बदलते मौसम और जनसँख्या के लिए किसानों को अपनाना होगा फसल विविधिकरण तकनीक : मध्यप्रदेश सरकार

Published on: 08-Sep-2022

केंद्र सरकार किसानों के लिए विभिन्न प्रकार की योजना बना रही है, जिससे न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि इससे पर्यावरण भी सुरक्षित रहेगा। हाल ही के दिनों में एक ऐसे योजना की शुरुआत हुई है, जिसको जान कर किसान हैरान रह जायेंगे। इस योजना में आपको बताया जायेगा कि अब एक साथ आप कैसे विभिन्न प्रकार की खेती कर सकते हैं ताकि आपकी आय बढ़कर तिगुना हो जाए। इस योजना का नाम है “फसल विविधिकरण(Crop Diversification)। इस बदलते समय और बढ़ते जनसँख्या के लिए यह फसल विविधिकरण योजना एक बहुत ही आवश्यक कदम है। इस योजना से न सिर्फ किसानों की आय बढ़ेगी, बल्कि यह उनके खेत का भी स्वास्थ्य ठीक करेगा जिससे अन्य फसलें भी अच्छे से उग सकेंगी। इस योजना पर केंद्र सरकार बहुत जोर दे रही है, लेकिन आपको आश्चर्य होगा कि मध्य प्रदेश सरकार ने इस तरह की योजना की शुरुआत बहुत पहले कर दी थी, जिसमें धान, गेहूं और अन्य पारंपरिक खेती के अलावा सरकार अब फूल, सब्जी और मसाला की खेती पर काफी जोर दे रही है। इसके साथ-साथ फल पौधा रोपण और क्रॉप डायवर्सिफिकेशन पर भी सरकार नजर बनाये हुए है।

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गौरतलब है कि साल 2022-23 में 2 हज़ार हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में फल पौधा रोपण अभियान के तहत विभिन्न प्रकार के पौधे लगाये गए हैं, जिसमें आम, अमरुद, संतरा, निम्बू, काजू, अनार, ड्रैगन फ्रूट, स्ट्रॉबेरी, केला जैसे पौधे शामिल थे। इन फलों का उत्पादन शुरू हो चुका है। इसके अलावा सब्जी उत्पादन के क्षेत्र में फसल विविधिकरण का उपयोग किया जा रहा है, खीरा, शिमला मिर्च, लौकी, भिन्डी और अन्य सब्जी का उत्पादन किया जा रहा है। आपको बता दे कि फसल विविधिकरण का उपयोग कर पिछले वर्ष के मुकाबले इस वर्ष सब्जी, मसाला और फूल के उत्पादन में 6.45 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। आपको मालूम हो कि इस योजना को और मजबूती प्रदान करने के लिए राज्य के 137 से अधिक नर्सरी को स्वयं सहायता समूह से जोड़ा गया है, जिससे हजारों पौधे तैयार किए गए है। मध्य प्रदेश के उद्यानिकी और खाद्य प्रसंस्करण विभाग के कार्यों की समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री ने कहा की इस वर्ष कोल्ड स्टोरेज का 25 लाख मीट्रिक टन क्षमता वृद्धि का लक्ष्य रखा गया है। उसी समीक्षा बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिया गया कि “एक जिला एक उत्पादन” के तहत बागवानी फसलो और उत्पादों की मार्केटिंग एक मिशन की तरह की जाएँ, जिससे किसानों को लाभ हो और पर्यावरण संरक्षण में भी मदद मिल सके।

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किसानों को मिलेगा प्रशिक्षण

मुख्यमंत्री ने अधिकारीयों को निर्देशित किया कि किसानों के विशेष प्रशिक्षण की व्यवस्था की जाये, जिसमे उनको ड्रिप इर्रेगेशन (drip irrigation), जैविक बागवानी, माली प्रशिक्षण आदि के बारे में उनको बताया जाए ताकि उनकी आय बढे। इसके लिए जगह जगह प्रशिक्षण केंद्र व मुरौना में सेंटर ऑफ़ एक्सीलेंस प्रारंभ भी किया जाएगा। प्रदेश के दस जिलों को ग्रीन क्लस्टर हाउस के रूप में विकसत करने की भी बात कही गयी है, इसमें भोपाल, सीहोर, उज्जैन, रतलाम, नीमच, बड़वानी, खण्डवा, खरगौन जबलपुर और छिंदवाड़ा शामिल हैं। दस जिलों में बनेंगे ग्रीन हाउस क्लस्टर।

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प्रदेश में फसलों की उत्पादकता में वृद्धि और विविधीकरण, कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर के प्रयास, प्रमाणित जैविक उत्पादन में वृद्धि, कृषि एवं उद्यानिकी उत्पादों का मूल्य संवर्धन पर भी चर्चा की गयी।  बैतूल जिले में शेडनेट निर्माण का क्लस्टर विकसित किया गया है। प्रदेश के दस जिलों भोपाल, सीहोर, उज्जैन, रतलाम, नीमच, बड़वानी, खण्डवा, खरगौन जबलपुर और छिंदवाड़ा में ग्रीन हाउस क्लस्टर विकसित किए जाएंगे। इस साल सीहोर, ग्वालियर और मुरैना में इनक्यूबेशन सेंटर्स का भूमि-पूजन किया गया है। अतिरिक्त रोजगार के लिए मत्स्यपालन, रेशम पालन विकास और मधुमक्खी पालन के कार्यों को बढ़ावा देने की बात भी कही गयी है।

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