खेती का सही समय?

खीरे की खेती पाले से खराब हो सकती है. इसलिए इसकी खेती के लिए जायद सीजन सबसे अच्छा होता है. गर्मियों के मौसम में खेती के बीजों की बुवाई फरवरी और मार्च के महीने में होती है. बारिश के मौसम में इसकी बुवाई जून से जुलाई में की जाती है. वहीं पहाड़ी क्षेत्रों में इसकी बुवाई मार्च और अप्रैल के महीने में की जाती है.

कैसे करें जमीन तैयार?

खीरे की खेती करने से पहले जमीन को अच्छे से तैयार करना बेहद जरूरी है. इसके लिए पहली जुताई मिट्टी को पलटने वाले हल से करके इसकी दो से तीन बार जुताई देसी हल से करनी चाहिए. ये भी देखें: भूमि विकास, जुताई और बीज बोने की तैयारी के लिए उपकरण

कितनी हो बीज की सही मात्रा?

अगर किसी किसान का खेत एक एकड़ है तो उसके लिए कम से कम एक किलो खीरे के बीजों की मात्रा काफी है. इस बात का ध्यान रखें कि, बिजाई से पहले फसल को कीड़ों और रोगों से बचाने के लिए जरूरी उपचार करें. बुवाई से पहले बीजों का कम से कम दो से तीन ग्राम कप्तान के साथ उपचार किया जाना चाहिए. इसके बीज बोने के लिए ढ़ाई मीटर चौड़े बैड का चुनाव करें. हर जगह दो बीजों की बुवाई करें औए उनके बीच कम से कम 50 से 60 सेमी. का फासला जरूर रखें.

कैसा हो बुवाई का सही ढ़ंग?

खीरे के बीजों की बुवाई छोटी सुरंग विधि से की जा सकती है. इस विधि से खीरे की पैदावार जल्दी होती है. इसके लिए गड्ढे को खोदकर बुवाई करनी चाहिए. इसके साथ ही खालियां बनाकर बुवाई और गोलाकार गड्ढे खोदकर भी बुवाई की जा सकती है.

कितनी हो खाद की मात्रा?

खीरे की खेती से पहले खेत तैयार करते वक्त 40 किलो नाइट्रोजन, 20 किलो फास्फोरस और 20 किलो पोटेशियम को शुरुआत में खाद के तौर पर डालें. बुवाई के समय नाइट्रोजन का एक तिहाई हिस्सा और पोटेशियम और सिंगल सुपर फास्फेट को मिलाकर डालें. बुवाई के लगभग एक महीने के बाद बची हुई खाद का भी इस्तेमाल कर लें.

कैसे करें खरपतवार को नियंत्रित?

खीरे की खेती के दौरान हो रही खरपतवार को नियंत्रित करने के लिए गोड़ाई और रसायनों की मदद ली जा सकती है. इसके अलावा आधा लीटर ग्लाइफोसेट को हर 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव किया जाता है. इसका छिड़काव मुक्य फसल पर ना करें.

कैसे करें सिंचाई?

खीरे की खेती गर्मियों के मौसम में की गयी है, तो इसकी सिंचाई बार बार की जानी चाहिए. हालांकि बारिश के मौसम में इसे सिंचाई की जरूरत नहीं होती. इसमें बुवाई से पहले एक बार सिंचाई की जानी चाहिए. जिसके बाद तीन से चार दिनों के गैप पर सिंचाई की जाती है. वहीं दूसरी बुवाई के बाद 5 से 6 दिनों पर सिंचाई की जाती है. ये भी देखें: मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना में लाभांवित होंगे हजारों किसान

कैसे करें पौधे की देखभाल, बिमारी और रोकथाम

एन्थ्राक्नोस नाम की बिमारी में फल गलने लगते हैं. यह बिमारी खीरे के सारे हिस्सों को बुरी तरह से प्रभावित करती है. खासतौर से वो हिस्से जो जमीन के ऊपर होते हैं. इसमें पुराने पत्तों पर पीले रंग के दाग धब्बे और फलों पे गहरे गोल धब्बे नजर आते हैं. इस बिमारी की रोकथाम के लिए क्लोरोथैलोनिल और बेनोमाइल का इस्तेमाल किया जाता है.

अगर पौधा मुरझाए

इर्विनिया नाम की इस बिमारी से पौधे की नाड़ी प्रभावित होने लगती है. जिस वजह से पौधा मुरझा या सूख जाता है. पौधे को इस बीमारी से बचाने के लिए कीटनाशक स्प्रे का इस्तेमाल किया जाना चाहिए.

पत्तों में दिखे सफेद धब्बे

अगर आपको पत्तों के ऊपर पाउडर वाले सफ़ेद धब्बे नजर आएं, तो सतर्क होने की जरूरत है. इससे पौधों को बचाने के लिए बैनोमाइल या क्लोरोथैलोनिल का स्प्रे किया जा सकता है.

अगर हो जाए चितकबरा रोग

अगर पौधे को चितकबरा रोग जाए तो पौधों का विकास रुक जाता है. इसके अलावा पत्ते मुरझा जाते हैं और निचले हिस्से में पीलापन हो जाता है. इसकी रोकथाम के लिए डियाजीनॉन का स्प्रे किया जाता है.

अगर लग जाए फल की मक्खी

खीरे की फसल में लगने वाला यह बेहद गंभीर रोग है. इसमें फल गलने शुरू हो जाते हैं और टूटकर नीचे गिर जाते हैं. इसकी रोकथाम के लिए पत्तों पर नीम के तेल का स्प्रे किया जाना चाहिए.

कैसे करें फसल की कटाई?

बुवाई के करीब एक से डेढ़ महीने में पौधे में फल लगाना शुरू हो जाते हैं. खीरे की कटाई खास तौर पर बीज के नरम होने, फल छोटे और हरे होने पर करें. इसकी कटाई के लिए धारदार चाकू या किसी नुकीली चीज का इस्तेमाल करें. इसकी पैदावार प्रति एकड़ 33 से 42 क्विंटल तक होती है. ये भी देखें: खरीफ की फसल की कटाई के लिए खरीदें ट्रैक्टर कंबाइन हार्वेस्टर, यहां मिल रही है 40 प्रतिशत तक सब्सिडी

कैसा हो बीज का उत्पादन

खीरे के उत्पादन के लिए भूरे रंग के बीज अच्छे होते हैं. बीज निकालने के लिए फलों के गुदे को कम दे कम दो दिनों तक पानी में रखें, ताकि बीज आसानी से अलग किये जा सकें. उसके बाद उन्हें हाथों से जोर से रगड़ा जाता है. जो बीज पानी में भारी होने के कारण नीचे बैठ जाते हैं, उनका इस्तेमाल कई और कामों में किया जाता है. इस तरह से खीरे की खेती करने से किसान भाइयों को अच्छा खासा मुनाफा हो सकता है.

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