दूध-गेहूं की भरमार, कीमतें पहुंच से पार

Published on: 05-Feb-2020

गेहूं के स्टाक की बात करें तो जरूरत से तीन गुना है। दूध की भी कमी नहीं लेकिन कीमते हैं कि गिरने का नाम नहीं ले रहीं। डिमांड और सप्लाई के फार्मूले पर गौर करें तो यह बात स्पष्ट होती है कि यदि बाजार में किसी वस्तु की आवक या स्टाक ज्यादा होगा तो कीमतें गिरेंगी। सरकार दूध और गेहूं की कीमतें नियंत्रित करने में पूरी तरह से नाकाम साबित हो रही है। 

मीडिया रिपोर्ट्स में लगातार पाकिस्तान में प्याज, आटा, लहसुन आदि की कीमतें तो बाताई जा रही हैं लेकिन भारत के गांवों से 30-35 रुपए लीटर कढ़ने वाला दूध 55 रुपए और किसानों से अधिकतम 1600 रुपए में खरीदा गया गेहूं 2000 के पार कई माह से क्यों बिक रहा है। उक्त् दोनों चीजें आम और हर दिन जरूरत वाली हैं। यातो सरकार के आंकड़े फर्जी हैैं या फिर कारोबारियों पर सरकार का नियंत्रण नहीं है। 

पिछले दिनों आई रिपोर्टों में यह बात सामने आई कि गेहूं के भण्डारों में जरूरत से तीन गुना ज्यादा गेहूं है। जरूरत 13 लाख मीट्रिक टन की है वहीं जमा 40 लाख के आसपास है। यह रेट आज से नहीं दो माह से भी ज्यादा समय से चल रहा है। फसल के समय किसान अपने जिंसों को औने पौने दाम में बेचता रहता है वहीं बिचौलियों के मोटे मुनाफे की मार आम आदमी पर पड़ रही है। दूध की बात करें तो वर्तमान में दूध का उत्पादन करीब 9 फीसदी कम रहा है। 

वित्तीय वर्ष 2018-19 मैं यह 18.6 करोड़ टन रहा। विदित हो कि अप्रैल से अगस्त तक दूध मांग को पूरा करने के लिए देश को डेढ़ लाख टन स्किम्ड दुग्ध पाउडर के भण्डार की जरूरत होती है जो अभी तक महज 40 हजार टन के करीब ही है। खुले बाजार में इसकी कीमतें 150 से 300 रुपए प्रति किलोग्राम तक पहुंच गई हैं। चौंकाने वाला तथ्य यह भी है कि दूध की कीमतों में इजाफे का ज्यादा लाभ गांम में बैठे किसान को नहीं मिल रहा है। कंपनियां आकलन और अनुमान की बिना पर कीमतों को बढ़ाए हुए हैं। महंगाई का कारण मिल्क पाउडर का निर्यात भी माना जा रहा है। 

स्किम्ड मिल्क आयात की जरूरत  

 दूध की खुले बाजार में कीमतें नियंत्रित करने को कुछ बड़े दुग्ध उद्यमी स्किम्ड मिल्क आयात की बात का समर्थन कर रहे हैं तो कुछ विरोध। विरोध इस लिए प्रासंगिक लगता है क्योंकि दूध की आवक के साथ ही पशुपालकों से खरीद सस्ती कर दी जाएगी।

गेहूं की बेकदरी का अनुमान  

 दिल्ली मण्डी में गेहूं की कीमत 2300 रुपए चल रही हैं। जानकार इसे गुजरे साल के मुकाबले 20 से 25 फीसदी ज्यादा मान रहे हैं। गोदामों से धीमी निकासी इसी तरह जारी रही तो अप्रैल माह में नए गेहूं की आवक की बेकदरी होना तय है।

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