खुरपका और मुंहपका रोग की रोकथाम की कवायद तेज

By: MeriKheti
Published on: 23-May-2022

बरसात और बदलते मौसम के दौरान पशुओं में फैलने वाले खुरपका-मुंहपका रोग की रोकथाम को पशुपालन विभाग ने कवायद तेज कर दी है। इसके तहत पूरे मथुरा जनपद में आगामी 6 जुलाई तक 7.90 लाख पशुओं को वैक्सीन लगाकर टीकाकरण अभियान को पूरा करने के निर्देश दिए गए हैं। सोमवार को मुख्य विकास अधिकारी डॉ. नितिन गौड़ ने अभियान को हरी झंडी दिखाकर शुरुआत की। मुख्य पशु चिकित्साधिकारी हरेन्द्र सिंह जादौन के अनुसार खुरपका-मुंहपका रोग पशुओं में तेजी से फैलने वाला विषाणु जनित रोग है, जिससे पशुओं के उत्पादन एवं कार्यक्षमता पर कुप्रभाव पड़ता है। उन्होंने बताया कि मथुरा में दूसरे चरण के अभियान को तेज कर दिया गया है। मानसून की बारिश शुरू होने से पहले ही टीकाकरण का लक्ष्य पूरा हो जाना चाहिए। इसके लिए विभाग ने ब्लॉकवार 38 टीमें गठित कीं हैं। --- पिछले वर्ष हुई थी कई पशुओं की मौत, मथुरा। खुरपका-मुंहपका रोग की चपेट में आकर पिछले वर्ष जिलेभर में तीन दर्जन से ज्यादा पशुओं की मौत हो गई। विभाग का दावा कि इस बार अभी तक कोई केस सामने नहीं आया है, लेकिन बारिश होने के साथ रोग फैलने का खतरा बन सकता है। इसी को देखते हुए टीकाकरण अभियान को तेज कर दिया गया है। --- पिछले वर्ष हुई थी कई पशुओं की मौत, सहारनपुर। खुरपका और मुंहपका रोग की चपेट में आकर पिछले वर्ष गांव नवादा तिवाया में बरसात के दौरान करीब 15 पशुओं की मौत हुई थी। इसी तरह बेहट के घाड़ क्षेत्र में भी कई पशुओं की जान गई थी। विभाग का दावा है कि इस बार अभी तक कोई केस सामने नहीं आया है, लेकिन बारिश होने के साथ रोग फैलने का खतरा बना है। इसी को देखते हुए टीकाकरण अभियान को तेज कर दिया है। रोग के लक्षण - पशु के मुंह से से अत्यधिक लार का टपकना - जीभ और तलवे पर छालों का उभरना एवं जीभ का बाहर आ जाना - पशु के जुगाली करना बंद कर देना - दूध उत्पादन में करीब 80 प्रतिशत की कमी। - पशुओं का गर्भपात होना - बछड़ों में अत्यधिक बुखार आने पर मृत्यु हो जाना। ऐसे करें बचाव (खुरपका मुँहपका रोग नियंत्रण) - रोग का पता लगने पर पशु को अन्य पशुओं से तुरंत दूर किया जाए - दूध निकालने वाले व्यक्ति को हाथ और मुंह साबुन से धोना चाहिए - प्रभावित क्षेत्र को सोडियम कार्बोनेट घोल पानी मिलाकर धोना चाहिए - चिकित्सकों की सलाह लेकर पशु के तुरंत टीका लगवाने के साथ नियमित उपचार कराएं। - स्वस्थ एवं बीमार पशु को अलग-अलग रखें - बीमार पशुओं को स्पर्श करने के बाद व्यक्ति को सोडियम कार्बोनेट घोल से अपने हाथ पैर धोने चाहिए। क्योंकि, यह रोग मनुष्य भी फैल सकता है। - जिस जगह पर पशु को रखते हों, वहां ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव करें। - टीकाकरण के दौरान प्रत्येक पशु के लिए अलग-अलग सुई का प्रयोग कराया जाए। - पशु के ठीक हो जाने पर 20 दिन बाद ही उसे दूसरे पशुओं के पास लाना चाहिए।  

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