आप कल्पना कर सकते हैं कि किसी किसान ने एक एकड़ जमीन के आधे हिस्से में टमाटर की खेती और आधे में अपने परिवार के लिए गेहूं आदि फसलें उगाकर अपनी सात बेटियों की शादी तो करदी, बाकी जिम्मेदारियां भी बखूबी निभाईं। आज हम उस किसान की सफलता की कहानी का जिक्र इस लिए कर रहे हैं ताकि आपको टमाटर की लाली का एहसास हो सके। टमाटर की संकर यानी हाइब्रिड एवं मुक्त परागित सामान्य किस्में बाजार में मौजूद हैं। सामान्य किस्मों का छिलका पताला एवं इनमें रस व खटास ज्यादा होती है। इसके अलावा हाइब्रिड किस्मों में गूदा ज्यादा व छिलका मोटा होता है। मोटे छिलके वाली किस्में ट्रांसपोर्ट के लिहाज से ज्यादा अच्छी रहती हैं। हाइब्रिड किस्मों को कई दिन तक सामान्य तापमान में भी सुरक्षित रखा जा सकता है।
बुवाई का समय
उत्तर भारत के मैदानी इलाकों में टमाटर की दो फसलें ली जाती हैं। एक फसल जून जुलाई में नर्सरी डालकर 25 दिन बाद पौध रोपी जाती है। इससे अक्टूबर नवंबर में फल मिलने लगते हैं। उधर अक्टूबर माह में तैयार पौध से रोपित पौधों से जनवरी से अप्रैल तक फल प्राप्त होते हैं। हाइब्रिड किस्मों को ठंड के सीजन में लगाना श्रेयस्कर रहता है।
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खेत की तैयारी
टमाटर को हर तरह की जमीन में लगाया जा सकता है। टमाटर की खेती बैड बनाकर करने से फलों के खराब होने की आशंका नहीं रहती। आखिरी जुताई में 25 से 30 टन सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं। इसके अलावा रासायानिक उर्वरकों में 150 किलोग्राम नत्रजन, 60 किलोग्राम फास्फोरस एवं 60 किलोग्राम पोटाश प्रति हैक्टेयर मिट्टी में मिलाएं। इसके बाद खेत में बैड तैयार करें। बैड पौध के लगाने लायक होने पर ही तैयार करेंं
नर्सरी डालना
पौधे तैयार करने के लिए नर्सरी डालने के लिए चार से छह इंच उूंची क्यारी बनाते हैं। लम्बाई जरूरत के हिसाब से तथा चौड़ाई एक मीटर रखते हैं ताकि पौध की क्यारी के दोनों तरफ बैठकर खरपतवार आदि को निकाला जा सके। क्यारी में सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाते हैं। बीज को फफूदंनाशनक कार्बन्डाजिम, बाबस्टीय या ट्राईकोडर्मा में से किसी एक से उपचारित कर लेेना चाहिए। बैड में यदि डिबलर हो तो डेढ़ से दो सेण्टीमीटर गहरे गड्ढे बनाकर बराबर दूरी व लाइन में बीज को डालना चहिए। इसके बाद जालीदार चलने से गोबर सड़ी और भुरभुरी खाद को क्यारी के समूचे हिस्से पर छान देना चाहिए। तदोपरांत क्यारी को जूट की बोरी या पुआल आदि से ढक दें। हर दिन क्यारी पर हजारा से हल्का पानी नमी बनाए रखने लायक देते रहें। पांच छह दिन में बीजों में अंकुरण हो जाएगा। पाधों के एक हफ्ते का हो जाने पर एम 45, बाबस्टीन आदि दवा की दो ग्राम मात्रा प्रति लीटर पानी की दर से पौध पर छिड़काव करें। संकर किस्मों में पत्तों में सुरंग बनने जैसे लक्षण दिखें तो मोनोक्रोटोफास दवा की दो एमएल मात्रा एक लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
पौधों को खेत में रोपना
जब पौधों में पांच से छह पत्ते निकल आएं और लम्बाई 15 से 20 सेण्टीमीटर की हो जाए तो रोपने की तैयारी करनी चाहिए। खेत में डेढ़ से दो फीट चौड़े बैड बनाएं। बैड की बगल में नाली हो । पंक्ति से पंक्ति की दूरी 60 एवं पौधे से पौधे की दूरी 45 सेण्टीमीटर रखनी चाहिए। ज्यादा विकास करने वाली किस्मों के लिए दूरी को और बढ़ाया जा सकता है।
सिंचाई
पहली सिंचाई रोपण के बाद की जाती है। इसके बाद जरूरत होने पर सिंचाई करें।
साथ में लगाएं बेबीकार्न
टमाटर को कार्बन की बेहद आवश्यकता होती है और मक्का कार्बन का सबसे ज्यादा उत्सर्जन करती है। टमाटर जब खेत में रोप दिए जाएं तो 20 से 25 दिन बाद टमाटर के बीज बीच में बेकीकार्न का बीज लगादें। बीज पानी लगाने से पहले लगाएं। इसका लाभ यह होगा कि टमाटर की लागत को निकालने लायक आय बेबीाकर्न से हो जाएगी। इसके अलावा टकाटर की फसल को मक्का कार्बन प्रदान करेगी। इससे फलों की संख्या, ताजगी व गुणवत्ता बेहद अच्छी रहेगी।
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