बारिश ने मचाई तबाही, किसानों ने अपनी जान गंवाई

Published on: 14-Oct-2022

बीते कुछ दिनों से भारी बरसात के चलते किसानों में हाहाकार मचा हुआ है, कई दिनों से किसानों के घर चूल्हे नहीं जल पा रहे। किसान बेहद दुखी और निराश हैं, इसका एकमात्र मूसलाधार बारिश ही कारण नहीं है, इसका दूसरा कारण किसानों की आर्थिक स्तिथि भी है। किसान पूर्णतया कृषि के उपर ही आश्रित रहते हैं, अगर फसल में कोई नुकसान होता है तो प्रत्यक्ष रूप से किसान की आजीविका को खतरा हो जाता है। यही कारण है कि महाराष्ट्र के नांदेड़ जिले में अब तक कई किसानों ने आत्महत्या कर ली है, क्योंकि किसानों को भारी नुकसान होने से उनको उम्मीद की कोई किरण नहीं दिखाई दे रही थी। महाराष्ट्र में किसानों की आत्महत्या जुलाई की तुलना में ३ गुना बढ़ गयी है। इसमें इकलौते नांदेड़ जिले में अगस्त तक ९३ आत्महत्या के मामले सामने आये हैं, जिनमें से ६३ किसानों को १ लाख रूपए प्रति किसान के हिसाब से पात्र घोषित किया गया था। पिछले वर्ष ११९ किसानों की आत्महत्या की पुष्टि हुई थी, जिसमें मात्र ६५ लोगों को ही आर्थिक सहायता मिल पायी थी। महाराष्ट्र में मराठवाडा क्षेत्र में ही ६६१ आत्महत्या करने वाले किसानों में से मात्र ४८५ परिवार को ही आर्थिक सहायता मिल पायी थी।

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महाराष्ट्र की कितनी भूमि में फसल बर्बाद हो चुकी है ?

महाराष्ट्र में बारिश के कोहराम से बहुत बड़े पैमाने पर फसल बर्बाद हुयी है, लगभग ३,६५२,८७२ हेक्टेयर भूमि बुरी तरह प्रभावित हो गयी है। किसानों को बहुत बड़ा झटका लगा है। किसान अपनी फसल को पैदा करने के लिए पहले कर्ज लेकर लागत लगाते हैं, इस वजह से फसल में नुकसान होने की स्तिथि में आय होने की जगह किसानों के उपर कर्ज की मार पड़ जाती है, जो किसानों के लिए बेहद चिंता का विषय है। ऐसी परिस्थिति में किसान कैसे अपनी कर्ज की धनराशि को चुका पायेगा, जब साथ ही उसकी आजीविका के लिए भी पर्याप्त धन अर्जित करने का एकमात्र स्त्रोत भी नष्ट हो गया है।

क्या किसानों के नुकसान की भरपाई हो पायेगी

किसानों को सरकार द्वारा तभी आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है, जब उनकी फसल ३३ प्रतिशत से अधिक खराब हो गयी है। अब इस स्तिथि में बहुत सारे किसान आर्थिक सहायता से वंचित रह जाते हैं। यह कहना पूर्णतया उचित नहीं होगा कि समस्त पीड़ित किसानों को पूर्ण रूप से आर्थिक सहायता मिल पायेगी। किसानों को सहायता मिलने को लेकर संशय बना हुआ है, परिणामस्वरूप प्रतिदिन किसान आत्महत्या कर रहे हैं।

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ये फसलें हुई अत्यधिक प्रभावित

अत्यंत बारिश के चलते धान, बाजरा और अभी बोई गयी सरसों की फसल बेहद गंभीर रूप से प्रभावित हुईं हैं, साथ ही सोयाबीन जैसी अन्य फसलों में भी काफी नुकसान देखने को मिल रहा है। धान की फसल तो बिल्कुल जलमग्न हो गयी है, अब उसमें कीट और रोगग्रसित होने की सम्भावना भी बढ़ रही है। फसलों में आकस्मिक बड़े पैमाने पर नुकसान होने की वजह से अनाज के मूल्य में निश्चित रूप से काफी वृद्धि होने की सम्भावना है।

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