MBA करने के बाद नौकरी की जगह खेती चुन किसान को हो रहा लाखों का मुनाफा

By: Merikheti
Published on: 08-Feb-2024

आज हम आपको एक ऐसे किसान की कहानी सुनाऐंगे जो कि MBA जैसी बड़ी डिग्री करने के उपरांत बेहतर नौकरी तलाशने की बजाय खेती कर रहा है। यह युवा किसान बिहार से आता है, जिसने नौकरी की जगह कृषि को चुना और आज वह वार्षिक लाखों का मुनाफा उठा रहे हैं। 

आजकल युवा अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद किसी बड़ी कंपनी में एक अच्छी नौकरी पाना चाहते हैं। परंतु, ऐसे युवा बहुत कम संख्या में हैं, जो कि नौकरी के बदले खेती को प्राथमिकता देते हैं। वह भी तब, जब किसी ने MBA जैसी बड़ी डिग्री हांसिल की हो। जी हां, ये कहने में तो आसान लगता है। परंतु, कुछ ऐसी ही कहानी है बिहार के शेखपुरा जनपद के रहने वाले प्रगतिशील किसान अभिनव वशिष्ट की। जिन्होंने अपनी MBA की पढ़ाई पूरी करने के बाद खेती में हाथ आजमाया और आज वह खेती से वार्षिक लाखों रुपये की आमदनी कर रहे हैं।

अभिनव वशिष्ट ने नौकरी के बजाय खेती को चुना 

किसान अभिनव वशिष्ट ने बताया कि वह विगत करीब 19 साल से खेती कर रहे हैं। उन्होंने M.Com और MBA तक अपनी पढ़ाई की है। अपनी पढ़ाई संपन्न करने के पश्चात उन्होंने नौकरी की बजाय खेती करना सही समझा और आज खेती से ही वह वार्षिक लाखों की कमाई कर रहे हैं, जो शायद ही उन्हें नौकरी में मिल पाता। उन्होंने यह कहा कि उनके पास खेती के लिए 35 एकड़ भूमि है, जिसमें 4 एकड़ में उनका आम का बगीचाऔर 2 तालाब हैं, जो 1-1 बीगा में बने हुए हैं।

औषधीय पौधों की खेती की वजह से मिल रहा अच्छा खासा लाभ

उन्होंने बताया कि वह खेती के साथ-साथ फिश फार्मिंग और डेयरी फार्मिंग भी करते हैं। डेयरी फार्मिंग में उनके पास 25 गाय और 4 भैंस हैं। किसान अभिनव ने बताया कि उनके यहां 2004 के पहले से ही पारंपरिक फसलें उगाई जा रही हैं, जिसमें चावल, गेहूं समते कई दलहनी फसले शामिल हैं। लेकिन अपनी पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने औषधीय पौधों की खेती करनी भी शुरू की। जिससे उनका मुनाफा कई गुना तक बढ़ गया। इसके अलावा उनका मुख्य फोकस सुगंधित पौधों की खेती पर रहा है। 

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किसान ने बताया कि वह सुगंधित पौधों में मिंट, सिट्रोनेला, तुलसी, लेमनग्रास और मेंथा की खेती किया करते हैं। जनपद के 5 से 6 लोगों ने मिलकर एक संगठन बनाया और धीरे-धीरे इन पौधों को संपूर्ण राज्य तक पहुंचाया है। किसान अभिनव का कहना है, कि सुगंधित पौधे की खेती करने के उपरांत एक यूनिट के जरिए प्रोसेसिंग पूरी की जाती है। 2005 में इस यूनिट को खरीदने में लगभग 5 लाख रुपये का खर्च आया था. मशीन को खरीदने में सरकार की तरफ से भी मदद मिली थी। 

किसान वार्षिक लाखों का मुनाफा उठा रहा है 

दरअसल, वर्षभर आने वाला खर्च और मुनाफे के विषय में बात करते हुए किसान अभिनव वशिष्ट ने कहा कि सुगंधित पौधे की खेती में अधिक खर्चा नहीं आता है। क्योंकि, एक बार इनके बीज या पौधा रोपने के पश्चात 7 से 8 वर्ष तक इन्हें बदलने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इनकी खेती में वर्षभर में करीब 1 एकड़ में 25 से 30 हजार रुपये तक की लागत आती है। इससे करीब 70 से 75 हजार रुपये की आमदनी हो जाती है। इसी प्रकार 1 बीघा में फिश फार्मिंग में करीब डेढ लाख रुपये तक का खर्चा आता है। डेयरी फार्मिंग में यह खर्चा काफी कम बैठता है। उन्होंने बताया कि उनके तबेले से हर रोज 200 लीटर तक दूध निकलता है, जिसको वह बेच देते हैं। उन्होंने बताया कि वह कृषि, मछली पालन और डेयरी उद्योग से वार्षिक 20 से 25 लाख रुपये तक का मुनाफा कमा लेते हैं। इस हिसाब से उनकी वार्षिक आमदनी 30 लाख रुपये से अधिक है।

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