विदेशों से आने को है प्याज

विदेशों से आने को है प्याज

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सरकारी दखल की शुरूआत होते ही प्याज की कीमतें धडाम हो गई हैं। नैफेड ने 15000 टन आयातित प्याज की आपूर्ति की प्रक्रिया ज्यों ही शुरू की कीमतें आधी रह गई हैं। इससे स्पष्ट होता है कि कृषि जिंसों की कीमतें बढ़ाने घटाने में स्टॉकिस्ट कारोबारियों की अहम भूमिका होती है। जैेसे कीमतें नियंत्रित करने में सरकार सक्रिय हुई बाजार गिरने लगा। हालिया तौर पर देश की थोक मंडियों की बात करें या फिर अन्य मंडियों की प्याज की कीमतें हर जगेह लगातार गिर रही हैं।

थोक मंडियों में अभी तक प्याज की कीमतें चार हजार से 1200 रुपए प्रति कुतल के करीब थीं। औसतन यहां प्याज 3000 रुपए क्विंटल तक बिक रही थी। दस दिन पूर्व तक यही प्याज औसमतन छह हजार रुपए प्रति कुंतल थी। थोक बाजार में गिरावट का असर खुदरा बाजार पर भी पड़ने लगा है। मुंबई से लेकर दिल्ली तक हर जगह प्याज की कीमतों में गिरावट दर्ज की जा रही है। उल्लेखनीय है कि किसान ज्यादातर अपनी फसलें आने के साथ ही बेच देता है। बाद में कारोबारी मनमर्जी से अपने माल की कीमत वसूलते हैं। जिन जिंसों की खरीद एवं स्टाक के दाम में कम कारोबारी जुड़े होते हैं वह आसानी से लामबंद होकर उपभोक्ता और सरकार दोनों के लिए सिरदर्द बन जाते हैं। यह बात अलग है कि कई दफा कम उत्पादन के चलते कीमतें बढ़ जाती हैं।
आयातित प्याज को बंदरगाहों से सीधे बाजार में उतारा जाएगा। खुदरा बाजार में प्याज की पहुंच के लिए राज्य सरकारों से भी इस बात पर पूछा गया की उन्हें कितनी प्याज की जरूरत है।

विदेशों से आयातित प्याज का आकार बड़ा होता है। इस चीज को ध्यान में रखते हुए मध्यम आकार की प्याज भी मंगाई गई है। इस बार स्थानीय आयातकों के माध्यम से प्याज का आयात किया जा रहा है। पिछले साल तुर्की आदि देशों से प्याज मंगाया गया था।

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