पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए विशेषज्ञों की महत्वपूर्ण सलाह

By: Merikheti
Published on: 22-Mar-2024

भारत के अधिकांश किसान खेती-किसानी के साथ-साथ पशुपालन कर दुग्ध उत्पादन से भी अच्छी आय करते हैं। लेकिन, ऐसे भी किसान हैं, जिनकी आजीविका ही पशुपालन से चलती है। वर्तमान में रबी की फसलों की कटाई का समय चल रहा है। 

किसान अब जायद की फसलों की बुवाई की तैयारी में जुटेंगे। अब ऐसे में आज हम पशुपालन करने वाले किसानों को गर्मी के समय पशुओं के स्वास्थ्य पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। 

पशुपालक अपने पशु को दिन में कम से कम तीन बार पीने के लिए साफ पानी दें। साथ ही, हरा चारा आहार स्वरूप अधिक खिलाएं। इसके लिए \ मूंग मक्का या अन्य हरे चारे की बुआई कर दें।

गर्मियों में पशुओं की देखभाल क्यों जरूरी ?

गर्मी के बढ़ने से मनुष्यों के साथ-साथ पशु पक्षियों को भी काफी दिक्कत होती है। इसलिए, किसान भाइयों को अपने दुधारू पशुओं की सही से देखभाल करने की आवश्यकता है। 

ऐसे मौसम में अपने पशुओं की उचित देखरेख नहीं करने से सूखा चारा खाने की मात्रा दस से 30 फीसद और दूध उत्पादन में दस फीसद तक की कमी हो सकती है। इस पर विशेष ध्यान देने की अत्यंत आवश्यकता है। 

आहार को लेकर विशेषज्ञों की महत्वपूर्ण सलाह 

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, गर्मी के मौसम में दुग्ध उत्पादन और पशु की शारीरिक क्षमता बनाए रखने के लिए पशुओं में आहार का महत्वपूर्ण योगदान है। गर्मी के मौसम में पशुओं को हरे-चारे की ज्यादा मात्रा देनी चाहिए। 

पशु हरे-चारे को बड़े ही चाव से खाते हैं। इसके साथ ही इससे 70 से 90 फीसद तक पानी की मात्रा होने से शरीर में जल की पूर्ति करता है। गर्मी के मौसम में हरे चारे का अत्यंत अभाव रहता है। 

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इसके लिए किसानों को मार्च या शुरू अप्रैल माह में ही मूंग, मक्का या अन्य हरे चारे की बुआई कर दें। इससे गर्मी में भी पशुओं को हरा चारा मिलता रहे।

पशुपालकों के लिए पशुओं के आवास हेतु सलाह  

पशुपालकों को अपने पशुओं को गर्मी से बचाने के लिए छांव में रखने की आवश्यकता है। इससे पशुओं पर गर्म हवाओं का सीधा प्रभाव नहीं पड़ेगा। रात्री के दौरान पशुओं को खुले में ही रखें। 

अगर पशुओं के आवास की छत एस्बेस्टस या कंक्रीट की है तो उसके ऊपर चार से छह इंच मोटी घास- फूस रख दें। इससे पशुओं को गर्मी से निजात मिलती है। 

इसके साथ ही पशुओं को तीन से चार बार ताजा एवं स्वच्छ पानी जरूरी पिलाएं। इससे पशुओं के स्वास्थ्य पर किसी प्रकार का प्रभाव नहीं पड़ेगा। साथ ही, किसी भी प्रकार की बीमारी होने पर शीघ्र डॉक्टर से सलाह लें।

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