ग्रीष्मकालीन करेले की उन्नत किस्मों की जानकारी

Published on: 11-Apr-2024

किसान अधिक मुनाफा पाने के लिए अपने खेत में सीजन के अनुसार फसल को उगाते हैं। ज्यादातर यह देखा गया है, कि गर्मियों के मौसम में बाजार में सब्जियों की मांग काफी अधिक बढ़ जाती है। 

क्योंकि, गर्मियों का सीजन ऐसा होता है कि इसमें सब्जियों की आवक बहुत कम हो जाती है, जिसका असर बाजार में देखने को मिलता है। मंडियों में सब्जियों के भाव काफी ज्यादा हो जाते हैं। 

ऐसी स्थिति में किसान अपने खेत में सब्जियों की खेती कर शानदार मुनाफा कमा सकते हैं। इसके लिए वह अपने खेत में टिंडा, खीरा, ककड़ी, करेले, भिंडी, तोरई और घीया की खेती कर सकते हैं। 

किसान भाइयों के लिए करेले की खेती सबसे लाभदायक खेती में से एक है। क्योंकि, इसकी खेती को एक साल में दो बार आसानी से किया जा सकता है।

करेले को अन्य और क्या नाम से जाना जाता है ? 

करेला अपने कड़वेपन और कुदरती गुणों की वजह से बाजार में जाना जाता है। बतादें, कि यह सब्जी सेहत के लिए भी लाभकारी सब्जियों में से एक है। 

भारत में इसे अलग-अलग नामों से जाना-पहचाना जाता है, जैसे कि- कारवेल्लक कारवेल्लिका करेल करेली तथा करेला आदि लेकिन इनमें से करेला नाम सर्वाधिक लोकप्रिय है।

करेले की खेती के लिए किस विधि का इस्तेमाल करें ? 

करेले की खेती के लिए जाल विधि सबसे उत्तम मानी जाती है, क्योंकि इसकी विधि से करेले की फसल से अधिक पैदावार प्राप्त कर सकते हैं। किसान इस विधि में अपने पूरे खेत में जाल बनाकर करेले की बेल को फैला देता है। 

इस विधि से फसल पशुओं के द्वारा नष्ट नहीं होती है और साथ ही बेल वाली सब्जी होने के कारण यह जाल में अच्छे से फैल जाती है। 

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इस विधि की सबसे शानदार बात यह है, कि किसान इसे नीचे क्यारियों के खाली स्थानों पर धनिया और मैथी जैसी अतिरिक्त सब्जियों को उगा सकते हैं।

ग्रीनहाउस और पॉली हाउस विधि से क्या लाभ होगा ?

ग्रीनहाउस और पॉली हाउस दोनों विधियों के माध्यम से किसान किसी भी समय अपने खेत में करेले की खेती से मुनाफा प्राप्त हांसिल कर सकते हैं। 

यदि देखा जाए तो आज के वक्त में ऐसी नवीन प्रजातियां भी बाजार में उपस्थित हैं, जिनको किसान सर्दी गर्मी और बारिश हर तरह के मौसम में उगा सकते हैं।

करेला की प्रमुख उन्नत किस्में कौन-सी हैं ?

आपकी जानकारी के लिए बतादें, कि फैजाबाद स्माल, सुपर कटाई, सफेद लांग, ऑल सीजन, जोनपुरी, झलारी, हिरकारी, भाग्य सुरूचि, मेघा – एफ 1, वरून – 1 पूनम, तीजारावी, अमन नं.- 24, नन्हा क्र.- 13, पूसा संकर 1, पी.वी.आई.जी. 1, आर.एच.बी.बी.जी. 4, के.बी.जी.16, फैजाबादी बारह मासी, अर्का हरित, पूसा 2 मौसमी कोयम्बटूर लौंग, सी 16, पूसा विशेष, कल्याणपुर बारह मासी, हिसार सेलेक्शन आदि करेले की प्रमुख किस्में हैं।

करेले की खेती के लिए भूमि की तैयारी 

किसान भाई करेले की बेहतरीन उपज हांसिल करने के लिए इसकी खेती बलुई दोमट मृदा में करनी चाहिए। इसके साथ ही बेहतर जल निकासी वाली जमीन का चयन करें। 

इस बात का भी खास ख्याल रखें कि खेत में जलभराव वाली परिस्थिति ना बनने पाए। ऐसा करने से करेले की खेती को सबसे ज्यादा हानि पहुंचती है। 

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करेले की खेती में बीज बुवाई का भी विशेष ध्यान रखें। इसके लिए खेत में बीजों को 2 से 3 इंच गहराई पर ही बोएं। साथ ही, नालियों की दूरी करीब 2 मीटर व पौधों की दूरी 70 सेंटीमीटर तक रखें।

करेले की खेती में लागत और मुनाफा कितना है ?

अगर आप अपने खेत के 1 एकड़ में करेले की खेती करना शुरू करते हैं तो आपको करीबन 30 हजार रुपए तक खर्च करने पड़ेंगे। 

खेत में ऊपर बताई गई तकनीकों का इस्तेमाल करें तो आप प्रति एकड़ लगभग 3 लाख रुपए तक का मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं। आप अपनी लागत से 10 गुना ज्यादा मुनाफा प्राप्त कर सकते हैं।

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