उत्तर प्रदेश में जैविक खेती से बढ़ी किसानों की आमदनी

By: MeriKheti
Published on: 05-Dec-2019

अपनी खेती, अपनी खाद, अपना बीज, अपना स्वाद। जैविक खेती कृषि की ऐसी पद्धति है, जिसमें पर्यावरण को स्वच्छ प्राकृतिक संतुलन को कायम रखते हुए भूमि, जल एवं वायु को प्रदूषित किये बिना दीर्घकालीन व स्थिर फसल उत्पादन प्राप्त किया जाता है। इस पद्धति में रसायनों का उपयोग नही किया जाता है। यह पद्धति रसायनिक कृषि की अपेक्षा सस्ती, स्वावलम्बी एवं स्थाई होती है। इससे मिट्टी की उर्वरा शक्ति बनी रहती है। आज के समय में खेती करना रसायनिक उर्वरकों व अन्य रसायनिक वस्तुओं के महंगी होने के कारण किसानों की अधिक लागत लगती है। भूमि का आहार जीवाश्म है। जीवश्म गोबर, पौधों, खर-पतवार, जीवों के अवशेष आदि को खाद के रूप में भूमि को प्राप्त होते है। और भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ती है। जिससे फसलोत्पादन में पौधों को समस्त पोषक तत्व प्राप्त होते है और किसान की फसल में उत्तरोत्तर वृद्धि होती हैं।  

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 प्रदेश सरकार प्रदेश के किसानों को जैविक खाद का प्रयोग करते हुए खेती करने को बढ़ावा दे रही हैं जैविक खेती के लिए नैडप विधि, वर्मी कम्पोस्ट जैव उर्वरक एवं हरी खाद से खाद बनाते हुए खेत में किसान डालकर फसल उत्पादन बढ़ा सकते है। प्रदेश सरकार जैविक खाद बनाने के लिए नियमानुसार अनुदान भी देती है। उसके प्रयोग से उगाई गई फसलों पर कीटों को प्रकोप बहुत कम होता है। जिसमें हानिकारक रसायनों के छिडकाव की आवश्यकता नहीं रह जाती है। उत्पादित फसलों से प्राप्त खाद्यान्न, फल, सब्जियां आदि हानिकारक रसायनों से पूर्णतः मुक्त होती है। और खाद्य पदार्थ स्वादिष्ट, पोषक तत्वों से भरपूर होते है। जैविक उर्वरकों के प्रयोग से रसायनिक उर्वरक एवं विदेशी मुद्रा की बचत भी होती है, क्योंकि किसानों को रसायनिक उर्वरक आपूर्ति करने के लिए आवश्यकतानुसार विदेशों से भी क्रय की जाती है। जिसमें सरकार की विदेशी मुद्रा व्यय होती है। इसके प्रयोग से विभिन्न फसलों में 20 प्रतिशत से अधिक उपज में वृद्धि होती है। फसलों में अंकुरण शीघ्र होता है और कल्लों की संख्या में वृद्धि होती है। रसीले व तिलहन की फसलों की मात्रा में बढ़ोत्तरी होती है। किसानों की आय दोगुना करने के लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की नीति के तहत किसानों को आर्थिक लाभ भी होता है। प्रदेश में जैविक खेती को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने परम्परागत कृषि विकास योजनान्तर्गत चयनित 24 जनपदों में कुल 620 क्लस्टरों का चयन कर 31000 कृषकों को लाभान्वित कर रही है। बुन्देलखण्ड क्षेत्र के हमीरपुर जनपद की जैविक खेती के अन्तर्गत मॉडल जनपद बनाने हेतु 140 क्लस्टर में कार्यक्रम संचालित कर पूर्ण कर लिया गया है। आरकेवीवाई योजनान्तर्गत पीलीभीत जनपद में जैविक खेती योजनान्तर्गत 35 क्लस्टर का गठन कर कार्यक्रम संचालित किया जा रहा हैं। नमामि गंगे योजना के अन्तर्गत चयनित 08 जनपदों में 320 क्लस्टर का गठन कर कार्यक्रम चलाया जा रहा है। झांसी व बांदा में भी आर्गेनिक आउटलेट की स्थापना करायी गयी है। मृदा में जीवांश कार्बन बढ़ाने हेतु 39523 वर्मी कम्पोस्ट यूनिट की स्थापना की जा रही है। प्रदेश के किसानों द्वारा जैविक खेती को अपनाया जा रहा है। जैविक खाद का प्रयोग करते हुए किसानों के फसलोत्पादन में बढ़ोत्तरी के साथ ही उनकी आमदनी में भी इजाफा हो रहा है।

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