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दिसंबर महीने में बोई जाने वाली इन सब्जियों से होगी बंपर कमाई, जाने कैसे।

दिसंबर महीने में बोई जाने वाली इन सब्जियों से होगी बंपर कमाई, जाने कैसे।

सर्दी का आगमन हो चुका है और इस व्यस्त मौसम के लिए किसानों के पास अपने खेत को तैयार करने का यह सही समय है। कई लोगों के लिए यह समय छुट्टियां मनाने और अपने प्रिय जनों के साथ समय बिताने का समय होता है, लेकिन किसानों के लिए सर्दी के इस मौसम में भी पूर्णमूल्यांकन और तैयारी करने का समय माना जाता है। दिसंबर के इस महीने को सब्जियों की खेती के लिए सबसे अनुकूल माना जाता है। मिट्टी में नमी और सर्द वातावरण के बीच किसान मूली, टमाटर, पालक, गोभी और बैगन की खेती कर अच्छे प्रोडक्शन के साथ बढ़िया मुनाफा अर्जित कर सकते हैं। वैसे तो नई तकनीकों के कारण ऑफ सीजन में भी खेती करना आसान हो गया है, लेकिन प्राकृतिक वातावरण में उगने वाली सब्जियों की बात ही कुछ अलग होती है।


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यदि आप सोचते हैं, कि ज्यादातर स्वादिष्ट सब्जी गर्मियों के दौरान उगाई जाती हैं। जब आप के बगीचे में सब कुछ खिला हुआ होता है, तो आप गलत हैं। सर्दी अपने साथ स्वादिष्ट हरी सब्जियों की भरमार लेकर आती है, जिन्हें आप अपने बगीचे में काफी आसानी से उगा सकते हैं। इस मौसम में उगने वाली सब्जियां न केवल स्वाद में अच्छी होती हैं, बल्कि पोषण प्रदान करने के अलावा कई तरह से फायदेमंद भी होती हैं। सब्जी की खेती निश्चित रूप से एक लाभदायक व्यापार है और यह सिर्फ बड़े किसानों के लिए नहीं है। यह छोटे और सीमांत किसानों के लिए भी लाभदायक है। एक छोटे पैमाने के सब्जी के खेत में सालभर कमाई की संभावना होती है। खुले आसमान में खेती के अलावा आप ग्रीन हाउस में भी इस सीजन में सब्जियां उगा सकते हैं। किसान अगर कुछ खास बातों का ध्यान रखकर के सीजनल सब्जियों की खेती करें तो अच्छी उत्पादकता के साथ-साथ बढ़िया मुनाफा आराम से हासिल कर सकता है। दिसंबर के महीने में बोई जाने वाली जिन सब्जियों की जानकारी हम आपको देने जा रहे हैं, उससे आपको कई गुना फायदा मिलेगा।

फूलगोभी की खेती

फूलगोभी सर्दियों की सबसे महत्वपूर्ण और लोकप्रिय सब्जियों में से एक है और यह भारतीय कृषि में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। सर्दियों के इस मौसम में गोभी वर्गीय सब्जियां जैसे फूलगोभी ब्रोकली पत्ता गोभी की खेती करना बहुत ही आसान होता है। क्योंकि इन दिनों मिट्टी में नमी और वातावरण में सर्दी होती है, जिससे नेचुरल प्रोडक्शन लेने में मदद मिलती है। किसान चाहे तो गोभी की खेती ग्रीन हाउस में भी कर सकते हैं, एक्सपर्ट की बात करें तो 75 से 80 क्विंटल प्रति एकड़ तक का उत्पादन सर्दियों के मौसम में गोभी का होता है। जिसे आप आसानी से इस मौसम में उगा कर और नजदीकी बाजार में बेचकर बेहतर मुनाफा कमा सकते हैं।


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बैगन की खेती

बैगन की खेती करने के लिए भी यह महीना बड़ा ही महत्वपूर्ण माना जाता है। इन दिनों किसान बैगन की खेती करके लाखों रुपए कमाते हैं, बैगन की सब्जी भारतीय जन समुदाय में बहुत प्रसिद्ध है। विश्व में सबसे ज्यादा बैगन चीन में उगाया जाता है, बैगन उगाने के मामले में भारत का दूसरा स्थान है। बैगन विटामिन और खनिजों का भी अच्छा स्रोत है। वैसे तो इसकी खेती पूरे साल की जाती है, लेकिन इस मौसम में बैगन की खेती करना किसानों के लिए आसान होता है। क्योंकि मिट्टी में नमी के कारण और मौसम में ठंड के कारण किसानों को ज्यादा मेहनत नहीं करनी पड़ती है। एक्सपर्ट की राय की बात करें, तो एक हेक्टेयर में करीब साड़े 400 से 500 ग्राम बीज डालने पर लगभग 300 से 400 क्विंटल प्रति हेक्टेयर तक का बैगन का उत्पादन आसानी से मिल जाता है।

टमाटर की खेती

टमाटर विश्व में सबसे ज्यादा प्रयोग होने वाली सब्जी है। भारतीय पकवानों में टमाटर का अपना एक विशेष स्थान है। इसे सब्जी बनाने से लेकर सलाद सूप चटनी और ब्यूटी प्रोडक्ट के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है। इसकी खेती भारत में बड़े पैमाने पर होती है कई किसान टमाटर की खेती कर बढ़िया मुनाफा कमा रहे हैं अगर आप एक हेक्टेयर में भी टमाटर की खेती करते हैं तो आप 800 से 1200 क्विंटल तक का उत्पादन कर सकते है। ज्यादा पैदावार पैदावार के कारण किसानों को लागत से ज्यादा मुनाफा होता है। एक्सपर्ट की राय की बात करें तो अगर आप एक हेक्टेयर में टमाटर की खेती करते हैं तो आपको लगभग 15लाख रुपए तक की कमाई होगी।


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गाजर-मूली की खेती

मूली और गाजर भारत के लगभग हर क्षेत्र में उगाए जाते हैं, इनका उपयोग सब्जियों के अलावा अचार और मिठाई बनाने के लिए भी किया जाता है। सर्दी के मौसम में इनकी डिमांड बहुत ज्यादा होती है। इसकी खेती करके लागत बहुत ही कम लगती है, अगर वही हम बात कमाई की करें, तो किसान गाजर और मूली को 1 हेक्टेयर में लगभग 150 क्विंटल तक का उत्पादन कर सकते है। विशेष तौर पर सर्दी का मौसम है, गाजर और मूली की खेती करने के लिए उपयुक्त माना जाता है। गर्मी के मौसम में अगर आप गाजर और मूली को उपजाना चाहते हैं, तो आपको भारी नुकसान का सामना करना पड़ सकता है। तो किसान इस तरह की सब्जियों की खेती इस सर्दी के मौसम में करके बंपर पैदावार के साथ बंपर कमाई आसानी से अर्जित कर सकते है।
बैंगन की नई किस्म पर नहीं कर पाएंगे कीट हमला, किसान उत्पादन करते हुए कमा सकते हैं बढ़िया मुनाफा

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आजकल फल और सब्जियों को लेकर भी देश में काफी ज्यादा शोध होने लगे हैं। देश भर के वैज्ञानिक प्रयास में लगे हुए हैं, कि वह कुछ उन्नत किस्म के फल और सब्जियों की नस्ल खोज सकें। 

हमेशा ऐसी किस्म बनाने की कोशिश रहती है, जिसमें पानी की आवश्यकता कम हो। लागत कम लगे और उत्पादन अधिक हो जाए। इनका लाभ भी किसानों को मिलता है। 

लंबे प्रयास के बाद वैज्ञानिकों द्वारा बैंगन की एक ऐसी प्रजाति विकसित की गई है। जिससे किसानों का मुनाफा काफी ज्यादा बढ़ जाएगा और किसान के लिए लाभकारी साबित होंगी।

बैंगन की ये प्रजातियां की गईं विकसित

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, कंपनी बेजो (Bejo) शीतल सीड्स प्राइवेट लिमिटेड औरंगाबाद के जालना में स्थित है। कंपनी ने जनक और बीएसएस 793 नामक पहली-फिलियल जनरेशन हाइब्रिड बैंगन की प्रजाति विकसित की है। इन प्रजातियों का लाभ आने वाले दिनों में किसान को मिलेगा।

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ट्रांसजेनिक तकनीक का किया इस्तेमाल

कंपनी के पदाधिकारियों से हुई बातचीत में पता चला है, कि इस किस्म का निर्माण भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने किया है। इसे बनाने में ट्रांसजेनिक तकनीक का इस्तेमाल किया गया है। 

इस तकनीक की मदद लेकर ही बैंगन की नई प्रजाति जनक और बीएसएस- 793 की बीटी किस्मों को विकसित किया गया है। इस प्रजाति में बीटी जीन, क्राय 1 एफए 1 जीन का प्रयोग किया है। 

इसे आईएआरआई ने पेंटेंट भी कराया है। माना जा रहा है, कि इस तकनीक का इस्तेमाल कर बनी किस्म से गुणवत्ता की सब्जी तो होगी ही। साथ ही, उपज में बढ़ोतरी भी हो सकेगी।

बीजों को नुकसान भी नहीं होता

इस तकनीक के बीजों का निर्माण करने वाली कंपनी अधिकारियों का कहना है, कि बेजो शीतल ने तकनीक का लाइसेंस 2005 में ले लिया था। परीक्षण करने के लिए यूनिवर्सिटी ऑफ हॉर्टिकल्चर साइंसेज, बागलकोट, कर्नाटक से अनुरोध किया है। 

इस तकनीक को इस तरह से इस्तेमाल किया जाता है, कि शूट और फ्रूट बोरर ल्यूसिनोड्स ऑर्बोनालिस जैसे कीटों का इस पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। इन किस्मों की अच्छी बात यह है, कि बीजों का नुकसान प्रतिशत बहुत कम है।

उदाहरण के लिए माना जा रहा है, कि अगर आप किसी भी फल या सब्जी के 100 बीज लेते हैं। तो उनमें से 97 बीज जरूर अच्छी तरह से उग जाते हैं।

पूरा परीक्षण होगा वैज्ञानिकों की देखरेख में

कंपनी अधिकारियों का कहना है, कि यदि समय पर हमें गाइडलाइन मिल जाती हैं। तो खरीफ सीजन में ही एक हेक्टेयर क्षेत्र में विश्वविद्यालय के स्तर से नामित वैज्ञानिक या फसल प्रजनक की देखरेख में परीक्षण कराया जाएगा। 

इसके लिए यह भी देखना होगा कि कितने बीज की जरूरत पड़ेगी। साथ ही यहां पर यह पूरा परीक्षण वैज्ञानिकों की देखरेख में ही पूरा किया जाएगा।