पराली पर्यावरण प्रदूषण के लिए नासूर बन चुकी है। यदि इसका ठीक उपयोग हो तो यह बहुत काम की चीज है। किसान पराली न जलाएं इस सोच को धरातल पर लाने के लिए सरकार पहले चरण में 878 करोड रुपए की धनराशि खर्च करेगी। इस धनराशि से 97.5 मेगावाट क्षमता के 11 बायोमास पावर प्रोजैक्ट और 23 सी.बी.जी. प्रोजैक्ट अलाट किये गए हैं।
धान उत्पादक राज्यों में पराली एक बहुत बड़ी समस्या बन गई है। कारण यह है कि एक साथ कटने वाली धान की फसल से बची पराली का समय बद्ध निस्तारण सरकारों के बस की बात नहीं है। इसके चलते किसान अपनी गेहूं की फसल बुवाई के लिए धान की पराली को आग लगाने के आदी बन चुके हैं लेकिन कृषि प्रधान राज्य पंजाब में सरकार ने अब पराली जलाने को बंद करने की एक ठोस कार्य योजना तैयार की है। इसके लिए सरकार ने 8 से 78 करोड रुपए की कार्य योजना तैयार की है और इस काम के लिए 235 करोड़ों रुपए की पहली किस्त भी मंजूर कर दी है।
पंजाब राज्य की मुख्य सचिव श्रीमती विनी महाजन ने दिल्ली एनसीआर और नजदीकी इलाकों में पराली से होने वाले प्रदूषण को नियंत्रित करने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी दी। उन्होंने जानकारी वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग के सदस्यों के साथ एक मीटिंग में साझा की।
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आयोग के चेयरमैन डा. एम.एम. कुट्टी ने आयोग की हिदायतों के मुताबिक फसलीय अवशेष के इन -सीटू/एक्स -सीटू प्रबंधन संबंधी पंजाब राज्य को कार्य योजना बनाने के लिए पंजाब सरकार की पीठ थपथपाई। उन्होंने धान की पराली जलाने के रुझान को कम करने की योजना के साथ-साथ प्रभावशाली निगरानी और नियम की जरूरत पर भी जोर दिया।
पंजाब सरकार ने पराली के निस्तारण से जुड़े हुए कृषि यंत्रों पर किसानों को विशेष छूट भी दी है कस्टम हायरिंग सेंटर स्थापित करने के लिए करीब 75000 यंत्र किसानों को मुहैया कराए गए हैं। सरकार करीब 25000 कृषि यंत्र और देने वाली है। उन्होंने पराली प्रबंधन के लिए केंद्र से किसानों को धनराशि मुआवजे के रूप में दिए जाने की मांग की गई है।