Published on: 06-Jan-2025
Updated on: 06-Jan-2025
पशु आमतौर पर ब्याने के 4 से 5 घंटे के भीतर जेर स्वयं बाहर निकाल लेते हैं। लेकिन कभी-कभी ऐसा होता है कि ब्याने के बाद कई घंटों तक जेर नहीं निकलती, जिससे गर्भाशय में विभिन्न समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
इसका नकारात्मक प्रभाव पशु के उत्पादन पर पड़ता है। यदि ब्याने के 8 से 12 घंटे बाद भी जेर अपने आप बाहर नहीं आती, तो इसे "जेर का रुकना" माना जाता है।
जेर रुकने के कारण
गायों में जेर रुकने (प्लेसेंटा) का मुख्य कारण भ्रूण कोटिलेडन्स और मातृ कैरंकल्स के बीच ढीलेपन की प्रक्रिया में गड़बड़ी है, और इसे कई संक्रामक और गैर-संक्रामक कारकों से जोड़ा जाता है।
पशु चिकित्सकों के मुताबिक पशुओं में जेर रुकने की घटनाएं गर्भपात, कठिन प्रसव, हाइपोकैल्सीमिया, जुड़वां जन्म, उच्च पर्यावरणीय तापमान, गाय की बढ़ती उम्र, प्रसव प्रेरण, प्लेसेंटाइटिस और पोषण संबंधी गड़बड़ियों के कारण बढ़ जाती हैं।
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जेर रुकने के लक्षण
- गर्भाशय से जेर बाहर लटकती हुई दिखाई देती है।
- गर्भाशय के अंदर जेर के टुकड़ों को हाथ से महसूस किया जा सकता है।
- पशु बार-बार पेट पर पैर मारता है और दर्द महसूस करता है।
- बुखार होना और दूध की मात्रा अचानक कम हो जाना।
- गर्भाशय से दुर्गंध आना।
- समय अधिक बीतने पर मवाद निकलना।
- जेर रुकने के कारण पशु का बेचैन होना।
- पशु का बार-बार बैठना और उठना।
- सुस्ती और आसपास के वातावरण में रुचि न लेना।
प्राथमिक उपाय
- बच्चेदानी में हाथ डालकर जेर की स्थिति जांचें। अगर जेर आसानी से निकल जाए, तो उसे सावधानीपूर्वक निकालें। अधिक जोर लगाने से गर्भाशय में घाव हो सकता है।
- बांस की पत्तियां, धान की भूसी, मूंग या दलिया का मिश्रण खिलाएं।
- आयुर्वेदिक औषधियां जैसे युटेरोटोन, यूट्रासेफ, या युटेरोटोनेक्स (200 मि.ली. दिन में तीन बार और जेर निकलने के बाद 100 मि.ली. प्रतिदिन) दें।
- यदि जेर का कुछ भाग बाहर निकला हो, तो उसमें वजनदार वस्तु जैसे ईंट बांधें।
- जेर बाहर आने के बाद गर्भाशय की सफाई पोटेशियम परमैंगनेट (1:1000) घोल से किसी योग्य पशु चिकित्सक से करवाएं।
- जेर रुकने वाले पशुओं को कैल्शियम और फास्फोरस जैसे खनिज लवण दें।
- गर्भाशय में सूजन या शोथ होने पर पशु चिकित्सक से उपचार करवाएं।
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समाधान
- यह धारणा गलत है कि बिना जेर निकले पशु का दूध नहीं निकालना चाहिए। पशु के ब्याने के आधे घंटे के भीतर बच्चे को दूध पिलाएं और आधा दूध निकाल लें।
- बच्चे को मां का पहला दूध (खीस/पेवसी/कोलोस्ट्रम) 24 घंटे के भीतर जरूर पिलाएं। यह बच्चे की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है और जेर के समय पर निकलने में मदद करता है।
- अधिक दूध देने वाले पशुओं का पूरा दूध न निकालें, क्योंकि इससे हाइपोकैल्सीमिया या मिल्क फीवर हो सकता है।
- कोलोस्ट्रम दस्तावर होता है और बच्चे का पेट साफ करता है।
पशुपालक इन उपायों को अपनाएंगे, तो 90% जेर रुकने की समस्या से बचा जा सकता है।