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सिंचाई योजना

गेहूं के उत्पादन में यूपी बना नंबर वन

गेहूं के उत्पादन में यूपी बना नंबर वन

आपदा को अवसर में कैसे बदला जाता है, यह कोई यूपी से सीखे। कोरोना के जिस भयावह दौर में आम आदमी अपने घरों में कैद था। उस दौर में भी ये यूपी के किसान ही थे, जो तमाम सावधानियां बरतते हुए भी खेत में काम कर रहे थे या करवा रहे थे। नतीजा क्या निकला? यूपी गेहूं के उत्पादन में पूरे देश में नंबर 1 बन गया। कुछ चीजें जब हो जाती हैं और आप उनके बारे में सोचना शुरू करते हैं, तो पता चलता है कि यह तो चमत्कार हो गया। ऐसा कभी सोचा ही नहीं गया था और ये हो गया। कुछ ऐसी ही कहानी है यूपी के कृषि क्षेत्र की। कोरोना के जिस कालखंड में आम आदमी अपनी जिंदगी बचाने के लिए संघर्ष कर रहा था, सावधानियां बरतते हुए चल रहा था, उस यूपी में ही किसानों ने कभी भी अपने खेतों को भुलाया नहीं। क्या धान, क्या गेहूं, क्या मक्का हर फसल को पूरा वक्त दिया। निड़ाई, गुड़ाई से लेकर कटाई तक सब सही तरीके से संपन्न हुआ। यहां तक कि कोरोना काल में भी सरकार ने न्यूनतम समर्थन मूल्य पर फसलों की खरीद की। इन सभी का अंजाम यह हुआ कि यूपी गेहूं के क्षेत्र में न सिर्फ आत्मनिर्भर हुआ बल्कि देश भर में सबसे ज्यादा गेहूं उत्पादक राज्य भी बन गया।


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अकेले 32 प्रतिशत गेहूं का उत्पादन करता है यूपी

यूपी के एग्रीकल्चर मिनिस्टर सूर्य प्रताप शाही के अनुसार, यूपी में देश के कुल उत्पादन का 32 फीसद गेहूं उपजाया जाता है। यह एक रिकॉर्ड है, पहले हमें पड़ोसी राज्यों से गेहूं के लिए हाथ फैलाना पड़ता था। अब हमारा गेहूं निर्यात भी होता है, पड़ोसी राज्यों की जरूरत के लिए भी भेजा जाता है। शाही के अनुसार, ढाई साल तक कोरोना में भी हमारे किसानों ने निराश नहीं किया। इन ढाई सालों के कोरोना काल में सिर्फ कृषि सेक्टर की उत्पादकता बढ़ी। किसानों ने दुनिया को निराश नहीं होने दिया। खेतों में अन्न पैदा होता रहा तो गरीबों को मुफ्त में राशन लेने की दुनिया की सबसे बड़ी स्कीम प्रधानमंत्री के नेतृत्व में चलाई गई। आपको तो पता ही होगा कि देश में 80 करोड़ तथा उत्तर प्रदेश में 15 करोड़ लोगों को प्रतिमाह मुफ्त में दो बार राशन दिया गया। राज्य सरकार ने भी किसानों को लागत का डेढ़ गुना एमएसपी देने के साथ ही यह तय किया कि महामारी के चलते किसी के भी रोजगार पर असर न पड़े। कोई भूखा न सोए, एक जनकल्याणकारी सरकार का यही कार्य भी होता है।

21 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि पर मिली सिंचाई की सुविधा

आपको बता दें कि यूपी में पिछले 5 सालों में हर सेक्टर में कुछ न कुछ नया हुआ है। प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना से पिछले पांच साल में प्रदेश में 21 लाख हेक्टेयर अतिरिक्त भूमि पर सिंचाई की सुविधा मिली है। सरयू नहर परियोजना से पूर्वी उत्तर प्रदेश के 9 जिलों में अतिरिक्त भूमि पर सिंचाई सुनिश्चित हुई है। हर जिले में व्यापक स्तर पर नलकूप की स्कीम चलाने के साथ सिंचाई की सुविधा को बढ़ाने के लिए पीएम कुसुम योजना के तहत किसानों को अपने खेतों में सोलर पंप लगाने की व्यवस्था की जा रही है। तो, अगर गेहूं समेत कई फसलों के उत्पादन में हम लोग आगे बढ़े हैं तो यह सब अचानक नहीं हो गया है। यह सब एक सुनिश्चित योजना के साथ किया जा रहा था, जिसका नतीजा आज सामने दिख रहा है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत राज्य सरकारों को 4000 करोड़ रुपये आवंटित  

प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के तहत राज्य सरकारों को 4000 करोड़ रुपये आवंटित  

कृषि,सहकारिता एवं किसान कल्याण विभाग ‘‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना का घटक ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ (पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी)’’ कार्यान्वित कर रहा है। 

पीएमकेएसवाई- पीडीएमसी के तहत सूक्ष्म सिंचाई प्रौद्योगिकियों यथा ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणालियों के माध्‍यम से खेत स्तर पर जल उपयोग की क्षमता बढ़ाने पर फोकस किया जाता है। 

ड्रिप सूक्ष्म सिचाई तकनीक से न केवल जल की बचत करने में, बल्कि उर्वरक के उपयोग, श्रम खर्च और अन्य कच्‍चे माल की लागत को कम करने में भी मदद मिलती है।

चालू वर्ष के लिए 4000 करोड़ रुपये का वार्षिक आवंटन पहले ही हो गया है और राज्य सरकारों को सूचित कर दिया गया है। 

राज्य सरकारों ने इस कार्यक्रम के तहत कवर किए जाने वाले लाभार्थियों की पहचान कर ली है।वर्ष 2020-21 के लिए कुछ राज्यों को फंड जारी करने की प्रक्रिया पहले से ही चल रही है। 

 इसके अलावा, नाबार्ड के साथ मिलकर 5000 करोड़ रुपये का सूक्ष्म सिचाई कोष बनाया गया है। इस कोष का उद्देश्य राज्यों को विशेष सिंचाई और अभिनव परियोजनाओं के माध्यम से सूक्ष्म सिचाई की कवरेज के विस्तार के लिए आवश्‍यक संसाधन जुटाने में सुविधा प्रदान करना है। 

इसका एक अन्‍य उद्देश्‍य किसानों को सूक्ष्म सिंचाई प्रणालियां स्थापित करने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी के तहत उपलब्ध प्रावधानों से परे सूक्ष्म सिंचाई को बढ़ावा देना है। 

ब तक नाबार्ड के माध्यम से आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु को सूक्ष्म सिचाई कोष से क्रमश: 616.14 करोड़ रुपये और 478.79 करोड़ रुपये जारी किए गए हैं। 

इन परियोजनाओं के अंतर्गत कवर किया गया क्षेत्र आंध्र प्रदेश में 1.021 लाख हेक्टेयर और तमिलनाडु में 1.76 लाख हेक्टेयर है। 

 पिछले पांच वर्षों (2015-16 से 2019-20 तक) के दौरान 46.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को पीएमकेएसवाई-पीडीएमसी के माध्यम से सूक्ष्म सिंचाई के तहत कवर किया गया है।  

मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना में लाभांवित होंगे हजारों किसान

मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना में लाभांवित होंगे हजारों किसान

लखनऊ। किसानों को सिंचाई के लिए आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना नाम से एक नई योजना शुरूआत की है। 

इस योजना के तहत वर्ष 2022-23 में प्रदेश हजारों किसान लाभांवित होंगे। लघु सिंचाई विभाग ने इसका प्रस्ताव बनाकर शासन को भेज दिया है। अब विभाग को इसकी स्वीकृति का इंतजार है। 

इस योजना के लिए बजट में 216 करोड़ प्रस्तावित हुए हैं। लघु सिंचाई के निःशुल्क बोरिंग योजना, मध्यम नहर नलकूप योजना और गहरी योजना को मिलाकर यह नई योजना शुरू की गई है। 

प्रभारी सहायक अभियंता लघु सिंचाई विनय कुमार ने बताया कि इस योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि उत्पादन में वृद्धि हेतु कृषकों के निजी सिंचाई साधनों का निर्माण कराकर उन्हें आत्मनिर्भर बनाना है। 

जिससे प्रदेश के हर खेत मे सुनिश्चित सिंचाई सुविधा उपलब्ध हो सके। तथा प्रदेश के कृषक आधिकारिक खाद्यान्न उत्पादन का प्रदेश व देश के आर्थिक विकास में योगदान कर सकें। 

उन्होंने इस योजना के तहत 300 बोरिंग कराने का प्रस्ताव शासन को भेजा है। जिसके तहत 60 बोरिंग अनुसूचित जाति व 220 बोरिंग सामान्य जाति के लोगों के लिए लगाए जाएंगे।

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सामान्य जाति के लघु एवं सीमान्त किसानों हेतु अनुदान

-इन योजना में सामान्य श्रेणी के लघु एवं सीमान्त कृषकों हेतु बोरिंग पर अनुदान की अधिकतम सीमा क्रमशः 5000 रु. तथा 7000 रु. निर्धारित की गई है सामान्य श्रेणी के लाभार्थियों के लिए जोत सीमा 0.2 हेक्टेयर निर्धारित है। 

सामान्य श्रेणी के कृषकों की बोरिंग पर पम्पसेट स्थापित कराना अनिवार्य नहीं है। परंतु पम्पसेट क्रय कर स्थापित करने पर लघु कृषकों की अधिकतम 4500 रु. व सीमान्त कृषकों हेतु 6000 रु. का अनुदान अनुमन्य है।

अनुसूचित जाति/जनजाति कृषकों हेतु अनुदान

- अनुसूचित जाति/जनजाति के लाभार्थियों हेतु बोरिंग पर अनुदान की अधिकतम सीमा 10000 रुपए निर्धारित है। न्यूनतम जोत सीमा का प्रतिवर्ष तथा पम्पसेट स्थापित करने की बाध्यता नहीं है। 

10000 रुपए की सीमा के अंतर्गत बोरिंग से धनराशि शेष रहने पर रिफ्लेक्स वाल्व, डिलीवरी पाइप, बैंड आदि सामिग्री उपलब्ध करने की अतिरिक्त सुविधा भी उपलब्ध है। पम्पसेट स्थापित करने पर अधिकतम 9000रुपए का अनुदान अनुमान्य है। 

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एच.डी.पी.ई. पाइप हेतु अनुदान

- वर्ष 2012-13 से जल के अपव्यय को रोकने एवं सिंचाई दक्षता में अभिवृद्धि के दृष्टिकोण से कुल लक्ष्य के 25 प्रतिशत लाभार्थियों को 90 एमएम साइज का न्यूनतम 30 मी. से अधिकतम 60 मी. एचडीपीई पाइप स्थापित करने हेतु लागत का 50 प्रतिशत अधिकतम 3000 रुपए का अनुदान अनुमन्य करने जाने का प्रावधान किया गया है। 22 मई 2016 से 110 एमएम साइज के एचडीपीई पाइप स्थापित करने हेतु भी अनुमान्यता प्रदान कर दी गई है।

पम्पसेट क्रय हेतु अनुदान

- निःशुल्क बोरिंग योजना के अंतर्गत नाबार्ड द्वारा विभिन्न अश्वशक्ति के पम्पसेट के लिए ऋण की सीमा निर्धारित है। जिसके अधीन बैंकों के माध्यम से पम्पसेट हेतु ऋण की सुविधा उपलब्ध है। 

जनपदवार रजिस्टर्ड पम्पसेट डीलरों से नगद पम्पसेट क्रय करने की भी व्यवस्था है। दोनों विकल्पों में से कोई भी प्रक्रिया अपनाकर आईएसआई मार्क (ISI Mark) पम्पसेट क्रय करने का अनुदान अनुमन्य है। 

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कैसे करें आवदेन

- सर्वप्रथम आपको लघु सिंचाई विभाग, उत्तर प्रदेश की आधिकारिक वेबसाइट पर जाना होगा।

यूपी निशुल्क बोरिंग योजना के अंतर्गत लक्ष्यों का निर्धारण

- लक्ष्य की प्राप्ति प्रत्येक वर्ष जनपद वार लक्ष्य शासन स्तर पर उपलब्ध कराए गए धनराशि के माध्यम से किया जाएगा। - ग्राम पंचायत के लक्ष्यों का निर्धारण क्षेत्र पंचायत द्वारा किया जाएगा।

- लक्ष्य से 25% से अधिक की संख्या में लाभार्थी ग्राम पंचायत द्वारा ग्राम जल संसाधन समिति की सहमति से उपरोक्त अनुसार चयनित किए जाएंगे। - चयनित लाभार्थियों की सूची विकास अधिकारी को प्रस्तुत की जाएगी।

लाभार्थियों का चयन

-सभी पात्र लाभार्थियों को चयन उनकी पात्रता के अनुसार किया जाएगा। इस योजना का लाभ उन किसानों को नहीं प्रदान किया जाएगा जो पूर्व में किसी सिंचाई योजना के अंतर्गत लाभवंती हुए हैं। 

इसके अलावा वर्ष 2000 -01 मैं विभाग द्वारा लघु सिंचाई कार्यों का सेंसस करवाया गया है। इस सेंसस के माध्यम से ऐसे कृषकों की सूची तैयार की गई है जिन की भूमि असिंचित है। 

इस सूची में आय कृषकओ पर खास ध्यान दिया जाएगा। ग्राम पंचायत द्वारा एक अंतिम बैठक का आयोजन किया जाएगा जिसमें लाभार्थियों की सूची तैयार की जाएगी। 

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यूपी निःशुल्क बोरिंग योजना की प्राथमिकताएं एवं प्रतिबंध

- बोरिंग के समय इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि जहां बोरिंग की जा रही है वहां खेती है या नहीं। बोरिंग के स्थान पर खेती होना अनिवार्य है। अतिदोहित/क्रिटिकल विकास खंडों में कार्य नहीं किया जाएगा। 

बोरिंग के संबंध में इस बात का ध्यान रखा जाएगा कि प्रस्तावित पंपसेट से लगभग 3 हेक्टेयर कृषि योग्य भूमि की सिंचाई हो सके। 

वह विकास खंड जो सेमी क्रिटिकल कैटेगरी में है उनमें नाबार्ड द्वारा स्वीकृत सीमा के अंतर्गत ही चयन किया जाएगा। पंपसेट के मध्य दूरी नाबार्ड द्वारा जनपद विशेष के लिए निर्धारित दूरी से कम नहीं होनी चाहिए। 

समग्र ग्राम विकास योजना एवं नक्सल प्रभावित समग्र ग्राम विकास योजना के अंतर्गत चयनित किए गए ग्रामों में सर्वोच्च प्राथमिकता के आधार पर बोरिंग का कार्य किया जाएगा। 

उपलब्ध धनराशि से समग्र ग्राम विकास योजना एवं नक्सल प्रभावित समग्र ग्राम विकास योजना के ग्रामों को सर्वप्रथम पूर्ति की जाएगी।

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यूपी निशुल्क बोरिंग योजना के अंतर्गत सामग्री की व्यवस्था

इस योजना के अंतर्गत पीवीसी पाइप का प्रयोग किया जाएगा। एमएस पाइप का उपयोग केवल उन क्षेत्रों में किया जाएगा जहां हाइड्रोजियोलॉजिकल परिस्थितियों के कारण पीवीसी पाइप का प्रयोग नहीं किया जा सकता। 

एसएम पाइप का प्रयोग ऐसे जिलों में चिन्हित क्षेत्रों के संबंधित अधीक्षण अभियंता लघु सिंचाई वृत से अनुमोदन प्राप्त करके किया जाएगा। 

पीवीसी पाइप से होने वाली बोरिंग के लिए पीवीसी पाइप एवं अन्य सामग्री की व्यवस्था कृषकों द्वारा की जाएगी। जिलाधिकारी के अंतर्गत एक समिति का गठन किया जाएगा जिसके माध्यम से अनुदान स्वीकृति करने हेतु पीवीसी पाइप तथा अन्य सामग्री की दरें निर्धारित की जाएगी। 

 ----- लोकेन्द्र नरवार

देश में खेती-किसानी और कृषि से जुड़ी योजनाओं के बारे में जानिए

देश में खेती-किसानी और कृषि से जुड़ी योजनाओं के बारे में जानिए

नई दिल्ली। - लोकेन्द्र नरवार देश में खेती-किसानी और कृषि से जुड़ी तमाम योजनाएं संचालित हैं। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी वाली कैबिनेट में देश के किसानों की आय दोगुनी करने के लिए किसानों व कृषि के लिए तरह-तरह की योजनाएं बनाई गईं हैं। इन योजनाओं के जरिए फसल उत्पादन में बढ़ोतरी के साथ-साथ किसानों को आर्थिक मदद प्रदान की जा रही है। इसके अलावा देश के किसानों को अपना फसल उत्पादन बेचने के लिए एक अच्छा बाजार प्रदान किया जा रहा है। किसानों के लिए चलाई जा रहीं तमाम कल्याणकारी योजनाओं में समय के साथ कई सुधार भी किए जाते हैं। जिनका प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से किसानों को ही फायदा मिलता है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर - ICAR) द्वारा ''आजादी के अमृत महोत्सव'' पर एक पुस्तक का विमोचन किया है। इस पुस्तक में देश के 75000 सफल किसानों की सफलता की कहानियों को संकलित किया गया है, जिनकी आमदनी दोगुनी से अधिक हुई है।


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आइए जानते हैं किसानों के लिए संचालित हैं कौन-कौन सी योजनाएं....

प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना ( PM-Kisan Samman Nidhi ) - इस योजना के अंतर्गत किसानों के खाते में सरकार द्वारा रुपए भेजे जाते हैं। ◆ ड्रिप/स्प्रिंकलर सिंचाई योजना - इस योजना के माध्यम से किसान पानी का बेहतर उपयोग करते हैं। इसमें 'प्रति बूंद अधिक फसल' की पहल से किसानों की लागत कम और उत्पादन ज्यादा की संभावना रहती है। ◆ परम्परागत कृषि विकास योजना (Paramparagat Krishi Vikas Yojana (PKVY)) - इस योजना के जरिए जैविक खेती को बढ़ावा दिया जाता है। ◆ प्रधानमंत्री किसान मान-धन योजना (पीएम-केएमवाई) - इस योजना में किसानों को वृद्धा पेंशन प्रदान करने का प्रावधन है। ◆ प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (Pradhan Mantri Fasal Bima Yojana - PMFBY) - इस योजना के अंतर्गत किसानों की फसल का बीमा होता है। ◆ न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) - इसके अंतर्गत किसानों को सभी रबी की फसलों व सभी खरीफ की फसलों पर सरकार द्वारा निर्धारित न्यूनतम मूल्य प्रदान किया जाता है। ◆ मृदा स्वास्थ्य कार्ड- (Soil Health Card Scheme) इसके अंतर्गत उर्वरकों का उपयोग को युक्तिसंगत बनाया जाता है। ◆ कृषि वानिकी - 'हर मोड़ पर पेड़' की पहल द्वारा किसानों की अतिरिक्त आय होती है। ◆ राष्ट्रीय बांस मिशन - इसमें गैर-वन सरकारी के साथ-साथ निजी भूमि पर बांस रोपण को बढ़ावा देने, मूल्य संवर्धन, उत्पाद विकास और बाजारों पर जोर देने के लिए काम होता है। ◆ प्रधानमंत्री अन्नदाता आय संरक्षण - इस नई नीति के तहत किसानों को उपज का लाभकारी मूल्य सुनिश्चित कराने का प्रावधान है। ◆ एकीकृत बागवानी विकास मिशन - जैसे मधुमक्खी पालन के तहत परागण के माध्यम से फसलों की उत्पादकता बढ़ाने और आमदनी के अतिरिक्त स्त्रोत के रूप में शहद उत्पादन में वृद्धि होती है। ◆ किसान क्रेडिट कार्ड (केसीसी) - इसके अंतर्गत कृषि फसलों के साथ-साथ डेयरी और मत्स्य पालन के लिए किसानों को उत्पादन ऋण मुहैया कराया जाता है। ◆ प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (Pradhan Mantri Krishi Sinchayee Yojana (PMKSY))- इसके तहत फसल की सिंचाई होती है। ◆ ई-एनएएम पहल- यह पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी ऑनलाइन ट्रेडिंग प्लेटफार्म के लिए होती है। ◆ पर्याप्त संस्थागत कृषि ऋण - इसमें प्रवाह सुनिश्चित करना और ब्याज सबवेंशन का लाभ मिलता है। ◆ कृषि अवसंरचना कोष- इसमें एक लाख करोड़ रुपए के आकार के साथ बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए विशेष ध्यान दिया जाता है। ◆ किसानों के हित में 10 हजार एफपीओ का गठन किया गया है। ◆ डिजिटल प्रौद्योगिकी - कृषि मूल्य श्रंखला के सभी चरणों में डिजिटल प्रौद्योगिकी का अनुप्रयोग पर जरूर ध्यान देना चाहिए  
स्प्रिंकल सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए ९० प्रतिशत तक अनुदान दे रही है सरकार

स्प्रिंकल सिंचाई को बढ़ावा देने के लिए ९० प्रतिशत तक अनुदान दे रही है सरकार

खरीफ फसलों के समय के गुजरने के बाद रबी फसलों की तैयारी शुरू हो जाती है, खरीफ की फसलों की अपेक्षा में रबी फसलों को जल की आवश्यकता कम मात्रा में होती है, 

इसलिए सरकार किसानो को स्प्रिंकल सिंचाई (Irrigation sprinkler यानि सिंचाई छिड़काव या बौछारी सिंचाई या फव्वारा सिंचाई) के लिए प्रोत्साहन दे रही है। स्प्रिंकलर सिंचाई के माध्यम से किसान अपनी फसल में कम जल खर्च करके अधिक पैदावार कर सकते हैं।

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जल के अतिदोहन को रोकने एवं फसलों में बेहतर रूप से सिंचाई करने के लिए सरकार किसानों को स्प्रिंकलर सिंचाई के लिए ९० प्रतिशत तक अनुदान प्रदान कर रही है। 

भारत में आज भी ज्यादातर किसानों के पास स्प्रिंकलर सिंचाई के उपकरण खरीदने के लिए पर्याप्त धनराशि नहीं है। पी एम कृषि सिंचाई योजना के तहत यह अनुदान देने की घोषणा की गयी है।   

ड्रिप सिंचाई सिस्टम

पी एम कृषि सिंचाई योजना से मिलेंगे यह लाभ

पी एम कृषि सिंचाई योजना से किसानों को सिंचाई सम्बंधित पूरी मदद और सलाह सरकार द्वारा दी जाती है। इस योजना के अंतर्गत ही किसानों को स्प्रिंकलर सिंचाई के लिए अनुदान दिया जा रहा है, जिससे ज्यादा से ज्यादा किसान स्प्रिंकलर सिंचाई के माध्यम से ही अपनी रबी की फसलों की सिंचाई करें। 

सरकार की यह योजना अत्यधिक जल खपत को कम करने के साथ साथ किसानों की पैदावार भी बेहतर करना चाहती है। पी एम कृषि सिंचाई योजना के तहत किसानों को सिंचाई के लिए काफी सहायता मिलती है, ड्रिप सिंचाई और स्प्रिंकलर इरिगेशन जैसे सिंचाई के माध्यम से रबी की फसलों में बेहतर तरीके से सिंचाई की जा सकेगी।

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स्प्रिंकलर सिंचाई के लिए कितना अनुदान मिलेगा

पी एम कृषि सिंचाई योजना के तहत बिहार कृषि विभाग, उघान निदेशालय ( बिहार हॉर्टिकल्चर डिपार्टमेंट ) किसानों को स्प्रिंकलर सिंचाई के लिए ९० प्रतिशत तक का अनुदान प्रदान कर रही है। 

 किसान जनपद के समीप किसी भी उघान विभाग के कार्यालय में जाकर योजना सम्बंधित सहायता ले सकते हैं। स्प्रिंकलर पर सब्सिडी प्राप्त करने के लिए https://www.pmksy.gov.in/ पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।

स्प्रिंकलर सिंचाई कौन सी फसलों के लिए बेहतर है, इसके क्या लाभ हैं

स्प्रिंकलर सिंचाई के माध्यम से चाय, आलू, प्याज, धान, गेंहू और सब्जी की फसलों में सिंचाई की जाती है। स्प्रिंकलर सिंचाई बेहद ही अच्छी और फायेमंद तकनीक है, 

इसकी सहायता से जल की बर्बादी रोकने के साथ साथ कीटनाशक दवाओं का भी फसल में छिड़काव किया जा सकता है। अत्यधिक जल की वजह से फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है, जिसमें स्प्रिंकलर सिंचाई बेहद सहायक होती है।

सिंचाई के लिए नलकूप लगवाने के लिए 3 लाख से ज्यादा की सब्सिडी दे रही है ये सरकार

सिंचाई के लिए नलकूप लगवाने के लिए 3 लाख से ज्यादा की सब्सिडी दे रही है ये सरकार

रबी का सीजन चालू है, इस सीजन में ज्यादातर राज्यों में बुवाई हो चुकी है और जहां अभी बुवाई नहीं हो पाई है। वहां किसान जल्द से जल्द बुवाई करने की कोशिश कर रहे हैं। रबी की फसलें अंकुरित होने के बाद पानी के अभाव में जल्द ही सूखने लगती हैं। सूखने से बचाने के लिए रबी की ज्यादातर फसलों में तीन से चार बार सिंचाई की जरूरत होती है। फसलों को सूखने से बचाने के लिए किसान दिन रात मेहनत करता है, ताकि उसकी फसल खेत में लहलहाती रहे।


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फसलों के सूखने की समस्या को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने राज्य के किसानों के लिए एक योजना शुरू की है। जिसे मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना नाम दिया गया है। इस योजना के अंतर्गत सरकार मीडियम व गहरे नलकूपों को खोदने के लिए सब्सिडी प्रदान करती है। इस सब्सिडी को प्राप्त करने के लिए किसान कृषि विभाग की वेबसाईट पर जाकर अपना आवेदन ऑनलाइन जमा कर सकते हैं। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=V9_6hWrsloY&t=2s[/embed] जो किसान यह सब्सिडी प्राप्त करने के लिए पात्र होंगे उन्हें 1.75 लाख रुपये से लेकर 2.65 लाख रुपये तक की सब्सिडी राज्य सरकार द्वारा प्रदान की जाएगी। इसके साथ ही इस योजना के अंतर्गत विद्युतीकरण के लिए भी 68 हजार रुपये की सब्सिडी दी जाएगी। सरकार ने सुनिश्चित किया है, कि इस योजना के अंतर्गत 150 मीटर पानी का पाइप बिछाया जाएगा। जिसके लिए राज्य शासन की तरफ से 14 हजार रुपये की सब्सिडी अलग से दी जाएगी।

इतना होगा बोरिंग का आकार

उत्तर प्रदेश सरकार के सिंचाई विभाग के अधिकारियों ने बताया है, कि मुख्यमंत्री लघु सिंचाई योजना के अंतर्गत होने वाले मध्यम आकार के बोर की गहराई 31 मीटर से लेकर 60 मीटर तक होगी। अगर फुट में बात की जाए तो सरकार के तरफ से कराई जाने वाली बोरिंग की गहराई 100 फुट से लेकर 200 फुट तक होगी। इस बोरिंग में 8 इंच चौड़ा पाइप लगाया जाएगा। इसके साथ ही अधिकारियों ने बताया है, कि दूसरे प्रकार का नलकूप गहरा नलकूप होगा, जिसकी बोरिंग की गहराई 60 मीटर से 90 मीटर तक होगी। फुट में यह 200 फुट के तकरीबन हो सकती है। किसानों को मध्यम व गहरे दोनों प्रकार की बोरिंग का लाभ उठाने के लिए jjmup.org पर अपना पंजीकरण कराना होगा, बिना पंजीकरण कराए किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाएगा। उत्तर प्रदेश सरकार के आदेश के अनुसार किसी भी किसान को पंजीकरण के बिना सब्सिडी प्रदान नहीं की जाएगी।


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लघु सिंचाई योजना के अंतर्गत पीएम कुसुम योजना को दिया जाएगा बढ़ावा

अधिकारियों ने बताया है, कि उत्तर प्रदेश में लघु सिंचाई योजना के अंतर्गत पीएम कुसुम योजना को भी बढ़ावा दिया जाएगा। नलकूपों में बिजली की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए पीएम कुसुम योजना अंतर्गत सोलर पंपसेट लगवाने वालों को प्राथमिकता दी जाएगी। केंद्र सरकार के हिसाब से मध्यम आकार के नलकूप में लगने वाले सोलर पंपसेट की कीमत 2.73 लाख रुपये है। पीएम कुसुम योजना के अंतर्गत किसान को इस पर करीब 1.64 लाख रुपये की सब्सिडी मिलेगी तथा बाकी बची 1.09 लाख रुपये की रकम किसान को खुद देनी होगी।


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इसके साथ ही सरकार ने बताया है, कि गहरे नलकूप के सोलर पंपसेट की कीमत भी 2.73 लाख रुपये है, जिसमें सरकार 1.764 लाख रुपये तक की सब्सिडी किसान को प्रदान कर रही है। इस तरह से बाकी बचे लगभग 97 हजार रुपये किसान को स्वयं वहन करने होंगे। जो भी किसान इस योजना के माध्यम से सब्सिडी का लाभ उठाना चाहते हैं, वो जल्द से जल्द वेबसाइट में जाकर ऑनलाइन आवेदन कर दें।
पानी की खपत एवं किसानों का खर्च कम करने में मदद करेगी केंद्र की यह योजना

पानी की खपत एवं किसानों का खर्च कम करने में मदद करेगी केंद्र की यह योजना

राजस्थान राज्य में खेती किसानी करने वाले कृषकों के हित में सिंचाई हेतु समुचित रूप से संसाधन उपलब्ध कराने के लिए सिंचाई पाइप लाइन योजना लागू की जा रही है। इस योजना के अंतर्गत 60% प्रतिशत तक अनुदान, यानी 18,000 रुपये की धनराशि सब्सिडी के तौर पर दी जाती है। भारत के बहुत से क्षेत्रों में जल का स्तर काफी कम देखने को मिल रहा है। विभिन्न खेतिहर क्षेत्र ऐसे भी हैं, जहां भूजल का स्तर बिल्कुल गिर चुका है। राजस्थान राज्य के अधिकाँश क्षेत्रों की परिस्थितियां भी कुछ ऐसी ही हैं। भूमि बिल्कुल बंजर व सूखी पड़ी हुई है। फसलों की सिंचाई हेतु समुचित एवं पर्याप्त मात्रा में साधन उपलब्ध ना होने की स्थिति में ना ही खेती हो पति है और ना ही बेहतर उत्पादन अर्जित हो पाता। केंद्र सरकार ने इस समस्या को ध्यान में रखते हुए इसके उचित समाधान हेतु केंद्र प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना जारी की है। राजस्थान राज्य सरकार द्वारा भी राज्य स्तर पर सिंचाई पाइप लाइन अनुदान योजना लागू की है। जिससे ट्यूबवेल की कनेक्टिविटी हेतु सिंचाई पाइप लाइन की खरीद करने पर अनुदान प्रदान किया जा सके। इसकी सहायता से जल की बर्बादी को कम कर फसल की जरुरत के हिसाब से सिंचाई का कार्य पूर्ण किया जा सके।

पानी की अत्यधिक खपत बचेगी

वर्तमान में अधिकाँश क्षेत्रों में सिंचाई हेतु परंपरागत विधियों को उपयोग में लाया जा रहा है। प्राचीन काल में किसान कुएं एवं बोरवेल जैसे साधनों से कृषि हेतु एक मुस्त पानी देते हैं। बहुत बार खेतों में जरुरत से ज्यादा पानी देने की स्थिति में फसल में सड़न-गलन उत्पन्न हो जाती थी जिससे उत्पादकता में काफी गिरावट आ जाती थी। इस समस्या से बचाव के लिए किसान पाइन लाइन का उपयोग कर फसल को आवश्यकतानुसार पानी दे सकते हैं। इससे पानी की बर्बादी रुकने के साथ-साथ 20 से 30 प्रतिशत तक बचत होगी एवं सिंचाई संबंधित कार्यों में भी सुविधा मिलेगी।

पाइप लाइन को खरीदने पर किसको कितना मिलेगा अनुदान

राजस्थान सरकार के माध्यम से चलाई गई सिंचाई पाइप लाइन स्कीम के अंतर्गत पाइन लाइन की खरीद पर अनुदान का फायदा लघु एवं सीमांत किसानों को प्राथमिकता में रखते हुए प्रदान किया जाना है। हालांकि, सामान्य श्रेणी के कृषकों को भी योजना के अंतर्गत शम्मिलित किया गया है।
  • लघु एवं सीमांत किसानों हेतु 60% प्रतिशत तक अनुदान यानी, अधिकतम 18,000 रुपये का अनुदान तय किया गया है।
  • सामान्य वर्ग के किसानों को 50% प्रतिशत अनुदान यानी अधिकतम 15,000 रुपये तक का अनुदान प्रदान किया जाएगा।
  • लाभ लेने लिए क्या शर्तें हैं
  • सिंचाई पाइप लाइन योजना का फायदा लेने हेतु किसानों के समीप स्वयं खेती करने लायक भूमि उपलब्ध होनी बेहद आवश्यक है।
  • किसानों के पास सिंचाई के साधन यानी कि डीजल, ट्रैक्टर कुआं तथा ट्यूबवेल के जरिए चलने वाली पंप सेट भी होनी जरुरी है।
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यदि एक ही कुआं अथवा जल स्रोत होने पर अलग-अलग किसान आवेदन कर लाभ कामाना चाहते हैं, तो सरकार की ओर से विभिन्न मूल्यों पर अनुदान दिया जाएगा।

योजना का लाभ लेने के लिए यहां करें आवेदन

केंद्र अथवा राज्य सरकार द्वारा किसी भी कृषि योजना में आवेदन करने से पूर्व स्वयं के जनपद के समीप कृषि विभाग के कार्यालय में पहुँचकर एक विस्तृत ब्यौरा प्राप्त कर सकते हैं।
इस योजना में आवेदन करने हेतु आधार कार्ड अथवा जनाधार कार्ड, जमाबंदी की नवीन कॉपी होनी आवश्यक है।
किसी भी सीएससी सेंटर अथवा ई-मित्र केंद्र पर पहुँचकर सिंचाई पाइप लाइन योजना में ऑनलाइन तौर पर आवेदन किया जा सकता है।

किसान पाइप लाइन कहाँ से खरीदेंगे

सिंचाई पाइप लाइन योजना के नियमों के अनुसार, आवेदन करने के उपरांत कृषि विभाग समस्त कागजातों का सत्यापन करता है। यदि आप लाभार्थी के रूप में चयनित हुए तो कृषि विभाग में रजिस्टर्ड पाइप लाइन के निर्माता अथवा अधिकृत विक्रेता द्वारा ही सिंचाई की पाइप लाइन खरीदनी पड़ेगी। इस पाइप लाइन को नियुक्त करना होगा, जिसका सत्यापन कृषि विभाग के अधिकारियों द्वारा किया जाएगा। इसके उपरांत ही अनुदान की धनराशि कृषकों के बैंक खातों में स्थानांतरित कर दी जाएगी। इस संदर्भ में आवेदन स्वीकृत होने के उपरांत कृषि पर्यवेक्षक से जानकारी प्राप्त हो जाएगी।
प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत दी जाएगी किसानों को पेंशन; जाने क्या है स्कीम

प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत दी जाएगी किसानों को पेंशन; जाने क्या है स्कीम

भारत सरकार किसानों के कल्याण के लिए समय-समय पर कई तरह की योजनाएं चलाती रहती है. अभी भी सरकार द्वारा किसानों के हित का ध्यान रखते हुए पीएम किसान सम्मान निधि, किसान समृद्धि केंद्र, किसान क्रेडिट कार्ड और प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना समेत कई तरह की योजनाएं चलाई जा रही है. 

हम सभी जानते हैं कि पीएम किसान सम्मान निधि योजना के तहत किसानों को हर साल ₹6000 दिए जाते हैं जो उन्हें ₹2000 की किस्त में तीन बार खाते में दिए जाते हैं. 

सरकार द्वारा किसानों को उनके बुढ़ापे के दौरान मदद करने के लिए एक पेंशन स्कीम भी चलाई जा रही है. प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के तहत किसान सरकार से पेंशन ले सकते हैं.

क्या है प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना?

प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना सरकार के द्वारा चलाई गई योजना है जो छोटे और सीमांत किसानों के लिए चालू की गई है. इस योजना का मुख्य उद्देश्य बुढ़ापे में किसानों को सामाजिक और आर्थिक सुरक्षा देना है. 

18 से 40 साल की उम्र के किसान इस योजना के तहत फायदा ले सकते हैं. अगर जमीन की बात की जाए तो 2 हेक्टेयर तक की खेती योग्य भूमि वाले छोटे और सीमांत किसान इस योजना के लिए आवेदन दे सकते हैं. 

इसके अलावा अगर उनके नाम पर राज्य या फिर केंद्र शासित प्रदेशों में किसी भी तरह की भूमिका रिकॉर्ड है तो इस योजना के तहत उन्हें योग्य नहीं माना जाएगा. प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के अनुसार एक बार किसान जब 60 वर्ष की उम्र पूरी कर लेता है तो उसके बाद उन्हें हर महीने ₹3000 की न्यूनतम पेंशन सरकार द्वारा दी जाएगी.  

इसके अलावा अगर किसी कारण से किसान की मृत्यु हो जाती है तो किसान की पत्नी या फिर परिवार को पेंशन का आधा हिस्सा यानी कि 50% पेंशन मुहैया करवाई जाएगी. सरकार द्वारा दी जाने वाली यह पेंशन केवल पति पत्नी के लिए ही लागू है एक बार किसान की मृत्यु होने पर उसके बच्चे इस योजना के तहत लाभ नहीं उठा सकते हैं. 

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कितने किसान  दे रहे हैं आवेदन?

इस योजना के तहत 18 से 40 वर्ष की आयु के बीच में किसान आवेदन दे सकता है.  इस स्कीम का लाभ उठाने के लिए किसानों को 60 साल की उम्र तक हर महीना केवल 55 से ₹200 का योगदान करना होगा. 

एक बार 60 वर्ष का हो जाने के बाद आप इस स्कीम के तहत पेंशन राशि प्राप्त करने के लिए योग्य हो जाते हैं. इसके बाद हर महीने उनके पेंशन खाते में एक निश्चित राशि सरकार द्वारा जमा होती रहेगी. 

इस योजना में सरकार मिलान योगदान देती है. उदाहरण के लिए अगर कोई भी किसान खाते में ₹200 जमा कर रहा है तो सरकार की तरफ से भी उस खाते में ₹200 जमा किए जाएंगे. आंकड़ों की मानें तो अभी तक लगभग 2 करोड़ से ज्यादा किसान प्रधानमंत्री किसान मानधन योजना के विकल्प को चुनने के लिए आवेदन दे चुके हैं

पाइपलाइन की खरीद और वाटर टैंक के निर्माण पर मिल रहा अनुदान, ऐसे करें आवेदन

पाइपलाइन की खरीद और वाटर टैंक के निर्माण पर मिल रहा अनुदान, ऐसे करें आवेदन

राजस्थान के किसानों के लिए सरकार की तरफ से एक और बड़ी खुशखबरी है. बता दें सिंचाई पाइपलाइन और वाटर टैंक निर्माण पर किसानों को भारी अनुदान दिया जा रहा है. गर्मियों के सीजन में किसानों को सबसे ज्यादा फसलों की सिंचाई के लिए पानी की जरूरत पड़ती है. अब ऐसे में उन्हें सिंचाई के लिए पानी की कमी न हो, इसके लिए राजस्थान सरकार ने अच्छी पहल की है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक अब मौसम में बदलाव होने के साथ साथ तापमान भी बढ़ रहा है. जिसे देखते हुए देश के कई राज्यीं में किसानों ने सिंचाई के लिए पानी की व्यवस्था शुरू कर दी है. खेतों में तालाब बनाए जाने के साथ-साथ सूक्ष्म सिंचाई संयंत्रो की स्थापना की जा रही है. जिससे खपत कम हो और फसलों का उत्पादन ज्यादा हो. राजस्थान सरकार ने किसानों की जरूरतों को देखते हुए वाटर टैंक निर्माण के साथ साथ सिंचाई पाइपलाइन की खरीद पर भारी अनुदान देने का फैसला कर लिया है. बता दें राजस्थान में पानी का संकट बढ़ता जा रहा है. वहीं धूप और गर्मी की वजह से पानी का स्तर और नीचे चला जाता है. जिससे फसलों का अच्छा उत्पादन नहीं हो पाता. ऐसे में वाटर टैंक और सिंचाई पाइपलाइन से इस परेशानी को दूर करने में मदद मिल सकती है. इसमें सबसे अच्छी बात यह है कि, इन सब में खर्चे का बोझ अकेले किसानों के कंधे पर नहीं आएगा. सिंचाई पाइपलाइन की खरीद पर 60 फीसद एयर वाटर टैंक निर्माण में 90 हजार रुपये का अनुदान सरकार की ओर से दिया जा रहा है.

सिंचाई पाइपलाइन की खरीद पर मिलेगा इतना अनुदान

राजस्थान के किसानों को सिंचाई पाइपलाइन की खरीद पर राज्य की सरकार ने भरी अनुदान देने का फैसला किया है. इस स्कीम की बात करें तो, इसमें छोटे और बड़े किसानों को सिंचाई के लिए पाइपलाइन की कुल लागत पर करीब 18 हजार या फिर 60 फीसद तक की सब्सिडी दी जाएगी. ये भी पढ़ें:
सिंचाई के लिए नलकूप लगवाने के लिए 3 लाख से ज्यादा की सब्सिडी दे रही है ये सरकार किसानों के अन्य वर्ग की बात करें तो, उनकी लागत में करीब 15 हजार रुपये या 50 फीसद सब्सिडी दी जाएगी. ऐसे में अगर आप राजस्थान के किसान हैं, और इस स्कीम का फायदा लेना चाहते हैं. तो खेती के लायक जमीन अपने नाम होनी जरूरी है. इसके अलावा किसानों के पास और क्या कुछ होना जरूरी है यह भी जान लेना चाहिए.
  • किसानों के पास बिजली, डीजल या फिर ट्रैक्टर से चलने वाला पंप सेट होना जरूरी है.
  • किसानों के पास जरूरी कागजों में आधार कार्ड, जमीन के कागज और सिंचाई पाइपलाइन के बिल होने चाहिए.
  • सिंचाई पाइपलाइन की किसानों की खरीद उसी से करनी होगी, जिसका कृषि विभाग में रजिस्ट्रेशन हो.

वाटर टैंक निर्माण में पर मिलगी इतनी सब्सिडी

राजस्थान में खेती करने वाले लगभग हर तबके के किसानों को करीब 100 घन मीटर या फिर 1 लाख लीटर की क्षमता वाले वाटर टैंक के निर्माण करने पर 90 हजार रुपये का अनुदान सरकार देगी. वहीं किसानों को अगर इस योजना का फायदा लेना है तो, उनका नाम कम से कम आधास हेक्टेयर खेती की जमीन होनी जरूरी है. इसके लिए आवर कौन कौन सी चीजों का होना अनिवार्य है, ये जान लेते हैं.
  • आवेदन करने के लिए किसानों को अपना आधार कार्ड एयर जमीन की जमाबन्दी के कागज जमा करवाने होंगे.
  • किसानों के आवेदन करने बाद ही कृषि विभाग वाटर टैंक निर्माण के लिए प्रशासनिक स्वीकृति जारी करेगा.
  • इससे जुड़ी जानकारी किसानों को जिला कृषि विभाग में मोबाइल पर एसएमएस के जरिये दी जाएगी.

जानिए कैसे करें रजिस्ट्रेशन

अगर कोई किसान वाटर टैंक के निर्माण और सिंचाई पाइपलाइन की खरीद करना चाहता है, तो बता दें कि, इससे जुड़े अनुदान की योजनाएं एक दूसरे से अलग अलग हैं. जिनका लाभ पाने के लिए किसानों को किसान साथी पोर्टल रजिस्ट्रेशन करना होगा. जिसके बाद जिला कृषि विभाग रजिस्ट्रेशन का सत्यापन करेगा. अगर सब कुछ ठीक रहा तो, सरकार अनुदान की राशि सीधा किसानों के बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करेगी.
अब नहीं रिसेगा पानी, प्लास्टिक फार्म पॉन्ड योजना से खेतों में बनेगा तालाब

अब नहीं रिसेगा पानी, प्लास्टिक फार्म पॉन्ड योजना से खेतों में बनेगा तालाब

किसानों की आमदनी को बढ़ाने के लिए राज्य सरकार पुरजोर कोशिश में है। जिसके चलते कई तरह की योजनाओं पर भी काम किया जा रहा है। जिसमें से एक है प्लास्टिक फार्म पॉन्ड योजना। इस योजना के अंतर्गत सरकार अनुदान भी दे रही है। बारिश का पानी इकट्ठा करके खेती के लिए इस्तेमाल करने के हिसाब से राजस्थान सरकार ने एक नई योजना पेश की है। इस योजना का नाम प्लास्टिक फार्म पॉन्ड है। प्लास्टिक फार्म पॉन्ड योजना के तहत किसानों एक लाख से भी ज्यादा का अनुदान राजस्थान सरकार की ओर से दिया जा रहा है। आपको बता दें की पहली बार गंगापुर सिटी एरिया में रेतीली जमीन पर प्लास्टिक लाइन फार्म पॉन्ड को बनाया गया है। इस पॉन्ड में आने वाले दिनों में बारिश के पानी को इकट्ठा करने में मदद मिलेगी। साथ ही, पानी जमीन में नहीं रिस पाएगा। जिसके बाद किसान भाई बारिश के पानी को जल संरक्षण के तौर पर खेती या फिर मछली पालन में इस्तेमाल कर पाएंगे।

दो साल से थी बड़ी चुनौती

मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक गंगा सिटी का यह सबसे रेतीला इलाका है। जहां फार्म पॉन्ड बनाना कृषि अधिकारियों के लिए करीब दो साल से चुनौती से भरा हुआ था। इसके अलावा इस विभाग के अंतर्गत लगभग दो दर्जन गांव स्थित हैं। जिनकी जमीन रेतीली है। पानी की किल्लत के चलते यहां की फसलों की सिंचाई के लिए किसान को बारिश पर ही निर्भर रहना पड़ता है।

सरकार की स्कीम पर किसानों को नहीं था इंटरेस्ट

आपको बतादें कि किसानों की इस समस्या को देखते हुए प्रदेश की सरका ने रेतीली जमीन में खेती किसानी करने वाले किसानों के लिए दो साल पहले ही प्लास्टिक फार्म पॉन्ड की स्कीम दी थी। लेकिन इस तरफ किसानों का कोई खास इंटरेस्ट नहीं था, जिसे देखते हुए विभागीय अधिकारीयों ने भी अपने कदम पीछे ले लिए।

नये सहायक कृषि अधिकारी ने किया प्रेरित

प्रदेश के गंगा सिटी इलाके में नये सहायक कृषि अधिकारी ने इस समस्या को चुनौती की तरह लिया और किसानों को सरकार की इस योजना के प्रति प्रेरित किया। जिसके कुछ दिनों के बाद ही उनकी मेहनत रंग लाने लगी और सलेमपुर गांव में किसानों ने फार्म पॉन्ड बनवा दिया। जिसके लिए करीब 20 मीटर की लम्बाई और चौड़ाई के साथ तीन मीटर की गहराई की गयी। ये भी पढ़ें: राजस्थान सरकार देगी निशुल्क बीज : बारह लाख किसान होंगे लाभान्वित

किसान कैसे उठा सकते हैं लाभ?

अगर किसान प्लास्टिक फार्म पॉन्ड योजना का फायदा उठाना चाहते हैं, तो उनके पास करीब 0.3 हेक्टेयर की जमीन और खेत का नक्शा होने के साथ ट्रेस और जन आधार कार्ड बैंक अकाउंट डिटेल सहित मोबाइल नंबर अपडेट होना चाहिए। इसके साथ ही किसानों को विभाग की तरफ से करीब एक लाख या उससे ज्यादा का अनुदान भी दिया जाता है। अगर किसानों ने इसके लिए आवेदन नहीं किया है, तो वह फार्म पॉन्ड योजना का फायदा भी नहीं उठा पाएंगे।

क्या कहते हैं कृषि अधिकारी?

कृषि अधिकारी के मुताबिक प्लास्टिक फार्म पॉन्ड बनाने के लिए सितंबर से अक्टूबर महीने में किसानों से संपर्क करके उन्हें शार्टलिस्ट किया गया है। इसके लिए किसानों को लगातार प्लास्टिक फार्म पॉन्ड बनाने के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है। राज्य सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्लास्टिक फार्म पॉन्ड में मछली पालन की परमिशन भी दे रखी है। इससे पहले प्लास्टिक फार्म पॉन्ड में किसान मछली पालन का काम नहीं कर सकते थे। अगर वो ऐसा करते भी थे तो, सख्त कारवाई भी की जाती थी। लेकिन किसानों की इनकम बढ़े इसके लिए राज्य सरकार नया प्रोविजन ला चुकी है।
इस राज्य में किसानों को वाटर टैंक बनाने के लिए सरकार दे रही 1 लाख रूपये

इस राज्य में किसानों को वाटर टैंक बनाने के लिए सरकार दे रही 1 लाख रूपये

अब कृषकों को सिंचाई संबंधित समस्याओं से मिलेगी निजात। राजस्थान सरकार द्वारा वाटर टैंक निर्माण हेतु लगभग 1 लाख रुपये! राजस्थान राज्य के कृषकों के लिए यह अच्छी खुशखबरी है। सिंचाई समस्याओं से लड़ रहे यहां के किसान भाइयों को फिलहाल इस समस्या से निजात मिलने वाली है। भूजल समस्या देश के लिए एक बड़ी चुनौती बनती जा रही है। यहां के विभिन्न राज्य इस समस्या से लड़ रहे हैं। इसका किसान भाइयों की खेती-बाड़ी में भी बेहद दुष्प्रभाव देखने को मिल रहा है। क्योंकि खेती-किसानी में सिंचाई का काफी महत्वपूर्ण स्थान है। परंतु, भूजल संकट के कारण से इसे करना फिलहाल काफी मुश्किल सा हो गया है। इसके लिए किसान भाइयों को काफी धन खर्च करना पड़ता है। ऐसे में बहुत से किसान अधिक खर्च के कारण से अपने खेतों एवं फसलों में सिंचाई करने में असमर्थ होते हैं।

राजस्थान के किसान अब सिंचाई की समस्या से पाएंगे निजात

राजस्थान भूजल चुनोतियाँ को झेलने वाले राज्यों में से एक है। ऐसी स्थिति में यहां के कृषकों को सिंचाई चुनौतियों का सामना करना होता है। इस वजह से राज्य सरकार द्वारा कृषकों को बढ़ावा देने के लिए ताल-तलाई, जलहौज (पानी की टंकी) की स्थापना की जा रही है।

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राजस्थान सरकार किसानों को इस संकट से निजात दिलाने के उद्देश्य से आर्थिक सहायता कर रही है। जिसके लिए राजस्थान सरकार के माध्यम से किसानों को जलहौज मतलब पानी की टंकी के निर्माण हेतु 60 फीसद का अनुदान उपलब्ध किया जा रहा है। जिसके माध्यम से किसान जलहौज की स्थापना करके बारिश के जल का संचयन कर इसको सिंचाई अथवा बाकी आवश्यक कृषि कार्यों में उपयोग कर सकते हैं।

सरकार किसानों को 90 हजार रुपये देकर टंकी निर्माण में करेगी सहयोग

राजस्थान सरकार की आधिकारिक पोर्टल राज किसान साथी पोर्टल के मुताबिक, राज्य के कृषकों को न्यूनतम आकार 100 घनमीटर अथवा 1 लाख लीटर जलभराव क्षमता वाली पानी की टंकी के निर्माण हेतु ज्यादा से ज्यादा 90 हजार रुपये प्रदान किए जाएंगे।

इस किसान भाइयों को मिलेगा योजना का फायदा

प्रदेश के समस्त श्रेणी के कृषकों को इस योजना का फायदा मिल पाएगा। बशर्ते योजना का फायदा लेने वाले किसानों के समीप आधी हेक्टेयर भूमि एवं सिंचाई का स्रोत होना जरुरी है। इसके साथ ही किसानों के समीप जमाबंदी की नकल अवश्य होनी चाहिए। साथ ही, यह भी ध्यान रहे कि जमाबंदी की नकल 6 माह से ज्यादा पुरानी नहीं होनी चाहिए।

किसान भाई इस तरह ले सकते हैं योजना का लाभ

राजस्थान राज्य के जो भी किसान इस योजना से फायदा उठाना चाहते हैं। वो राजकिसान साथी पोर्टल के माध्यम से आवेदन कर सकते हैं अथवा वो अपने आसपास के ई-मित्र केन्द्र पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।
भूजल स्तर में गिरावट को देखते हुए इस राज्य में 1000 रिचार्जिंग बोरवेल का निर्माण किया जाएगा

भूजल स्तर में गिरावट को देखते हुए इस राज्य में 1000 रिचार्जिंग बोरवेल का निर्माण किया जाएगा

भारत के विभिन्न राज्यों से भूजल स्तर में गिरावट आने की खबर सामने आ रही है। फलस्वरूप फसल की पैदावार पर इसका दुष्प्रभाव पड़ रहा है। इस समस्या का निराकरण करने के लिए हरियाणा सरकार द्वारा प्रथम चरण में 1000 रीचार्जिंग बोरवेल की स्थापना करने का लक्ष्य निर्धारित किया है। कृषि क्षेत्र में जल के प्रभावी उपयोग को प्रोत्साहित किया जा रहा है। जिसके तहत विभिन्न राज्यों में ड्रॉप मोर क्रॉप योजना जारी की जा रही है। आपकी जानकारी के लिए बतादें कि न्यूनतम जल में सिंचाई करके नकदी एवं बागवानी फसलों से काफी अधिक पैदावार मिल रही है। भारत के बहुत सारे क्षेत्रों में भूमिगत जल संकट भी एक बड़ी चुनौती थी। हालाँकि, फिलहाल सूक्ष्म सिंचाई मॉडल द्वारा इन समस्त समस्याओं को दूर कर दिया है। यह सिंचाई पद्धति को उपयोग में लाना किसान भाइयों के लिए और भी सस्ता हो गया है। केंद्र सरकार के माध्यम से प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना के चलते सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली स्थापित कराने के लिए किसान भाइयों को सब्सिडी का प्रावधान दिया गया है।

हरियाणा सरकार द्वारा दिया जा रहा है अनुदान

इसी कड़ी में अब हरियाणा सरकार ने भी ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई पद्धति को बढ़ावा देने और रिचार्जिंग बोरवेल मुहैय्या कराने हेतु किसान भाइयों को सब्सिड़ी दी जा रही है। इस संबंध में सरकार का यह कहना है, कि हमारे इस प्रयास से जल संरक्षण एवं इसका संचयन करने में विशेष सहायता मदद प्राप्त होगी। साथ ही, यह घटते भूमिगत जल स्तर के संकट को भी दूर करने में सहायता करेगा।

किसानों को सूक्ष्म सिंचाई हेतु 85% अनुदान का प्रावधान

कृषि क्षेत्र में सिंचाई हेतु सर्वाधिक निर्भरता भूमिगत जल पर ही रहती है। जल की उपलब्धता को निरंतर स्थिर बनाए रखने के लिए जल की अधिक खपत वाली फसलों को हतोत्साहित किया जा रहा है। इसकी अपेक्षा बागवानी फसलों की कृषि को बढ़ावा दिया जा रहा है। साथ ही, सूक्ष्म सिंचाई मॉडल को प्रचलन में लाने के लिए किसानों को रीचार्जिंग बोरवेल पर सब्सिड़ी दी जा रही है। हिसार में आयोजित कृषि विकास मेले में हरियाणा के सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा है, कि वर्तमान हालात को ध्यान में रखते हुए हमें जल की खपत को कम करने की आवश्यकता है। इसके लिए ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई को उपयोग में लाना होगा। क्योंकि यह किसानों के लिए सस्ता और सुविधाजनक होता है। साथ ही, राज्य सरकार सूक्ष्म सिंचाई को उपयोग में लाने के लिए किसान भाइयों को 85% अनुदान भी प्रदान कर रही है। ये भी देखें: सिंचाई की नहीं होगी समस्या, सरकार की इस पहल से किसानों की मुश्किल होगी आसान

1,000 रीचार्जिंग बोरवेल लगाने का लक्ष्य तय किया गया है

भारत में फिलहाल भूजल स्तर में आ रही गिरावट को पुनः ठीक करने के लिए वर्षा जल संचयन को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। इसी संबंध में राज्य सरकार रीचार्जिंग बोरवेल के निर्माण की योजना बना रही हैं, जिसके माध्यम से वर्षा के जल को पुनः भूमि के अंदर पहुंचाया जा सके। इस कार्य हेतु किसान भाइयों को 25,000 रुपये खर्च करने पड़ेंगे। इसके अतिरिक्त जो भी खर्चा होगा उसको हरियाणा सरकार द्वारा वहन किया जाएगा।

इस तरह किसान आवेदन कर सकते हैं

हरियाणा सरकार द्वारा रीचार्जिंग बोरवेल पर आवेदन की प्रक्रिया को ऑनलाइन माध्यम से भी कर दिया गया है। अगर आप भी हरियाणा राज्य के किसान हैं और स्वयं के खेत में जल संचयन हेतु बोरवेल स्थापित कराना चाहते हैं, तब आप सिंचाई एवं जल संसाधन विभाग, हरियाणा की वेबसाइट hid.gov.in पर जाकर आवेदन किया जा सकता है। इसके बारे में विस्तृत रूप से जानकारी प्राप्त करने के लिए स्वयं के जनपद के कृषि विभाग के कार्यालय में भी संपर्क कर फायदा उठा सकते हैं।