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अजब मिर्ची का गजब कमाल, अब खाने के साथ-साथ लिपस्टिक बनाने में भी होगा इस्तेमाल

अजब मिर्ची का गजब कमाल, अब खाने के साथ-साथ लिपस्टिक बनाने में भी होगा इस्तेमाल

वाराणसी स्थित आईसीएआर-भारतीय सब्जी अनुसंधान संस्थान (ICAR-IIVR) वैज्ञानिकों के द्वारा एक अनोखी किस्म की मिर्च तैयार की गई है। इस मिर्च की खासियत यह है, कि यह खाने के साथ-साथ लिपस्टिक बनाने के लिए भी सौंदर्य प्रसाधन के रूप में इस्तेमाल किया जाएगा। अभी तक किसानों के द्वारा जो मिर्च उत्पादन किया जाता था, उसको सिर्फ खाने में प्रयोग किया जाता था। लेकिन अब वैज्ञानिकों के द्वारा जिस तरह से इस नई किस्म की मिर्च को तैयार किया गया है, उससे अब सुर्ख लाल रंग का लिपस्टिक भी बनाया जा सकेगा। इस किस्म का नाम वीपीबीसी-535 (VPBC-535) रखा गया है।

अब जानते हैं इस वीपीबीसी-535 मिर्च के बारे में :

इस मिर्च की किस्म में 15 प्रतिशत ओलेरोसिन पाया जाता है। इसकी खास बात यह है, कि इस मिर्च का उत्पादन सामान्य मिर्चों की अपेक्षा अधिक होती है, क्योंकि इसमें अधिक
उर्वरकों का भी इस्तेमाल होता है। किसानों के लिए मिर्च के इस किस्म की खेती करके बेहतर मुनाफा अर्जित किया जा सकता है, इसकी खेती करने के लिए प्रति हेक्टेयर 400 से 500 ग्राम बीज की आवश्यकता निर्धारित की गई है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर सभी मानकों का ध्यान रखा जाए तो किसान प्रति हेक्टेयर 150 क्विंटल तक इस मिर्च की किस्म की उपज कर सकते हैं। दूसरे खास बात यह है कि इसकी खेती किसान रवि और खरीफ दोनों सीजन में कर सकते हैं।

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प्रति हेक्टेयर डेढ़ सौ क्विंटल तक का उपज होने से किसानों की आय में बेहतर वृद्धि होगी

यह मिर्च पूरी तरह से पककर तैयार होने के बाद सुर्ख लाल रंग की हो जाती है। इसमें ओलियोरेजिन नाम का औषधीय गुण भी मौजूद है, जिसे सौंदर्य प्रसाधन में लिपस्टिक बनाने में किया जाएगा। औषधीय गुणों के मौजूद होने के कारण सौंदर्य प्रसाधन के लिए बनने वाले लिपस्टिक में सिंथेटिक रंग का प्रयोग नही करना पड़ेगा, जिससे आमजन को होने वाले हानिकारक प्रभावों से बचाया जा सकेगा।

इस तरह से करें खेत की तैयारी तभी हो पाएगी बेहतर उपज

अगर आप मिर्च की इस किस्म की खेती करना चाहते हैं तो आपको सबसे पहले अपने खेत को तैयार करना होगा। खेत की तैयारी करते समय प्रति हेक्टेयर 20 से 30 टन कंपोस्ट अथवा गोबर खाद का प्रयोग करके अपने खेत को इस मिर्च की किस्म को उपजाने के लायक बनाना होगा। इसके बाद ही आप मिर्च के बीज को बो पाएंगे, बीज की बुवाई के 30 दिनों के बाद जो पौधे उगेंगे उन्हें लगभग 45 सेंटीमीटर की दूरी पर रोपना होगा, ताकि पौधों के बीच में दूरी बनी रहे। प्रत्येक पंक्ति के बीच लगभग 60 सेंटीमीटर की दूरी रखनी होगी। वैसे भी मिर्च की खेती के लिए सामान्यतः अधिक उर्वरकों का प्रयोग किया जाता है। मिर्च की खेती करने के लिए लगभग प्रति हेक्टेयर 120 किलोग्राम नाइट्रोजन, 80 किलोग्राम फास्फोरस और 80 किलोग्राम पोटाश की जरुरत होती है। इस तरह की किस्म के पौधे काफी फैले हुए होते हैं। बुवाई के 95-100 दिन में मिर्च पौधे में फल पकने लगते हैं। इसकी औसत उपज 140 क्विंटल प्रति हेक्टेयर होती है। इस मिर्च को बाजार में बेचने पर ऊंचे दाम मिलते हैं। सामान्य मिर्च जहां ₹30 प्रति किलोग्राम तक बिकती है, वहीं इस मिर्च की किस्म को आप ₹90 प्रति किलोग्राम तक बेच सकते हैं।

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अगर आप इस मिर्च की खेती करते हैं, तो आपको आसानी से लगभग 3 गुना फायदा प्राप्त हो जायेगा। यह मिर्च लिपस्टिक बनाने से लेकर खाने में भी शानदार और स्वादिष्ट है। आने वाले समय में इस मिर्च की उपज होने के कारण हर्बल कॉस्मेटिक इंडस्ट्री में भी इसकी मांग बढ़ेगी और किसानों को इसके लिए अच्छे दाम भी मिलेंगे। गौरतलब यह है कि इस किस्म की मिर्च की खेती कर आप मालामाल हो सकते हैं। जो किसान इस मिर्च की किस्म को उपजाना चाहते हैं, वह अपने नजदीकी कृषि भवन में संपर्क करके और जानकारी प्राप्त कर सकते हैं।
अब एक ही पौधे पर लगेंगी दो तरह की सब्जियां, पढ़िए पूरी खबर

अब एक ही पौधे पर लगेंगी दो तरह की सब्जियां, पढ़िए पूरी खबर

वाराणसी। जी हां, अब एक ही पौधे पर दो तरह की सब्जियां लगेंगी, वैज्ञानिकों ने इस तकनीकी को खोज निकाला है। यूपी के वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान (आईआईवीआर) के वैज्ञानिकों ने सब्जियों के लिए एक नई तकनीकी से ऐसी पौध का अविष्कार किया है, जो एक ही पौधे पर दो तरह की सब्जी उगाएगा।

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घर की रसोई का शौक बढ़ाने वाला वैज्ञानिकों का यह प्रयोग लोगों को काफी उत्साहित करने वाला है। दावा है कि इस पौधे को घर की बालकनी, घर की छतों पर , बगीचों आदि स्थानों पर लगाया जा सकता है। वैज्ञानिकों ने अपनी इस नई तकनीकी से ऐसे पौधे विकसित किए हैं, जिसमें टमाटर, बैंगन, आलू, मिर्च, खीरा, लोकी, तोरई व करेला उगाए जा सकेंगे। एक पौधे पर दो तरह की अलग-अलग सब्जियां उगाई जा सकती हैं।

पांच साल से चल रहा थी खोज

एक ही पौधे पर कई प्रकार की सब्जियां उगाने के लिए वाराणसी स्थित भारतीय सब्जी अनुसंधान केन्द्र में पिछले पांच वर्षों से शौध चल रहा था। फिलहाल वैज्ञानिकों ने एक ही पौधे पर ग्राफ्टिंग के जरिए दो तरह की सब्जियां उगाने वाली पौध का अविष्कार कर लिया है। अभी भी खोज जारी है।

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ग्राफ्टिंग तकनीकी से तैयार पौधों को मिला है ब्रिमेटो और पोमैटो नाम

भारतीय सब्जी अनुसंधान केन्द्र वाराणसी में ग्राफ्टिंग तकनीकी से तैयार किए गए पौधों को अलग नाम से जाना जाएगा। वैज्ञानिकों के अनुसार इस नई पौध को ब्रिमेटो (Brimato) और पोमैटो (Pomato) नाम से जाना जाएगा, जो काफी चर्चा बटोर रहे हैं।

किचन गार्डन या गमले में तैयार करें पौध

भारतीय सब्जी अनुसंधान केन्द्र वाराणसी के वैज्ञानिक डॉ. अंनत कुमार के अनुसार ग्राफ्टिंग तकनीकी से तैयार हुई इस पौध को किचन गार्डन या गमले में सही तरह तैयार करें। हर एक पोमैटो से 2 किग्रा टमाटर और 600 ग्राम आलू तैयार किया जा सकता है। एक ही पौधे पर मिट्टी के ऊपर टमाटर तो वहीं मिट्टी के निचले हिस्से में आलू तैयार होगा।

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कैसे तैयार करें पौधा

आलू के पौधे के मिट्टी के ऊपर कम से कम 6-7 इंच लंबा होने पर उसके ऊपर टमाटर के पौधे की ग्राफ्टिंग की जाएगी। ध्यान रहे दोनों ही पौधों के तने की मोटाई बराबर होनी चाहिए। करीब 20 दिन बाद दोनों के तने जुड़ जाएं तो उसे खेत में छोड़ दें। रोपाई के दो महीने बाद ही टमाटर की तोड़ाई शुरू हो जाएगी और बाद में आलू की खुदाई करें। [embed]https://www.youtube.com/watch?v=HUWu_jG-z_Q[/embed]