ज्यादातर तेलों के भाव में आई गिरावट से लोगों में खुशी की लहर

ज्यादातर तेलों के भाव में आई गिरावट से लोगों में खुशी की लहर

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होली का समय चल रहा है। जनता को तेल के भाव में काफी राहत मिल सकती है। भारत में विदेशों से तेल बेहद आयात हो रहा है। इसी वजह से देसी तेलों की स्थिति पस्त है। बाजार में तेलों की कीमतों में निरंतर गिरावट देखी जा रही है।

इस माह में होली का पर्व है। देशवासी होली त्यौहार को अच्छे से मनाने की तैयारियों में लगे हुए हैं। होली पर गुंजिया, पपड़ी, पकौड़े, समोसे सहित विभिन्न प्रकार के व्यंजन निर्मित किये जाते हैं। लोग एक दूजे के घर पर जाकर खूब होली खेलते हैं। साथ ही, इन व्यंजनों का सेवन करते हैं। बहुत बार यही भोजन आम आदमी की पहुँच से दूर हो जाते हैं। इसकी मुख्य वजह होती है, इन व्यंजनों पर होने वाला खर्च। हालाँकि, इस बार होली के पावन पर्व पर लोगों को राहत मिलने की आशा है। यह खुशखबरी खाद्य तेलों की तरफ से आई है। इस बार खाद्यतेल के भावों में तीव्रता से कमी दर्ज की जा रही है। अगर यही स्थिति रही तब होली पर व्यंजन तैयार करना बेहद सस्ता हो जाएगा।

ज्यादातर तेलों के मूल्य में आई कमी

दिल्ली तेल तिलहन बाजार में ज्यादातर तेल तिलहनों के भावों में गिरावट दर्ज की जा रही है। विदेशों से आयातित तेलों के समक्ष देसी तेलों के भाव टिक नहीं पा रहे हैं। मजबूरी वश देसी तेलों के भाव कारोबारियों व किसानों को घटाने पड़ रहे हैं। इसी का परिणाम है, कि सोयाबीन तेल तिलहन बिनौला तेल एवं सरसों तेल के भाव में कमी दर्ज की गई है।

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सरसों की कितनी आवक हुई है

भारत की मंडियों में सरसों की आवक में निरंतर बढ़ोत्तरी देखी जा रही है। इस शनिवार को देश की मंडियों में 8.25 लाख सरसों की बोरी की आवक हो गई है। मध्य प्रदेश के सागर जनपद में सरसों का बिक्रय 4500 रुपये प्रति क्विंटल तक हो गया है। यह 5000 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी से बहुत ज्यादा कम है। सरसों को बेचने को लेकर किसानों का बेकार हाल है। सरसों की कीमतों में इजाफा करने हेतु क्या कदम उठाए जाएं? किसान भाइयों को कोई उपाय नहीं समझ आ रहा है।

बिनौला तेल की कीमत में 100 रुपये प्रति क्विंटल आई गिरावट

सोयाबीन और बिनौला तेल की स्थिति काफी बेकार हो गई है। गुजरात सहित बाकी राज्यों में बिनौला तेल दो से 3 रुपये प्रति किलो ज्यादा के भाव से बेचा जाता था। परंतु, इस बार इसकी कीमत में 1 रुपये प्रति किलो मतलब 100 रुपये प्रति क्विंटल की गिरावट दर्ज की गई है। इसका प्रभाव खुदरा बाजार में देखा जा रहा है। आम आदमी न्यूनतम भाव पर तेल खरीद रहा है।

आखिर किस वजह से तेल के भाव में आई कमी

कारोबारी विदेशी तेलों हेतु निःशुल्क आयात नीति बंद करने की मांग कर रहे हैं। आपको बतादें, कि विदेशों से आने वाले तेलों पर किसी प्रकार का शुल्क नहीं लगाया जा रहा है। यही वजह है, जो विदेशों से आयात तेल बहुत कम भाव पर बेचा जा रहा है। साथ ही, देसी तेल में लागत अधिक आने से थोड़ा महंगा हो गया है। यही वजह है, कि विदेशी तेल के सस्ता होने एवं देसी महंगा होने के चलते लोग विदेशी तेल को ज्यादा खरीद रहे हैं। खरीदार न मिल पाने की वजह से लोग देसी तेल के भाव में गिरावट देखने को भी मजबूर हैं।

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