राजस्थान के सीताराम सेंगवा बागवानी से कमा रहे हैं लाखों का मुनाफा

Published on: 01-Nov-2022

पूरा विश्व आज जल के अभाव से प्रभावित है, किसानों पर इसका प्रतिकूल प्रभाव हो रहा है। राजस्थान के ज्यादातर क्षेत्रों में जल की कमी के बावजूद भी कई किसान फसलों से अच्छी खासी पैदावार प्राप्त कर रहे हैं। इन किसानों में जोधपुर के सीताराम सेंगवा भी सम्मिलित हैं। ४२ वर्षीय सीताराम सेंगवा ने २२ की आयु से खेती शुरू कर एक बड़ी उपलब्धी हासिल की है। कृषि एवं बागवानी में नाम व धन अर्जन के बाद वो संतुष्ट हैं कि उन्होंने सरकारी नौकरी की जगह कृषि को प्राथमिकता दी है। किसान सीताराम सेंगवा खेती के लिए ड्रिपस्प्रिंकलर सिंचाई के माध्यम से बूंद-बूंद जल का उपयोग कर उम्दा किस्म के पौधे तैयार कर रहे हैं। फिलहाल उनके द्वारा नर्सरी में तैयार उम्दा पौधे पुरे देश में लगाये जा रहे हैं। उनकी इस सफलता में भाकृअनुप - केन्द्रीय शुष्क क्षेत्र अनुसंधान संस्थान (ICAR – Central Arid Zone Research Institute) के वैज्ञानिकों का भी सहयोग रहा है। यही कारण है कि आज कृषि में मुनाफा एवं बागवानी का नुस्खा उपयोग कर सीताराम सेंगवा २० लाख वार्षिक आय अर्जित कर रहे हैं।

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सीताराम सेंगवा राजस्थान राज्य के जोधपुर जनपद की भोपालगढ़ तहसील के पालड़ी राणावतन गांव में कृषि कार्य कर रहे हैं। सीताराम सेंगवा ने २५ बीघा खेत के साथ बेहतरीन पौधों की नर्सरी स्थापित की है। वह अपनी पत्नी, बेटों एवं बेटियों के सहयोग से आज बेहतर आजीविका के लिए अच्छा मुनाफा कर पा रहे हैं। एक वक्त वह भी था जब विघालय से शिक्षा पूर्ण करने के उपरांत उनके सारे मित्र सरकारी नौकरी की तैयारी में जुट गए थे। लेकिन सन २००१ में भी सीताराम ने खेती को ही प्राथमिकता दी थी। आज सीताराम सेंगवा २२ वर्ष की आयु से खेती के सफर में सफलता हासिल कर राज्य सरकार एवं वैज्ञानिकों से विभिन्न प्रकार के सम्मान भी प्राप्त कर चुके हैं।

तरह तरह की किस्म के पौधे हैं सीताराम सेंगवा की नर्सरी में

सीताराम सेंगवा २०१८ से पूर्व केवल पारंपरिक खेती ही करते थे, लेकिन वर्ष २०१८ में काजरी की वैज्ञानिक अर्चना वर्मा के द्वारा बागवानी सम्बंधित प्रशिक्षण लेने के उपरांत नर्सरी का कार्य भी आरम्भ कर दिया था। कृषि के साथ-साथ नर्सरी प्रबंधन में वैज्ञानिक तकनीकों की सहायता से सीताराम सेंगवा ने हजारों उम्दा किस्म के पौधे तैयार किए। आज उनकी नर्सरी में चंदन के २ हजार, शीशम के ३ हजार, बेर के १० हजार, ताइवान पपीते के ५ हजार, सहजन के १० हजार, आंवला के ३ हजार, अमरूद के २५००, अनार के ३ हजार, गोभी के २० हजार, टमाटर के २० हजार, बैंगन के २० हजार, खेजड़ी के ७ हजार, गूगल धूप के १५००, करोंदा के २ हजार, नीम के २ हजार, मालाबार नीम के ५ हजार एवं नींबू के ५ हजार उम्दा किस्म के पौधे बिक्री हेतु उपलब्ध हैं। उन्नत बीजों से उत्पादित ये पौधे ही सीताराम सेंगवा के सफल होने की वजह हैं। यही वजह है कि पिछले वर्ष उन्होंने ७० से ८० हजार पौधे विक्रय किये हैं। उत्तर प्रदेश से लेकर हरियाणा एवं राजस्थान के जालौर, सीकर,जोधपुर, बाड़मेर, बीकानेर, नागौर व बालोतरा के किसान भी बेहतरीन किस्म के पौधे खरीदने के लिए आते रहते हैं। सीताराम सेंगवा केवल उम्दा किस्म के पौधे उत्पादित करने के साथ साथ ही होम डिलीवरी की माध्यम से लेने वाले के पास भी पहुँचाते हैं।

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सीताराम सेंगवा ने स्वयं आत्मनिर्भर बन अन्य किसानों के लिए भी रोजगार का अवसर प्रदान किया

सीताराम सेंगवा कृषि एवं बागवानी के माध्यम से आत्मनिर्भर बन पाए हैं, साथ ही गांव के कई किसानों व महिलों को भी रोजगार के अवसर प्रदान कर रहे हैं। कृषि क्षेत्र में उनका यह सफर बेहद संघर्षमय एवं चुनौतीपूर्ण रहा है। खेती में सीताराम सेंगवा के सराहनीय योगदान के लिए काजरी संस्थान ने उनकी सराहना करते हुए सम्मानित किया है। विभिन्न उपलब्धियां हासिल करने के उपरांत सीताराम को गर्व है कि वह एक सफल किसान हैं। सीताराम कहते हैं कि उनके अधिकतर मित्रगण सरकारी नौकरी में कार्यरत हैं, लेकिन वे मेरे कार्य की काफी सराहना करते हैं। सीताराम के मित्रों का कहना है कि सीताराम द्वारा खेती करने का निर्णय सही व उत्तम था। साथ ही, सीताराम का भी यही मत है कि नौकरी की अपेक्षा उनके द्वारा कृषि को प्राथमिकता देना बेहतरीन निर्णय था।

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