गजब का कारोबार ब्रायलर मुर्गी पालन

By: MeriKheti
Published on: 15-Jun-2020

देसी मुर्गी से साल में औसतन 60 से 80 अंडे प्राप्त होते हैं वाइट 11 से 240 से 3 से एवं रोड आयरन से 210 से 260 घंटे प्राप्त होते हैं। चीजों की सही देखभाल 1 दिन से लेकर 6 हफ्तों या 20 सप्ताह तक करनी होती है। अंडे वाली मुर्गी की देखभाल इससे ज्यादा करनी होती है।बीमारी के टीके लगने के बाद 3 दिन तक मुर्गियों को पानी याद आने में मिलाकर विटामिन की खुराक देनी चाहिए। इसी तरह 2 से 3 महीने में कीड़े मारने की दवा दें। ब्रायलर चीजों को जन्म लेने के बाद से 8 हफ्ते तक विकास करने के बाद ही उनका मास के लिए प्रयोग किया जाना चाहिए। मुर्गी जितना खाती है उसी अनुपात में उसके शरीर पर मांस बढ़ता है। मुर्गी का 6 हफ्ते का वजन अट्ठारह सौ से 21 सौ ग्राम हो जाता है। ब्राउज़र को दो तरह का दाना दिया जाता है। ब्राउज़र स्टार्टर यह ब्राउज़र फिनिशर।हर इलाके में मुर्गी फार्म खोलने के कारण यह दाना अब कहीं भी आसानी से मिल जाता है। सस्ता दाना बनाने के लिए किसान थोड़ी सी जानकारी हासिल करके फसल के समय पर ही दाने का इंतजाम कर सकते हैं। पोस्टिक दानों से मुर्गी काफी विकसित होती हैं और उनमें मांस की प्रचुर मात्रा तैयार होती है। 

बीमारी

  • कालरा नामक बीमारी में हरि पतली बिठाना बुखार आना पक्षियों की अचानक मौत आदि लक्षण दिखते हैं। इस बीमारी से बचाव के लिए सलमेट दवा दाने या पानी के साथ देनी चाहिए।
  • सफेद दस्त नामक बीमारी चीजों को अधिक होती है। बचाव के लिए नेफ्टिन दवा को दाना या पानी के साथ दें।
  • नीली कलगी बड़े पक्षियों में होने वाली बीमारी है। इसमें बुखार आना कल भी का नीला पढ़ना जैसे लक्षण दिखते हैं बचाव के लिए होस्टासाइक्लिन यास्टेक्लिन दवा को पानी के साथ दें।
  • सालमोनेलासिस बीमारी में बुखार आना, कलगी का रंग फीका पड़ना, हरी बीट एवं पक्षियों की मौत होती है। बचाव के लिए सलमेट दवा को पानी के साथ दें।
  • रानीखेत बीमारी मैं पक्षियों की गर्दन टेढ़ी हो जाती है तथा सांस लेने में तकलीफ होती है। इस बीमारी का कोई इलाज नहीं है बचाव के लिए लाशों के रानीखेत का कोई टीका दें।
  • चिकन पॉक्स बीमारी में शरीर के बाल रहित हिस्सों पर फुंसियां उभर आती हैं। बचाव के लिए चिकन पॉक्स का टीका बराबर दें।
गमबोरो पक्षियों की रोगों से लड़ने की क्षमता कमजोर होने के कारण दूसरी बीमारियों का शिकार होता है उसी स्थिति को गम बोरो कहते हैं। इस तरह की समस्या से बचने के लिए पक्षियों को टीके समय पर लगवाएं। 1 दिन के चूजे को इस बीमारी का टीका उसके पंख में लगाएं। कोक्सिडियोसिस खूनी बीट 1 से 6 हफ्ते के पक्षियों में इस बीमारी का खतरा रहता है। इसमें खून से सनी हुई बीच पतली आती है। कॉक्सी डियोस्टैट दवा पानी के साथ दें। पेट के कीड़ों की रोकथाम के लिए महीने में एक बार पेट के कीड़े की दवा जरूर दें। अन्यथा पक्षियों का शारीरिक विकास रुक जाता है। खाए गए अन्य का भक्षण परजीवी कर जाते हैं। वेटरनरी विश्वविद्यालय के प्रोफेसर एंड हेड पोल्ट्री साइंस चैप्टर पीके शुक्ला कहते हैं मुर्गी पालन में अपार संभावनाएं हैं। पश्चिम बंगाल के बाद बिहार के किसानों ने भी बैकयार्ड पोल्ट्री से अपनी आमदी बढ़ाई है। 

उम्र के अनुरूप दाना

  • 1 दिन से 7 हफ्ते तक चिकमैश दाना
  • 8 से 20 हफ्ते तक ग्रोअर मैश
  • 21 से 72 हफ्ते तक लेयर मैश
  • ब्रायलर का टीकाकरण
  • 1 दिन मैरेक्स पंजे के स्नायु में
  • 5 दिन लासोटा नाक में बूंद डालना
  • 12 दिन गमबोरी आंखों में बूंद डालना
  • 35 दिन लासोटा पानी से देना
  • 42 दिन देवी का टीका पंख के नीचे जिसमें मैं चुभाएं
  • 48 दिन अरबी टीका पंख के भीतरी हिस्से में दें।

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