क्षेत्रीय मांग और संसाधनों के अनुरूप हो गन्ना किस्म

By: MeriKheti
Published on: 29-Nov-2019

गन्ना यूंतो समूचे देश में लगाया जाता है लेकिन इसकी खेती हरियाणा, पंजाब, उत्तर प्रदेश में काफी होती है। गन्ने की खेती नगदी फसल के तौर पर मानी जाने लगी है। अब चीनी मिलों या फिर खुले बाजार में भी जूस के लिए गन्ने की मांग होने लगी है। यही नहीं जैविक खेती पर काम करने वाले लोगों ने गन्ने की जैविक खेती से जैविक गुड तैयार करना भी शुरू किया है। मोरठ—मुजफ्फर नगर के इलाकों में इस श्रेणी का गुड 100 रुपए प्रति किलोग्राम की दर से किसानों के खेतों से ही बिक रहा है। गन्न किसान जमीन दोनों के लिए बेहद लाभकारी फसल है। क्षेत्रीय जरूरतों के अनुरूप ​यदि गन्ने की किस्म का चयन किया जाएगा तो निश्चय ही किसानों को लाभकारी मूल्य मिल सकेगा। सबसे जरूरी बात किस्मों के चयन की है। किस क्षेत्र के लिए कौनसी किस्म यह जानकारी होना आवश्यक है। 

किस्म का चयन

  ganna ki kism Co 0238 (करन4) 

एक उच्च उपजशील और उच्च शर्करा मात्रा वाली किस्म है। इसे हरियाणा, पंजाब, पश्चिमी और मध्य उत्तर प्रदेश, उत्तराखण्ड और राजस्थान राज्यों को शामिल करते हुए उत्तर–पश्चिमी जोन में व्यावसायिक खेती के लिए एक अगेती किस्म के रूप में लगाया जा सकता है। उपज (81 टन प्रति हैक्टेयर मिलती है । गुड़ हल्के पीले रंग के साथ ए-1 गुणवत्ता वाला होता है। यह किस्म लाल सड़न रोग प्रतिरोधी है। चूंकि इस  किस्म में उच्च गन्ना उपज और बेहतर जूस गुणवत्ता दोनों गुण सम्मिलित हैं, यह किस्म कहीं तेज गति से खेत में फैलती है और इसलिए किसानों और चीनी उद्योग दोनों द्वारा इसे पसंद किया जा रहा है।

 

उत्तर प्रदेश के विभिन्न जनपदों हेतु स्वीकृत

  sugarcane 

 1 -सभी क्षेत्र—को०शा०8436‚ को०शा०88230‚ को०शा०95255‚ को०शा०96268‚  को०शा०03234‚ यू०पी०05125को०से०98231, को०शा०08272, को०से०95422, को०0238‚ को०0118‚ को०98014 मध्य देरी से बोई जाने वाली को०शा०767‚ को०शा०8432‚को०शा०97264‚  को०शा०96275‚ को०शा०97261‚ को०शा०98259‚ को०शा०99259‚ को०से०01434‚ यू०पी०0097‚ को०शा०08279‚ को०शा०08276‚ को०शा०12232‚ को०से०11453‚ को०05011, को०शा०09232 किस्म प्रमुख हैं। 2- पश्चिमी क्षेत्र जिसमें मेरठ, सहारनपुरत, गाजियाबाद, हापुड़, बुलन्दशहर बागपत आते हैं। को०जा64‚ को०शा०03251‚ को०लख०9709‚ को०0237‚ को०0239‚ को०05009‚ को०पी०के०05191 मध्य देरी से पकने वाली सभी क्षेत्रों के लिए स्वीकृत प्रजातियों के साथ-साथ को०शा०94257‚ को०शा०96269‚ यू०पी०39‚ को०पन्त०84212‚  को०शा०07250‚ को०ह०119‚ को०पन्त97222‚ को०जे०20193‚ को०0124‚ को०ह०128किस्म उपयुक्त हैं। 3- मध्य क्षेत्र लखनऊ, बरेली, मुरादाबाद, लखीमपुर, सीतापुर, हरदोई, रायबरेली, कानपुरकानपुर-देहात फर्रखाबाद, उन्नाव, पीलीभीत, शाहजहॉपुर, बदॉयू,अलीगढ़, एटा, मथुरा आदि क्षेत्रों के लिए को०जा64‚ को०से०01235‚ को०लख०9709‚ को०0237‚ को०0239‚ को०05009‚ को०पी०के०05191    मध्य देरी से बाने के लिए सभी क्षेत्रों के लिए स्वीकृत प्रजातियों के साथ-साथ को०शा०94257‚ को०शा०96269‚ यू०पी०39‚ को०पन्त०84212‚ को०ह०119‚ को०पन्त97222‚ को०जे०20193‚ को०0124‚ को०ह०128 किस्म का चयन करें। 4- पूर्वी क्षेत्र देवरिया, गोरखपुर, देवीपाटन, फैजाबाद, देवरिया, कुशीनगर, आजमगढ़, मऊ, बलिया। गोरखपुर, महराजगंज, बस्ती,सिद्धार्थनगर, संतकबीरनगर,गोण्डा, बलरामपुर, श्रावस्ती, बहराइच। फैजाबाद, बाराणसीभदोही, जौनपुरगाजीपुर, बाराबंकी अम्बेडकरनगर सुल्तानपुर, अमेठी इलाहाबाद, मिर्जापुर आदि सभी क्षेत्रों के लिए स्वीकृत प्रजातियों के साथ-साथ को०से०01235‚ को०87263‚ को०87268‚ को०89029‚ को०लख०94184‚ को०0232‚ को०से०01421 मध्य देरी से बोने के लिए सभी क्षेत्रों के लिए स्वीकृत प्रजातियों के साथ-साथ को०से०96436‚ को०0233‚ को०से०08452 किस्में उपयुक्त हैं। 5- सभी जलप्लावित क्षेत्रों के लिए स्वीकृत प्रजातियॉ। यू०पी०9530एवं को०से०96436 प्रमुख हैं। 6-उपोष्ण कटिबंधीय  क्षेत्रों हेतु- बीओ- 145, 146, 147, 153, को- 0118, 0124, 0232, 0233, 0237, 0238, 05009, 05011, 98014, सीओबीएलएन- 02173, 90006, 9101, 9102, 9103, 9104, 9105, 94063, सीओएच- 110, सीओएच- 119, सीओएच- 128, कोजा- 89, कोलख- 94184, सीओपी- 2061, सीओपी- 9702, कोपंत- 03220, कोपंत- 90222, कोपंत- 94211, कोपंत- 96219, कोपंत- 97222, कोपंत- 99214, सीओपीबी- 09181 (कोपंजाब91), कोपीके- 05191, कोशा- 03251, कोशा- 07250, कोशा- 08277, कोशा- 96269, कोशा- 96275, कोशा- 97261, कोशा- 98259, कोशा- 99259, कोशे- 00235, 01235, 01424, 01434, 03234, 96234, यूपी- 0097 औरयूपी- 05125 औरको- 06034 आदि प्रमुख हैं| 7-उष्ण कटिबंधीय क्षेत्रों  हेतु- को- 0218, को- 0403, को- 06027, को- 06030, को- 2000-13, को- 2000-15, को- 91010, को- 92005, को- 94008, को- 94012, को- 99004, सीओए- 03081 (97 अ85), सीओए- 88081 (84 अ125), सीओए- 99082 (93 अ145), सीओसी (एससी)- 22, सीओसी (एससी)- 23, सीओसी (एससी)- 24, सीओसी- 01061, सीओसी- 08336, सीओएम- 0265, सीओएम- 7714, सीओएम- 88121, सीओएन- 85134, सीओएसएनके- 05104, सीओवी- 94101 (86 वी96), सीओवी- 95101 (91 वी83), सीओवीसी- 2003-165, सीओवीसी- 94463, वीसीएफ- 05171 और को- 0212 आदि प्रमुख हैं|

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