आजादी के अमृत महोत्सव में डबल हुई किसानों की आय, 75000 किसानों का ब्यौरा तैयार - केंद्र

By: MeriKheti
Published on: 20-Jul-2022

आजादी के अमृत महोत्सव में डबल हुई 75000 किसानों की आय का ब्यौरा तैयार - केंद्र

भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने पिछले साल तय अपने निर्धारित लक्ष्य को पूरा किया है। परिषद ने पिछले साल आजादी के अमृत महोत्सव में किसानों की सफलता का दस्तावेजीकरण करने का टारगेट तय किया था। इस वर्ग में ऐसे कृषक मित्र शामिल हैं जिनकी आय दोगुनी हुई है या फिर इससे ज्यादा बढ़ी है। परिषद के अनुसार ऐसे 75 हजार किसानों से चर्चा कर उनकी सफलता का दस्तावेजीकरण कर किसानों का ब्यौरा जारी किया गया है। आजादी के अमृत महोत्सव के उपलक्ष्य में आय बढ़ने वाले लाखों किसानों में से 75 हजार किसानों के संकलन का एक ई-प्रकाशन तैयार कर उसे जारी किया गया। [embed]https://youtu.be/zEkVlSwkq1g[/embed]

भाकृअनुप ने अपना 94वां स्थापना दिवस और पुरस्कार समारोह – 2022 का किया आयोजन

प्रेस रिलीज़ : भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 94वें स्थापना दिवस पर कृषि मंत्री की अध्यक्षता में समारोह, पुरस्कार दिए

केंद्रीय मंत्री तोमर ने किया विमोचन

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने समारोह में कहा कि, देश में कृषि क्षेत्र एवं कृषक मित्रों का तेजी से विकास हो रहा है। केंद्र एवं राज्य सरकारों, भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर), भारत के कृषि विज्ञान केंद्रों के समन्वित प्रयास के साथ ही जागरूक किसान भाईयों के सहयोग से किसान की आय में वृद्धि हुई है। परिषद ने 'डबलिंग फार्मर्स इनकम' पर राज्य आधारित संक्षिप्त प्रकाशन भी तैयार किया है। कृषि मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने विमोचन अवसर पर ई-बुक को जारी किया।

पुरस्कार से नवाजा

कृषि अनुसंधान परिषद (आईसीएआर) के 94वें स्थापना दिवस पर मंत्री तोमर ने उत्कृष्ट प्रदर्शन के लिए वैज्ञानिकों व किसानों को पुरस्कृत भी किया। पूसा परिसर, दिल्ली में आयोजित समारोह में तोमर ने कहा कि, आज का दिन ऐतिहासिक है, क्योंकि आईसीएआर ने पिछले साल, आजादी के अमृत महोत्सव में ऐसे 75 हजार किसानों से चर्चा कर उनकी सफलता का दस्तावेजीकरण करने का लक्ष्य निर्धारित किया था, जिनकी आय दोगुनी या इससे ज्यादा दर से बढ़ी है। उन्होंने कहा कि सफल किसानों का यह संकलन भारत के इतिहास में मील का पत्थर साबित होगा। केंद्रीय मंत्री तोमर ने आईसीएआर के समारोह में अन्य प्रकाशनों का भी विमोचन किया। उन्होंने आईसीएआर के स्थापना दिवस को संकल्प दिवस के रूप में मनाने की बात इस दौरान कही।

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कृषि क्षेत्र में निर्मित किए जा रहे रोजगार अवसर

कृषि मंत्री तोमर ने कहा कि, कृषि प्रधान भारत देश में निरंतर कार्य की जरूरत है। इस क्षेत्र में आने वाली सामाजिक, भौगोलिक, पर्यावरणीय चुनौतियों के नित समाधान की जरूरत भी इस दौरान बताई। उन्होंने पारंपरिक खेती को बढ़ावा देने के मामले में तकनीक के समन्वित इस्तेमाल का जिक्र अपने संबोधन में किया। उन्होंने कहा, प्रधानमंत्री की कोशिश है कि गांव और गरीब-किसानों के जीवन में बदलाव आए। मंत्री तोमर ने ग्रामीण क्षेत्र में एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर विकसित कर, कृषि का मुनाफा बढ़ाने के लिए किए जा रहे केंद्र सरकार के कार्यों पर इस दौरान प्रकाश डाला।

एग्री इंफ्रास्ट्रक्चर से की जा रही फंडिंग

केंद्रीय मंत्री ने बताया कि नव रोजगार सृजन के लिए हितग्राही योजनाएं लागू कर उचित फंडिंग की जा रही है। ग्रामीण नागरिकों को रोजगार से जोड़ा जा रहा है। खास तौर पर कृषि में रोजगार के ज्यादा अवसर निर्मित करने का सरकार का लक्ष्य है।

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जलवायु परिवर्तन चिंतनीय

केंद्रीय कृषि मंत्री ने आईसीएआर की स्थापना के 93 साल पूर्ण होने के साथ ही वर्ष 1929 में इसकी स्थापना से लेकर वर्तमान तक संस्थान द्वारा जारी की गईं लगभग 5,800 बीज-किस्मों पर गर्व जाहिर किया। वहीं इनमें से वर्ष 2014 से अभी तक 8 सालों में जारी की गईं लगभग दो हजार किस्मों को उन्होंने अति महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया। उन्होंने जलवायु परिवर्तन की स्थिति को चिंतनीय कारक बताकर कृषि वैज्ञानिकों, साथियों से इसके सुधार की दिशा में रोडमैप बनाकर आगे बढ़ने का आह्वान किया।

नई शिक्षा नीति का उदय -

मंत्री तोमर ने प्रधानमंत्री की विजन आधारित नई शिक्षा नीति का उदय होने की बात कही। उन्होंने स्कूली शिक्षा में कृषि पाठ्यक्रम के समावेश में कृषि शिक्षा संस्थान द्वारा प्रदान किए जा रहे सहयोग पर प्रसन्नता व्यक्त की। मंत्री तोमर ने दलहन, तिलहन, कपास उत्पादन में प्रगति के लिए आईसीएआर (ICAR) और केवीके ( कृषि विज्ञान केंद्र (KVK)) को अपने प्रयास बढ़ाने प्रेरित किया। समारोह के पूर्व देश के विभिन्न हिस्सों के किसानों से कृषि मंत्री ने ऑनलाइन तरीके से विचार साझा किए। हिमाचल प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात के किसानों से हुई चर्चा में सरकारी योजनाओं, संस्थागत सहयोग से किसानों की आय में किस तरह वृद्धि हुई इस बात की जानकारी मिली।

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